रिपोर्ट बुधवार को

किरीट पारिख समिति ने डीजल के दाम में तत्काल चार से पांच रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी की सिफारिश की है. साथ ही सरकार द्वारा नियंत्रित पेट्रोलियम उत्पादों के लिए मौजूदा मूल्य प्रणाली को ही जारी रखने का सुझाव दिया है. डीजल और रसोई गैस की कीमत तय करने के लिए गठित यह समिति सरकार को अपनी रिपोर्ट बुधवार को सौंपेगी.

तेल कंपनियों का बोझ कम

सूत्रों के मुताबिक, विशेषज्ञ समूह का कहना है कि डीजल, किरोसिन और रसोई गैस के लिए मौजूदा कीमत प्रणाली जारी रहे. लागत की तुलना में कम कीमत पर डीजल की बिक्री से तेल कंपनियों पर पड़ रहे बोझ को कम करने के लिए एकमुश्त वृद्धि कर दी जाए. साथ ही इस पर जो सब्सिडी दी जा रही है, उसे खत्म करने के लिए हर महीने एक रुपये प्रति लीटर कीमत बढ़ाई जाए. पेट्रोलियम उत्पादों के भारी आयात बिल के चलते हाथ से बाहर निकल रही अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार सब्सिडी का बोझ जल्द से जल्द हल्का करना चाहती है.

17,618 करोड़ बचाए जा सकते थे

पिछले वित्त वर्ष से ही वित्त मंत्रालय रिफाइनरियों को वही कीमत देने पर दबाव बना रही है जो उन्हें आयात करने में चुकाना पड़ रहा है. मंत्रालय का तर्क है कि यदि आयात आधारित मूल्य फॉर्मूला (आयात मूल्य, कर और ट्रांसपोर्टेशन) अपनाया जाए तो पिछले साल के सब्सिडी बिल 1,61,029 करोड़ रुपये में से 17,618 करोड़ रुपये बचाए जा सकते थे. समिति ने मंत्रालय के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा है कि केरोसिन और एलपीजी के दाम भी धीरे-धीरे बढ़ाने का सुझाव दिया है. इससे दो से तीन साल के अंदर कीमत बाजार मूल्य के हिसाब से हो जाएगी.

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