नई दिल्ली (आईएएनएस)। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने शुक्रवार को देश के कुछ हिस्सों में टिड्डी हमले के खतरे के मद्देनजर उड़ान संचालन के संबंध में सुरक्षा दिशा-निर्देश जारी किए। यहां एक बयान में, विमानन नियामक ने कहा टिड्डे आमतौर पर वायुमंडल के निचले स्तरों पर पाए जाते हैं और इसलिए उड़ान के महत्वपूर्ण लैंडिंग और टेक-ऑफ चरणों में विमान के लिए खतरा पैदा करते हैं। बयान में आगे यह भी कहा गया, 'सभी पायलटों को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यदि वे किसी उड़ान के दौरान टिड्डी दल देखते हैं, तो उन्हेंं टिड्डे के स्थानों की जानकारी साझा करनी होगी। जहां तक ​​संभव हो, यह दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि किसी भी ज्ञात टिड्डे झुंड के माध्यम से उड़ानों से बचा जाना चाहिए।'

विंडशील्ड पर वाइपर न चलाएं पायलट

डीजीसीए ने कहा, 'समस्या का एकमात्र अनुकूल पहलू यह है कि टिड्डियां रात में नहीं उड़ती हैं, इसलिए रात में फ्लाइट्स के लिए कोई खतरा नहीं है। विमान के विंडशील्ड पर टिड्डों का एक बड़ा झुंड पायलटों की दृष्टि को प्रभावित कर सकता है जो लैंडिंग और टेक-ऑफ के दौरान समस्या पैदा कर सकता है। ऐसे में वाइपर के उपयोग से धब्बा फैलने का खतरा बन सकता है। इसलिए डीजीसीए ने पायलटों को विंडशील्ड से टिड्डे को हटाने के लिए वाइपर का उपयोग करने से बचने की सलाह दी।

पार्क विमानों को रखें कवर

सुरक्षा निर्देशों के अनुसार, पायलटों को लॉग में प्रवेश करने के लिए भी निर्देशित किया गया है, जब वे टिड्डे के झुंड के बीच गुजरते हैं और किसी भी खराबी का अंदेशा होता है तो तुरंत इंजीनियरिंग चालक दल को अगली उड़ानों से पहले चेक का संचालन करने के लिए कहें। इसके अलावा, दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि टिड्डियों ने पार्क किए गए विमानों के लिए कोई खतरा तो पैदा नहीं किया है, और इसलिए संभावित हवाई इनलेट को कवर किया जाना चाहिए।

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