धनतेरस पर भगवान की मूर्ति खरीदते वक्त जरूर रखें इन बातों का ख्याल...

1. बाईं सूंड : श्री गणेश जी की जिस मूर्ति में सूंड आगे से बाईं ओर मुडी हो, उसे वाममुखी कहते हैं। वाम यानी बाईं ओर या उत्तर दिशा। माना जाता है कि ये मूर्तियां इड़ा नाड़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं और यह शीतलता प्रदान करती है| इसलिए पूजा में अधिकतर वाममुखी गणपति की मूर्ति रखी जाती है। यदि आप भौतिक समृद्धि के लिए घर में गणेश मूर्ति रखना चाहते हैं, तो सूंड में लड्डू यह दर्शाता है कि गणेश का अपना पसंदीदा भोजन उनके हाथ में है। यहां लड्डू भौतिक लाभ और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
धनतेरस 2018: प्रथम पूजनीय श्री गणेश की श्रेष्‍ठ प्रतिमा कैसी हो? घर लानें से पहले जानें जरूर

2. दाईं सूंड : जिस मूर्ति में सूंड के अग्रभाव का मोड़ दाईं ओर हो, उसे दक्षिणाभिमुखी मूर्ति कहते हैं। यहां दक्षिण का अर्थ है दक्षिण दिशा या दाईं बाजू माना जाता है| दाईं पक्षीय गणेश मूर्ति पिंगला नाडी का प्रतिनिधित्व करती है- जो सूर्य ऊर्जा से संबंधित है। इनकी पूजा बहुत विधि विधान से होती है |
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3. सीधी सूंड: जिस मूर्ति में सूंड सीधे सामने की तरफ होती है। यह सर्वोच्च प्रतीकवाद है। माना जाता है कि सीधी पक्षीय गणेश मूर्ति सुषुम्ना नदी का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसी मूर्तियां बहुत ही दुर्लभ और विशेष हैं। इसकी विशेष बात यह है कि सूंड को हवा में हमेशा सीधा ही घुमाया जाता है। इसका मतलब है कि कुंडलिनी शक्ति (ताज चक्र) तक पहुंच गई है। यह ज्ञान का प्रतीक है।
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साथ ही, ध्यान रखें कि गणेश एक सत्त्विक देवता है। एक शुद्ध वातावरण बनाएँ। भगवान गणेश का पसंदीदा भोजन मोदक और लडु है। जब भी आप गणेश के लिए प्रसाद बनाने की योजना बनाते हैं तो बहुत भक्ति और शुद्धता के साथ बनाएं। भगवान गणेश के प्रसाद वाले भोजन का कभी भी स्वाद न लें। गणेश जी को भोग लगाने के बाद ही आप उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं।

द्वारा - टैरो कार्ड रीडर और एस्ट्रोलॉजर 'पल्लवी शर्मा'

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