विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि 2012 और 2013 में वैश्विक आर्थिक दर 3.6 प्रतिशत होगी, लेकिन अब संगठन का कहना है कि 2012 में केवल ढाई प्रतिशत की ही आर्थिक दर हासिल हो पाएगी।

वैश्विक विकास पर अपने पिछले अनुमान को कम आंकते हुए अब विश्व बैंक ने कहा है कि 2012 में यूरोज़ोन की आर्थिक विकास दर में 0.3 प्रतिशत गिरावट आएगी।

विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री जस्टिन यीफ़ू लिन ने कहा, “विकासशील देशों को अपनी कमज़ोरियों का आकलन करना होगा और आने वाले आर्थिक झटकों के लिए तैयार रहना होगा। हालांकि अभी इसमें कुछ वक्त बाकी है। लेकिन आर्थिक मंदी की चपेट से कोई भी देश बच नहीं पाएगा.”

यूरोज़ोन आर्थिक संकट के बारे में उन्होंने कहा कि इस संकट का अमीर और ग़रीब देशों पर समान रूप से नकारात्मक असर पड़ सकता है।

उनका कहना था, “विकसित और विकासशील देशों की आर्थिक विकास दर में 2008-09 के मुकाबले ज़्यादा गिरावट आ सकती है। सभी देशों के लिए आकस्मिक योजना बनाना बहुत महत्त्वपूर्ण है.”

विश्व बैंक के मुताबिक़ 2012 में विकासशील देशों में 5.4 प्रतिशत की आर्थिक दर दर्ज की जाएगी, जबकि अमीर देशों में ये दर 1.4 प्रतिशत होगी।

पिछले साल जून में विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि 2012 में विकासशील देशों की आर्थिक दर 6.2 होगी और अमीर देशों की आर्थिक दर 2.7 होगी।

बदला अनुमान

वैश्विक आर्थिक संभावनाओं पर विश्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक व्यापार और सामग्रियों के दाम में अभी से ही गिरावट देखने को मिल रही है।

संगठन का कहना है कि गिरते दाम वैसे तो विकासशील देशों के लिए अच्छी ख़बर है, लेकिन ग़रीब देशों में खाद्य सुरक्षा अभी भी चिंता का विषय है।

फ़रवरी 2011 के मुक़ाबले खाद्य सामग्री में 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

वैश्विक वृहत् अर्थशास्त्र के मैनेजर एंड्रयू बर्नस ने बीबीसी को बताया कि आर्थिक मंदी की अवधि अनुमान से कहीं ज़्यादा हो सकती है।

उन्होंने कहा, “इस बार विकासशील देशों की हालत विकसित देशों से बेहतर होगी, लेकिन फिर भी हम चिंतित हैं। विकासशील देश ऐसी स्थिति में होंगें जब अमीर देश उन्हें वैसी मदद नहीं दे पाएंगें, जैसी उन्होंने 2008-09 में दी थी.”

विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि यूरोज़ोन में ऋण संकट और विकासशील देशों में विकास की धीमी होती गति का संकट, एक दूसरे से प्रभावित हो कर और भी ज़्यादा ख़राब स्थिति पैदा कर सकते हैं।

विश्व बैंक ने कहा है कि वो दूसरे आर्थिक संगठन की संभावना से इंकार नहीं कर सकता।

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