BAREILLY:

- अमीरी, गरीबी, जात-पात से नहीं भगवान केवल भक्त के भावों से जुड़ते हैं

'जिस प्रकार भक्त भगवान से मिलने को आतुर रहता है वैसे ही भगवान भी अपने भक्त से मिलने को अति आतुर रहता है , तभी तो उन्हे भक्त वत्सल कहते है' ऐसे ही दिव्य अमृत विचारों के साथ कथा की शुरुआत की गई। थर्सडे को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से एमबी इंटर कॉलेज में आयोजित श्री राम कथामृत कार्यक्रम के चौथे दिन भक्तिमय सत्संग का हिस्सा बनने को भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथास्थल पहुंचकर कथामृत का रसपान किया। इस मौके पर कथा व्यास साध्वी सुश्री श्रेया भारती ने बडे ही भाव पूर्ण ढंग से भक्त सुदीक्षण व जटायु प्रसंग का वाचन और महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

जहां भक्त वहां भगवान

कथा के माध्यम से साध्वी श्रेया ने बताया कि सुदीक्षण की भक्ति और भगवान का रिश्ता सदगुरू शरणागति मिलने के उपरान्त और भगवान की प्रत्यक्ष अनुभूति पा लेने पर ही दृढ़ हो जाता है। भारतीय संस्कृति में ऐसे असंख्य भक्त हैं, जिनके जीवन से शिक्षा लेकर संस्कार एवं संस्कृति की रक्षा कर सकते हैं। दूसरी ओर जटायु प्रसंग में उन्होंने भक्त शबरी के बारे में बताया। जिसमें भक्ति की शक्ति से प्रभु राम ने शबरी को दर्शन देने व कल्याण करने को विवश कर दिया। जिससे समाज को सीख मिली कि प्रभु के लिए न कोई छोटा और न कोई गरीब व अमीर होता है। वह तो केवल भाव के भूखे होते है। कार्यक्रम में स्टेट मिनिस्टर भगवत शरण गंगवार, राजू खण्डेलवाल, अमित अग्रवाल, सीताराम मोहता, गिरधर गोपाल खण्डेलवाल, राजीव बूबना समेत अन्य लोग मौजूद रहे।