कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। धनतेरस के पर्व को दीपावली की शुरुआत माना जाता है। धनतेरस के शुभ दिन देवी लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा की जाती है। हिंदू विचारधारा के अनुसार, धनतेरस को खरीदारी के लिए साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन झाड़ू, बर्तन, आभूषण, सोना और चांदी आदि खरीदने का रिवाज है। नाम के अनुसार ही धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन दीपावली के पांच दिवसीय त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस के दो दिन बाद कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है।

महत्व
धनतेरस का शाब्दिक अर्थ धन (धन) के लिए तेरहवें दिन (तेरस) है, क्योंकि यह त्योहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के कार्तिक महीने के तेरहवें दिन मनाया जाता है। इस साल धनतेरस का पर्व 2 नवंबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। इस वर्ष त्रयोदशी तिथि 2 नवंबर को सुबह 11:31 से शुरू होकर 3 नवंबर को सुबह 09:02 बजे तक रहेगी। मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। धनतेरस के दिन बर्तन, सोना-चांदी, आभूषण, झाडू और धनिया खरीदना शुभ माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि की पूजा करने के लिए मनाया जाता है।

इतिहास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन देवी लक्ष्मी सोने से भरे बर्तन और भगवान कुबेर के साथ दूध के सागर से निकली थीं। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान कुबेर को लेकर आती हैं। इसलिए, लोग देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर (धन के देवता) की पूजा करते हैं। धनतेरस को यमदीपन के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि लोग भगवान यमराज - मृत्यु के देवता - की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने और परिवार की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करते हैं। परिवार में किसी भी तरह की असामयिक मृत्यु से बचने के लिए घर के बाहर एक दीया जलाया जाता है।

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