नम्बर गेम

15

रुपये है कचहरी से रामबाग तक का है किराया, पहले 14 रुपये लिए जाते थे।

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रुपये कचहरी से सिविल लाइंस तक का किराया। पहले आठ से नौ रुपये लिए जाते थे

15

रुपये सिविल लाइंस से झूंसी का है चार्ज, पहले यह भाड़ा 14 रुपये लिए जाते थे।

10

सिविल लाइंस से तेलियरगंज का है किराया, पहले आठ से नौ रुपये था लोग सात भी दे देते थे।

तिपहिया वाहन चालकों ने भी एक रुपये बढ़ा दिया है किराया

बोलने से कतराते रहे चालक, कुछ ने बताई अपनी समस्या

PRAYAGRAJ: सिटी में तिपहिया वाहनों से सफर करने वालों की जेब पर भी सिग्नल का अटैक हो रहा है। जगह-जगह रेड सिग्नल को देखते हुए प्रति सवारी चालकों ने एक रुपये चार्ज बढ़ा दिए हैं। इस चार्ज के बाद रेड सिग्नल चार चौराहे पर मिले या पांच उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वह आराम से सिग्नल पर गाडि़यों को स्टार्ट स्थिति में खड़ी किए रहते हैं। हालांकि बढ़ाए गए इस चार्ज का अहसास यात्रियों को नहीं हो रहा। लिहाजा सबकुछ सामान्य वे में चल रहा है। मंगलवार को हकीकत परखने निकले दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर से चालकों ने अपनी बात शेयर किया।

प्रति सवारी एक रुपये बढ़ा चार्ज

स्मार्ट सिटी व ट्रैफिक रूल्स के तहत शहर के हर चौराहे पर सिग्नल सिस्टम लगा दिए गए हैं। हालांकि इसकी टाइमिंग को लेकर अधिकारी ठोस व्यवस्था अब तक नहीं कर सके हैं। परिणाम यह है कि कई चौराहों पर लोगों को एक से डेढ़ मिनट तक रुकना पड़ रहा है। रेड सिग्नल पर रुकने वाली ओला से अटैच कार का चार्ज दो रुपए बढ़ा दिए गए हैं। यह खबर प्रकाशित होने के बाद लोगों ने बताया कि तिपहिया वाहन चालकों ने भी रेड सिग्नल पर खड़े रहने का प्रति सवारी दो रुपए भाड़ा बढ़ा दिया। इसकी पड़ताल की गई तो सच्चाई सामने आ गई। हकीकत जानने के लिए रिपोर्ट कचहरी से लेकर पत्रिका चौराहा व सिविल लाइंस चौराहे पर खड़े कई तिपहिया वाहन चालकों से बात की। कई चालक कुछ बोलने से कन्नी काटते रहे। हालांकि कुछ चालकों ने खुलकर सारी स्थिति पर प्रकाश डाला। चालकों ने बताया कि डीजल के रेट बढ़ते और घटते रहे हैं। दाम में स्थिरता नहीं आ पा रही है।

चालकों का तर्क, किराया बढ़ाने की कई वजह

- हर चौराहे पर रेड सिग्नल में एक से डेढ़ मिनट तक खड़े रहना पड़ता है। कुछ चौराहे ऐसे भी हैं जहां 30 या 40 सेकेंड ही रुकना पड़ता है।

- गाड़ी को बार-बार बंद व स्टार्ट करने पर तेल और भी ज्यादा लगता है। ऐसे में गाड़ी को स्टार्ट कर खड़े रहना ही बेहतर समझा जाता है।

- अस्थिर डीजल के दाम और हर चौराहे पर सिग्नल को देखते हुए मात्र एक रुपये प्रति सवारी किराया ज्यादा लिए जा रहे हैं। सवारियां भी समस्या को समझते हुए इसे देने में कोई झंझट नहीं करती।

- कुछ सवारियां ऐसी भी होती हैं जो चेंज के अभाव में कभी दो तो कभी तीन रुपये कम देकर चली जाती हैं, चालक को रोड पर चलना है तो झंझट करेगा नहीं

- ऐसे में जो एक रुपये चार्ज ज्यादा बढ़ाए गए हैं वह भी कुल मिलाकर बराबर हो जाता है, अब इसे किराया बढ़ाने की बात कैसे कह सकते हैं

कोट

डीजल के रेट व रेड सिग्नल को देखते हुए एक रुपये भाड़ा बढ़ाया गया है। कुछ यात्री समस्या को समझते हैं और वे बगैर आब्जेक्शन के भाड़ा देकर चले जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो कि 15 रुपये भाड़ा है तो दस ही देकर निकल लेते हैं। पूरा भाड़ा मांगने पर वे झगड़े पर आमादा हो जाते हैं। हमे रोड पर चलना है हम सब ऐसे लोगों से कब तक और कहां-कहां झगड़ा करते फिरेंगे। चौराहों पर 25 रुपये में टोकन नंबर के लिए दिए जाते हैं। मगर चालकों को सुविधाएं कुछ भी नहीं दी जातीं।

रामाकांत, सरयतीपुर सरायइनायत

एक रुपये में कौन सा किसी का नुकसान हो जाएगा। लेकिन यदि नहीं लेंगे तो हमारा नुकसान जरूर हो जाएगा। हम सब भी परिवार पालने के लिए इसे चलाते हैं। रोड पर कितनी समस्याएं आती हैं चालकों के सामने आज तक किसी ने नहीं पूछा। गाड़ी में आठ लोग हैं तो पांच ही पूरा किराया देते हैं। तीन कुछ न कुछ कम पकड़ा कर ही चले जाते हैं। डीजल के रेट कभी बढ़ जाते हैं तो कभी घट जाते हैं। अब जितनी बार डीजल के रेट बढ़ें उतनी बार किराया बढ़ाया जाया यह भी तो संभव नहीं है।

पारस नाथ, झूंसी