- GORAKHPUR: भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और घर में सुख, शांति व समृद्धि की कामना लिए श्रद्धालुओं ने गुरुवार को निराहार व्रत रखा। दिनभर निराहार व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने शाम को घर में चौक रंगोली बनाकर ईख, तुलसी के पौधे को सामने रखकर पूजा-अर्चना की। साथ ही साथ ईख, गंजी, सुथनी और सिंघाड़ा का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया।

सूर्योदय के बाद कर सकते हैं पारण

पं। शरद चंद्र मिश्रा बताते हैं शास्त्रों के मुताबिक, प्राचीन काल से ऐसी मान्यता है की समस्त पापों के नाश के लिए एकादशी व्रत रख जाते हैं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए और घर में शांति, सुख व समृद्धि प्राप्त के लिए इस व्रत को रखा जाता है। यह व्रत पूरी तरह से निराहार है। व्रत रखने वाले श्रद्धालु शुक्रवार की सुबह सूर्योदय 6.37 से द्वादशी तिथि 10.30 बजे से पहले पारण कर लेंगे। इस बीच पारण करने वाले श्रद्धालुओं के व्रत सफल माना जाएगा।

दुकानदारों ने खूब कमाया

वहीं, एकादशी पर्व की पौराणिक महत्व यह भी है कि जितने भी जलीय फल होते हैं। उन्हें एकादशी पूजा के बाद ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन मजे की बात यह रही कि गुरुवार को पूरे दिन ईंख, सुथनी, गंजी और सिंघाड़े की जबरदस्त डिमांड रही। यही वजह रही कि इन सभी सामग्रियों से दुकानदारों ने खूब कमाया।

आइटम्स रेट

सिंघाड़ा 40-50 प्रति किलो

ईख 25-30 प्रति पीस

सुथनी 60 प्रति किलो

गंजी 40-50 प्रति किलो