एमएनएनआईटी में भारतीय-अफगानी छात्र भिड़ंत प्रकरण

पूरी जांच प्रक्रिया पर लगा गंभीर सवालिया निशान

चीफ प्रॉक्टर बोले मंडे को सौंपेंगे ओरिजनल रिपोर्ट

ALLAHABAD: देश के प्रतिष्ठित संस्थान में एक मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) में अफगानी और भारतीय छात्रों के बीच हुई भिड़त मामले में पूरी जांच ही सवालों के घेरे में आ गई है। सीधे शब्दों में कहें तो अब न तो किसी जांच का कोई मतलब रह गया है और न ही किसी जांच कमेटी की कोई वैधानिकता है। चीफ प्रॉक्टर की ओर से अधिकृत रिपोर्ट पेश किए जाने से पहले ही घटना के आरोपियों को माफीनामा देकर पूरे प्रकरण को रफा-दफा कर देने की कोशिश की गई।

पहले ही आरोपों से कर दिया बरी

फ्राईडे की शाम तक अफगानी और भारतीय छात्रों के बीच हुई मारपीट का मामला निपटता नजर आ रहा था। एमएनएनआईटी के डायरेक्टर प्रो। पी। चक्रबर्ती का कहना था कि दोनो पक्षों के छात्रों ने लिखित में माफीनामा दिया है। जिसके बाद उन्हें आरोपों से बरी कर दिया गया। इस बीच देर शाम इस पूरे प्रकरण की जांच कर रहे चीफ प्रॉक्टर प्रो। आरपी तिवारी ने यह कहकर सनसनी मचा दी कि डायरेक्टर एमएनएनआईटी उनपर भारतीय छात्रों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने इसका विरोध किया तो डायरेक्टर ने उनसे अभद्रता की और उनका कॅरियर खराब करने की धमकी दी। चीफ प्रॉक्टर ने डायरेक्टर को बताया था कि छात्रों के होली की छुट्टी पर घर चले जाने के कारण रिपोर्ट अभी अधूरी है।

कैसी जांच और कैसा फैसला

यही नहीं चीफ प्रॉक्टर ने यह भी बताया था कि उनसे जांच रिपोर्ट का कच्चा चिट्ठा जबरन ले लिया गया और इसके मिनट्स पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के बाकी सदस्यों के हस्ताक्षर करवा लिये गये। जबकि, उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किया। इससे यह सवाल खड़ा होना लाजिमी है कि बिना चीफ प्रॉक्टर के हस्ताक्षर के कैसी जांच और कैसा फैसला? चीफ प्रॉक्टर का कहना है कि वे अपनी जांच रिपोर्ट की ओरिजनल कांपी मंडे को डायरेक्टर को सौपेंगे। हालांकि, डायरेक्टर और चीफ प्रॉक्टर के बीच तनातनी होने से कोई पारदर्शी निर्णय होने की उम्मीद करना भी बेमानी ही है।

चीफ प्रॉक्टर का पद ही नहीं

यही नहीं चीफ प्रॉक्टर ने आई नेक्स्ट से हुई बातचीत में कहा है कि उन्हें जो एडवाइजरी नोट भेजा गया है वही गलत है। क्योंकि, एनआईटी के संविधान में चीफ प्रॉक्टर का कोई पद ही नहीं है। ऐसे में अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में चल रहे डायरेक्टर प्रो। पी। चक्रबर्ती घिरते नजर आ रहे हैं। क्योंकि, चीफ प्रॉक्टर ने उनकी शिकायतों का पुलिंदा बीओजी के चेयरमैन वीके थडानी को भेजने की पूरी तैयारी कर ली है। एक बात और इस पूरे मामले में एमएनएनआईटी के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका शुरू से संदिग्ध रही है। रजिस्ट्रार संजीव बनर्जी शुरु से ही इसे मामूली घटनाक्रम बता रहे थे। यह बात उन्होंने मीडिया को पत्र जारी करके भी स्वीकारी थी।

जवाबदेही से बच रहे अधिकारी

जबकि चीफ प्रॉक्टर ने अपनी जांच में पूरी घटना को सत्य बताया है। इससे इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि नीचे के अधिकारियों ने डायरेक्टर को अंधेरे में रखने की कोशिश की। डायरेक्टर प्रो। पी। चक्रबर्ती भी अधिकारियों के लापरवाह रवैये पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। एक बात और ऐसे समय जब अफगानी छात्रों से जुड़े मसले पर सबकी निगाह टिकी हुई है। तब एमएनएनआईटी के पीआरओ डॉ। शिवेस शर्मा छुट्टी पर चले गए हैं। इससे कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि अधिकारी जवाबदेही से बचने की कोशिश में लगे हैं।