- हिन्दुस्तानी एकेडेमी के गांधी सभागार में निराला जन्मशताब्दी वर्ष में आर्गनाइज हुआ सेमिनार

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PRAYAGRAJ: हिन्दुस्तानी एकेडेमी गांधी सभागार में मंगलवार को 'महाप्राण निराला का रचनाकर्म' सब्जेक्ट पर सेमिनार आर्गनाइज किया गया। प्रोग्राम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। इस मौके पर सेमिनार की अध्यक्षता एकेडेमी के अध्यक्ष डॉ। उदय प्रताप सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि कि निराला कबीर की परम्परा के कवि है। इनके काव्य में गरीब से लेकर समाज के हर वर्ग का चित्रण बहुत ही सुंदर ढंग से किया गया है।

काव्य आन्दोलन में प्रकृति अनिवार्य हिस्सा

सेमिनार में विचार रखते हुए डॉ। अनुपम आनंद ने कहा कि छायावाद अपने प्रारम्भ दौर से ही अपने अनेक अंतद्वंद्वों, प्रवादों से घिरा रहा। अध्यायपकीय आलोचना में इसको प्रकृति काव्य माना गया है। सच यह है कि सभी काव्य आंदोलनों में प्रकृति एक अनिवार्य हिस्सा रही है। वहीं डॉ। रविनंदन सिंह ने कहा कि छायावाद विविध एवं विरोधाभासी प्रतीत होने वाली काव्य प्रवृत्तियों का समुच्चय है। जिस तरह छायावाद विरुद्धों का समंजस्य है, उसी प्रकार निराला भी विरुद्धों का समन्वय करते दिखाई देते है। संगोष्ठी का संचालन डॉ। विनम्र सेन सिंह ने किया। अध्यक्ष डॉ। उदय प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन भी किया। इस मौके पर शिवराम उपाध्याय, डॉ। फाजिल अहसन हाशमी, अजीत पुष्कल, डॉ। मुराजी त्रिपाठी, डॉ। सुजीत कुमार सिंह, डॉ आभा त्रिपाठी समेत अन्य कई लोग मौजूद रहे।