'जान दे देंगे, पर जमीन नहीं'

- वक्ताओं ने सरकार और ब्यूरोक्रेसी को निशाने पर लिया

- कहा, किसी तरह की मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी

- मिनिस्टर सम्राट चौधरी के साथ हुई कई वार्ताओं का असर नहीं

PATNA: सरकार दावा करती है कि वह दीघा जमीन विवाद सलटाना चाहती है और दूसरी तरफ सरकार के खिलाफ गुस्सा और बढ़ रहा है। आज भी सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी हुई। एमडी के खिलाफ बोलते हुए कई वक्ताओं ने मनमानी का आरोप लगाया। दीघा के घुड़दौड़ रोड के पास स्थानीय लोगों ने महाधरना दिया। महाधरना का मतलब ये है कि कई बार अरबन मिनिस्टर सम्राट चौधरी से हुई वार्ता बेनतीजा रही है। उनके कई बार समझाने का असर स्थानीय लोगों पर नहीं हो रहा है। महाधरना में खूब नारेबाजी हुई। महाधरना में एमएलए नितिन नवीन भी पहुंचे। कुछ लोगों ने उनका विरोध भी किया और वहां से निकल गए, लेकिन विरोध कर रहे लोगों के चले जाने के बाद एमएलए नितिन नवीन मंच पर देर तक बैठे।

यह सामाजिक लड़ाई है

लोगों ने महाधरना में कहा कि ये लड़ाई सामाजिक लड़ाई है। इसे राजनीतिक लड़ाई नहीं बनने देंगे। सरकार की किसी भी राजनीति का जवाब सामाजिक रूप से दिया जाएगा। एमडी के खिलाफ भी कई वक्ताओं का का गुस्सा फूटा और केस तक करने की धमकी दे दी गई। महाधरना में मनोरंजन प्रसाद सिंह, चंद्रवंशी मुखिया, वीरेन्द्र सिंह, दशरथ राय, वीरेन्द्र कुमार, आरसी सिंह, देवचंद्र ठाकुर, नीरज ठाकुर, शशि सिंह, रवि सिन्हा, हरेन्द्र कुमार आदि स्थानीय लोगों ने मंच से अपनी बात रखी और लड़ाई जारी रखने का संकल्प दुहराया।

क्या है मामला

क्97ब् में सरकार ने क्0फ्क् एकड़ की आधिसूचना जारी की। इसमें ख्9 एकड़ कुछ प्रभावशाली लोगों का था, जिसे छोड़ देने का आरोप लोग लगाते हैं। क्0ख्ब्.भ्ख् एकड़ जमीन पर अधिसूचना जारी रखी गई और जमीन हाउसिंग बोर्ड के तहत डेवलप करने के लिए लिया। मामला जब कोर्ट गया, तो क्98ब् में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया जिसमें ख्9 एकड़ भी अधिग्रहित करने की बात कही गई व किसानों को साढ़े सात परसेंट प्रति साल इंटरेस्ट के साथ रुपए का भुगतान किया जाए। ख्0क्ब् में स्थिति ये कि न ख्9 एकड़ जमीन एक्वायर हुआ न किसानों को रूपए दिए। स्थानीय लोग ये भी बताते हैं कि 90 परसेंट जमीन यहां बिक चुकी है। तेतरीय देवी को म्ब् हजार का चेक मिला था उनके बारे में लोगों का कहना है कि ये भी डिजऑनर हो गया था। सीआरपीएफ और सीपीडब्ल्यूडी दोनों को मिलाकर लगभग तीन एकड़ जमीन पर कब्जा करने का आरोप भी लोग लगाते हैं। बताया कि किसानों ने मामले में केस किया हुआ है।

दीघा एक्ट और हाउसिंग स्कीम में अंतर हो

लोग आरोप लगाते हैं कि ख्0क्0 में कहा गया था कि मकान नहीं तोड़ेंगे। ख्0क्ब् में कहा कि पश्चिम के चार सौ एकड़ में बसे मकान तोड़ेंगे। पूरब के बारे में कहा गया कि छह सौ एकड़ में बने मकान में सर्किल रेट के हिसाब से रूपए लेकर खास महल की तरह देंगे।

कैबिनेट में खोजा गया रास्ता

पूरे विवाद के हाल में हुई बिहार कैबिनेट की मीटिंग में ये पास हुआ कि दो कट्टे या इससे कम जमीनवालों को सर्किल रेट का ख्भ् परसेंट शुल्क 90 दिनों के अंदर बैंकों में जमा करना होगा। 90 दिनों के बाद या क्ख्0 दिनों के पहले जमा करने पर उन्हें भ्0 परसेंट शुल्क देना पड़ेगा। इसके बाद सर्किल रेट का शत-प्रतिशत शुल्क भुगतान करने पर जमीन को नियमित किया जाएगा। दो कट्ठे से ज्यादा जमीन पर सर्किल रेट पर भ्0 परसेंट शुल्क जमा करना होगा। प्रधान मुख्य सड़क की जमीन पर सर्किल रेड का 7भ् परसेंट और व्यावसायिक जमीन के लिए सर्किल रेड का एक सौ परसेंट शुल्क जमा करना होगा। तय हुआ कि जिनके पास अधिक जमीन है वे यदि जमीन आवास बोर्ड को वापस करेंगे तो उन्हें भी सर्किल रेट के आधार पर भुगतान किया जाएगा। जिस जमीन पर किसान का कब्जा है या उन्होंने जमीन की बिक्री कर दी है और मकान नहीं बना है, वैसे भूखंडों को आवास बोर्ड अपने कब्जे में ले लेगा। इसके एवज में जमीन मालिकों को सर्किल रेट के आधार पर आवास बोर्ड भुगतान करेगा।

ब्0 सालों में काफी कुछ बदल गया

ब्0 साल कम नहीं होते। इस बीच, राजीव नगर में किसानों और निवासियों ने कई घर बना लिए। अब यहां वार्ड नंबर क् और वार्ड नंबर म् बन चुका है। इतने वर्षो के बाद जब मुआवजे की बात की जा रही है तो विरोध तेज है।

इस तरह से देना होगा शुल्क

दो कट्ठे या इससे कम जमीन पर- ख्भ् परसेंट

दो कट्ठे से ज्यादा जमीन पर- भ्0 परसेंट

प्रधान मुख्य सड़क की जमीन पर- 7भ् परसेंट

व्यावसायिक जमीन पर- क्00 परसेंट

इनका भी है विरोध

- 90 दिनों के अंदर बैंकों में जमा करना होगा शुल्क

- शुल्क लेकर जमीन पर कानूनी अधिकार दिया जाएगा

- जिस जमीन पर किसानों का कब्जा है या बिक्री के बाद मकान नहीं बनाया गया है उसे आवास बोर्ड ले लेगा।

सरकार की जो मंशा है वह पूरी नहीं होने देंगे। सरकार सही रास्ते पर नहीं है। हमने कलकत्ता में किसान से रजिस्ट्री कराया है। ऐसे कैसे सरकार की मनमानी चलेगी।

आरसी सिंह, स्थानीय

सरकार का रवैया राजीव नगर के नागरिकों के साथ ठीक नहीं हो रहा है। मनमानेपन के साथ बात मनवाने की कोशिश की जा रही है। हम सभी मिलकर सरकार के साथ अपने हक की लड़ाई लडे़ंगे।

नीरज ठाकुर, स्थानीय

सरकार हमारी ही जमीन छोड़ना नहीं चाहती। बड़े-छोटे और गरीब-अमीर में हमें बांटना चाहती है। हम इस मंसूबों को पूरा नहीं होने देंगे।

-आमोद दत्ता, स्थानीय

जमीन मेरी है। मेरी ही रहेगी। सरकार के बीच में ना पड़े। सरकार या पुलिस बीच में आएगी तो हम सब मिलकर ईंट से ईंट बजा देंगे।

-सोनू पटेल, स्थानीय

हमलोग ने खुद से जमीन खरीदी है मुआवजा देकर। सरकार गलत बात कर रही है। कोई मुआवजा नहीं देगा। सवाल ही पैदा नहीं होता।

-जसमीन, स्थानीय

जमीन कैसे देंगे। गहना बेचकर जमीन लिया है। बाल-बच्चा को लेकर कहां जाएंगे हम सब? जमीन नहीं देंगे। सरकार लड़ाई करेगी हमने तो हम सरकार के सामने जान दे देंगे।

-भागमणि देवी, स्थानीय

हमलोगों के अभिभावकों ने पाई-पाई जोड़कर आशियाना बनाया। उसे सरकार तोड़ना चाहती है। हम युवा बड़ी लड़ाई लड़ना चाहते हैं। हम आर ब्लॉक तक जाएंगे और जरूरत पड़ी तो आत्मदाह भी करेंगे।

-मंटू सिंह, स्थानीय

मैं विकलांग हूं। मेरे गार्जियन रिटायर हो चुके हैं। हमें यहां से हटा दिया जाएगा तो हम कहां जाएंगे। कैसे जिएंगे। हम सरकार की मनमानी कैसे बर्दाश्त कर लेंगे।

- पिंटू गिरि, स्थानीय