- 80 नालों का पानी गंगा में गिर रहा है।

- 42 नालों को वाया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए गंगा में भेजा रहा है।

- 38 नाले ऐसे हैं जिनका पानी सीधे गंगा में जा रहा है।

- 50 एमएलडी पानी बिना ट्रीटमेंट सीधे गंगा में गिर रहा है।

- निर्धारित मानक से कई गुना अधिक हुआ कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर

- 24 जनवरी को होगा मौनी अमावस्या का स्नान, लाखों श्रद्धालु लगाएंगे गंगा में आस्था की डुबकी

PRAYAGRAJ: पुण्य की चाह में श्रद्धालु मैली गंगा में डुबकी लगाने को मजबूर हैं। गंगा में सीधे प्रवेश कर रहा नालों का पानी उसे प्रदूषित कर रहा है। जिसमें डुबकी लगाने वालों को बीमारी से दो चार होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। खुद यूपीपीसीबी (उप्र पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) के ताजा सर्वेक्षण में यह रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें बताया गया कि है कि गंगा के पानी में हानिकारक बैक्टीरिया का लेवल खतरे के निशान को पार कर चुका है। बता दें कि माघ मेला में अब तक दो स्नान पर्व आयोजित हो चुके हैं।

लाइलाज हैं 38 नाले

शहर में छोटे बड़े 80 नालों का पानी गंगा में जा रहा है। इसमें से 42 नालों को वाया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए गंगा में भेजा रहा है। वहीं 38 नाले ऐसे हैं जिनका पानी सीधे गंगा में प्रवेश कर रहा है। इनकी वजह से बैक्टीरिया की मात्रा में बढ़ोतरी बनी हुई है। 80 नालों से कुल 350 एमएलडी गंदा पानी निकल रहा है। इनमें से 42 नालों से 300 एमएलडी पानी एसटीपी के जरिए ट्रीट हो रहा है, जबकि 38 नालों से 50 एमएलडी पानी बिना ट्रीटमेंट सीधे गंगा में गिर रहा है।

कितने गुना प्रदूषित हो गया गंगाजल

यूपीपीसीबी के मानक कहते हैं नदी के पानी में नहाने के लिए कोलीफार्म बैक्टीरिया का अधिकतम निर्धारित मानक 500 एमपीएन प्रति 100 एमएल है। जबकि पीने के पानी के लिए यह लेवल 50 एमपीएन प्रति 100 एमएल निर्धारित किया गया है। यूपीपीसीबी की हालिया सर्वेक्षण रिपोर्ट में पता चला है कि प्रयागराज में गंगा के पानी में कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर 1700 एमपीएन प्रति 100 एमएल है और फेकल कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर 7800 प्रति 100 एमएल पाया गया है।

सिरसा में थोड़ी सी गनीमत

आंकड़े बताते हैं कि प्रयागराज में डाउनस्ट्रीम गंगा जल में कुल कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर नदी के पानी के 100 एमएल में 14000 एमपीएन पाया गया। फेकल कोलीफार्म की गिनती 6800 एमपीएन प्रति 100 एमएल मापी गई है। सिरसा में गंगा के पानी में पाल्यूशन का यह स्तर कुछ मिला है। यहां 12000 एमपीएन / 100 एमएल में कुल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाया गया, जबकि फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की गिनती 5800 एमपीएन / 100 एमएल मिली है।

क्या हैं यह बैक्टीरिया

बता दें कि कोलीफार्म और फेकल कोलीफार्म बैक्टीरिया मल सहित दूसरी गंदगी से पैदा होते हैं। पानी में इनकी सांद्रता जितनी अधिक होगी, सेहत पर उतना ही उल्टा प्रभाव डालेंगे। एसटीपी के जरिए सीवेज का ट्रीटमेंट कर ऐसे घातक बैक्टीरिया की मात्रा कम कर दी जाती है। इनकी संख्या अधिक होने पर यह स्किन एलर्जी और पेट में जाने पर इंफेक्शन आदि का कारण बनते हैं। सिचाई विभाग के अधिकारी बताते हैं कि गंगा में माघ मेले के दौरान गंगा में गंगा बैराज स अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने से पानी की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

गंगा में कोलीफार्म और फेकल कोलीफार्म बैक्टीरिया का लेवल (एमपीएन प्रति सौ एमएलल)

----- कोलीफार्म फेकल कोलीफार्म

अप स्ट्रीम 17000 7800

डाउन स्ट्रीम 14000 6800

सिरसा 12000 5800

यूपी के सभी शहरों से आंकड़े एकत्र किए जाते हैं। इसके बाद इन्हे यूपीपीसीबी की वेबसाइट पर शो किया जाता है। अभी पानी की मात्रा बढ़ने से थोड़ा पाल्यूशन लेवल कम हुआ है। हमारी ओर से श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रतिदिन पानी की जांच की जा रही है।

जेबी सिंह, रीजनल आफिसर, उप्र पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड प्रयागराज