- तमाम कयासों के बीच डीजीपी ने रैतिक परेड में लिया हिस्सा

- आईपीएस से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की प्रशंसा की

- तीन माह का एक्सटेंशन मिलने से बढ़ेगा पुलिस का मनोबल

LUCKNOW:केंद्र सरकार ने डीजीपी सुलखान सिंह को तीन माह का सेवा विस्तार प्रदान कर दिया है। शुक्रवार देर शाम केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने इसका आदेश जारी कर दिया। हालांकि आदेश में उनके सेवा विस्तार की तिथि 30 जून 2017 होने से असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने इस बाबत कहा कि राज्य सरकार इसमें सुधार कर लेगी। इसके चंद पलों बाद ही नया आदेश भी जारी हो गया। इससे पहले सेवा विस्तार की अटकलों के बीच डीजीपी ने विदाई परेड में हिस्सा लिया और शाम को उनके सेवा विस्तार की सूचना से पुलिस महकमे में खुशी की लहर दौड़ गयी। डीजीपी ने विदाई परेड में अपने संबोधन से फिर एक बार फिर मातहतों का दिल जीत लिया। साथ ही एसटीएफ पर साजिश के तहत लगाए गये कलंक को भी धो दिया। महज पांच महीने के कार्यकाल में अपनी कार्यशैली से यूपी पुलिस की सूरत बदलने वाले सुलखान सिंह का सेवा विस्तार दिया जाना यूपी पुलिस की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

शुरू की इनकाउंटर की मुहिम

दरअसल सूबे मे भाजपा सरकार बनने के बाद कानून-व्यवस्था और अपराधों की रोकथाम के लिए किसी साफ -सुथरी और सख्त छवि के डीजीपी की दरकार थी। प्रदेश सरकार ने जावीद अहमद की जगह सुलखान सिंह को तवज्जो दी तो पुलिस की सूरत भी बदलने लगी। महज चार माह के कार्यकाल में पुलिस ने उनके नेतृत्व में करीब 450 मुठभेड़ अंजाम दी तो बीस से ज्यादा बदमाशों को ढेर कर दिया। तमाम इनामी बदमाश या तो पुलिस के हत्थे चढ़ गये अथवा उन्होंने सरेंडर करने मे ही अपनी भलाई समझी। इसे देखते हुए राज्य सरकार उन्हें डीजीपी के पद पर बरकरार रखना चाहती थी और इसके लिए केंद्र सरकार से तीन माह का सेवा विस्तार दिए जाने का सिफारिशी पत्र भी भेजा गया था। देर शाम केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने उनके सेवा विस्तार का आदेश जारी कर दिया। अब वे इस साल के अंत तक डीजीपी के पद पर बने रहेंगे। मालूम हो कि इससे पहले पूर्ववर्ती सपा सरकार में डीजीपी एके जैन को सेवा विस्तार मिला था।

साथी पुलिसकर्मियों ने बचाई जान

इससे पहले डीजीपी ने उत्कृष्ट परेड के लिये सभी अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि उनके सेवाकाल के दौरान अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियो ने पूरे मनोयोग के साथ ड्यूटी दी। मातहतों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वर्ष 1984 में एक मुठभेड़ के दौरान उनके स्टेनगन की मैगजीन निकल गयी, उस वक्त उनके जीवन को खतरा उत्पन्न हो गया था, तब साथी पुलिसकर्मियों ने डकैतों से कड़ा मुकाबला किया और उनकी जान बचाई। कहा कि यूपी पुलिस ने चाहे जैसी भी चुनौतियां आयी हों, कामयाबी हासिल की। आतंकवाद का दौर में उपलब्ध हथियारों के बल पर यूपी पुलिस ने आतंकवाद के ज्वार को मोड़ दिया। यूपी पुलिस का इतिहास अत्यन्त गौरवशाली रहा है और उसने हर विधा में देश के अन्य बलों को रास्ता दिखाया है। अपनी सफलता के पीछे उन्होंने मातहतों की कड़ी मेहनत को वजह बताया तो वहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का जिक्र कर उनका दिल जीत लिया। परेड में पीएसी, पुलिस, महिला पुलिस, यातायात की टुकडि़यां थी जिसकी प्रथम कमांड एसपी सिक्योरिटी शैलेश कुमार पांडे, द्वितीय कमांड एसपी सिटी लखनऊ अनुराग वत्स थे। वहीं एडीजी पीएसी आरके विश्वकर्मा एवं एडीजी लखनऊ जोन अभय कुमार प्रसाद समेत तमाम वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद थे।

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चंद्रहास का हुआ सम्मान

डीजीपी द्वारा इस अवसर पर लांस एंजेलिस कैलिफोर्निया, यूएसए में आयोजित व‌र्ल्ड पुलिस फायर गेम्स 2017 में पांच पदक प्राप्त करने वाले प्लाटून कमांडर द्वितीय वाहिनी पीएसी सीतापुर चंद्रहास कुशवाहा को एक लाख रूपये का पुरस्कार एवं प्रशंसा चिन्ह प्रदान किया गया।

डीजीपी का संक्षिप्त जीवन परिचय

- सुलखान सिंह का जन्म 8 सितंबर 1957 को बांदा में हुआ।

- बीई पीजी डिप्लोमा तथा एलएलबी के बाद 1980 में आईपीएस बने

- लखनऊ में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में पहली पोस्टिंग

- आगरा, इलाहाबाद, सहारनपुर, पीलीभीत के अलावा पुलिस की कई शाखाओं में अहम पदों पर रहे

- अप्रैल 1997 को डीआईजी बने। एसीओ लखनऊ, मीरजापुर रेंज इलाहाबाद रेंज की जिम्मेदारी संभाली

- नवंबर 2001 को आईजी के पद पर प्रोन्नत हुए। सीबीसीआईडी, तकनीकी सेवाएं, पीएसी, टेलीकॉम, कारागार में तैनाती

- जनवरी 2010 को एडीजी बनने के बाद कारागार, प्रशिक्षण मुख्यालय, पीएचक्यू इलाहाबाद, पीटीएस उन्नाव के पदों पर नियुक्त हुए

- मार्च 2014 को डीजी बने। पीटीएस उन्नाव, प्रशिक्षण निदेशालय में कार्यरत रहे

- 22 अप्रैल 2017 को डीजीपी के पद पर नियुक्त हुए

-सराहनीय सेवाओं के लिये पुलिस मेडल एवं विशिष्ट सेवाओं के लिये राष्ट्रपति का पुलिस मेडल मिल चुका है