कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Dhanteras 2020 Puja Muhurat: दिवाली का त्यौहार पांच दिनों का होता है, जिसकी शुरुआत धन त्रियोदशी से होती है। इसे धनतेरस भी कहा जाता है। धन त्रयोदशी प्रदोष व्यापिनी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी के दिन मनायी जाती है। इस बार दिनाँक 13 नवंबर 2020,शुक्रवार को सूर्योदय कालीन त्रयोदशी सांय काल 11:59 बजे तक रहेगी। इस दिन शुभ फल देने वाला चित्रा नक्षत्र रात्रि 11:06 बजे तक रहेगा। प्रीति योग पूर्वाह्न 11:43 बजे तक रहेगा तदोपरांत शुभ आयुष्मान योग आरम्भ होगा जोकि सम्पूर्ण रात्रि के बाद अगले दिन प्रातः 7:30 बजे तक रहेगा।

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शुक्रवार को धनतेरस का होना शुभ
ज्योतिष के अनुसार शुक्रवार को धनतेरस का होना शुभ होगा।इस दिन चंद्र का भी संचार शुक्र की तुला राशि मे होना शुभ रहेगा।गोचर में शुक्र-बुध ग्रह का राजयोग भी बन रहा है जोकि धनतेरस पर कुबेर जी को प्रसन्न करने के साथ व्यापार शुभ कार्यों के आरम्भ करने के लिए भी अतिश्रेष्ठ रहेगा। इस दिन चर्तुमास की समाप्ति होगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, भगवान धनवन्तरि आयुर्वेद विद्या के जनक माने जाते हैं। समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि इसी दिन समुद्र से हाथ में अमृत कलश लिये प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन को धन्वन्तरि जयंती भी कहा जाता है ऐसा भी माना जाता है कि समुद्र मन्थन के समय शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्र देव, कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनू गाय, त्रियोदशी के दिन, भगवान धन्वन्तरि, चर्तुदशी तिथि के दिन माँ काली एवं अमावस्या के दिन महा लक्ष्मी का प्रर्दुभाव हुआ था।

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बर्तन-आभूषण खरीदने का शुभ मूहूर्त
*प्रात: काल 06:44 बजे से 10:45 बजे तक चर, लाभ,अमृतके चौघड़िया* मुहुर्त में रहेगा। बर्तन एवं आभूषण क्रय मुहुर्त मध्याह्न 12:04 बजे से 13:24 बजे* तक शुभ के चौघड़िया मुहुर्त एवं अभिजीत मुहूर्त में शुभ रहेगा। यम दीप दान मुहुर्त सायं काल 5:32 से 6:45 बजे* तक प्रदोष काल वेला की निशा मुख में शुभ रहेगा।

कुबेर पूजन मुहुर्त-
रात्रि काल 8:44 बजे से रात्रि 10:24 बजे तक लाभ के चौघड़िया में शुभ रहेगा। (आरोग्य एवं आयुष्य प्राप्ति हेतु प्रात: काल करें धन्वन्तरि पूजा)

पूजन सामग्री:-
चौकी, पीला रेशमी वस्त्र, रोली, मौली, पान, सुपारी, पुष्प, धूप दीप चावल, चन्दन हल्दी, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, नैवेध, शुद्ध जल, आवश्यक पात्र आदि। इस दिन दीर्घायु की प्राप्ति एवं आरोग्यपूर्ण जीवन हेतु प्रात:काल शरीर पर तेल लगाकर, स्नान करके भगवान, धन्वन्तरी का ध्यान एवं पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर भगवान धन्वन्तरिा जी की का चित्र स्थापिता कर रोली, मोली, अक्षत्र, चन्दन आदि से उनका पूजन करना चाहिए, पुष्प माला पहनाकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान धन्वन्तरि से आरोग्य की प्रार्थना करना चाहिए।

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मन्त्र:- ऊँ रं रूद्र रोगनाशय धन्वन्तयै फट्।।
अन्त में धूप, दिखाकर भगवाान धन्वन्तरि की आरती उतारें, ऐसा करने से साधक को आरोग्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा।
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।