- आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र का उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर अथॉरिटी में विलय का है प्रस्ताव

-बुधवार को कैबिनेट में प्रस्ताव रखने की थी तैयारी

-केन्द्र के 35 कर्मचारियों के बारे में नहीं किया गया कोई फैसला

DEHRADUN : वर्ष 2011 तक राज्य में आने वाली हर दैवीय आपदा को अपने स्तर पर निपटने वाले आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र (डीएमएमसी) का भविष्य अधर में लटक गया है। शासन ने इस केन्द्र का केदारनाथ आपदा के बाद गठित उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (यूएसडीएमएए) में विलय करने का फैसला किया है। इस संबंध में बुधवार को हुई कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की तैयारी की गई थी, लेकिन ऐन वक्त पर इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखने का इरादा छोड़ दिया गया। सूत्रों का कहना है कि केन्द्र में काम करने वाले 35 कर्मचारियों के बारे में कोई फैसला न होने के कारण ऐसा किया गया है।

ऑटोनॉमस बॉडी था केन्द्र

राज्य गठन के बाद से ही आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र अपने स्तर पर आपदाओं में राहत और बचाव कार्य चलाता रहा है। यह एक ऑटोनॉमस बॉडी थी, जो यूनाइटेड नेशन डिजास्टर प्रोग्राम (यूएनडीपी) के अन्तर्गत काम करता था और इसके खर्च का वहन व‌र्ल्ड बैंक से लिये गये लोन से किया जाता था। ख्0क्क् में यूएनडीपी बंद होने के बाद राज्य सरकार की ओर से सचिवालय में आपदा न्यूनीकरण केन्द्र का संचालन किया जा है।

ख्0क्फ् में बना यूएसडीएमए

राज्य सरकार ने उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी का गठन ख्0क्फ् में केदारनाथ आपदा के बाद किया था। इसके तहत सभी जिलों में जिला आपदाकालीन परिचालन केन्द्र खोले गये और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी सहित विभिन्न पदों का सृजन किया गया। यूएनडीपी के तहत संचालित जिला स्तर के केन्द्रों को ही जिला आपदाकालीन प्रबंधन केन्द्र में मर्ज कर दिया गया।

डीएमएमसी का होना है विलय

शासन स्तर पर अब आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र का यूएसडीएमए में विलय किये जाने का प्रस्ताव किया गया है। इस संबंध में सभी तैयारियां पूरी कर दी गई हैं। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठकर में इस प्रस्ताव पर मुहर लगनी थी, लेकिन ऐन वक्त पर प्रस्ताव में कैबिनेट में नहीं रखा गया। सूत्रों का कहना है कि इस प्रस्ताव को अब अगली कैबिनेट बैठक में पास किया जा सकता है।

फ्भ् कर्मचारियों का भविष्य लटका

डीएमएमसी में कुल ब्ख् कर्मचारी काम कर रहे हैं। ये सभी वे कर्मचारी हैं जो इस केन्द्र के शुरू होने के समय से ही काम कर रहे हैं और ख्0क्फ् तक अपने दम पर और उसके बाद यूएसडीएमए के साथ मिलकर काम करते रहे हैं। ख्0क्फ् की आपदा में भी इस केन्द्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विलय के प्रस्ताव में इस केन्द्र के केवल सात कर्मचारियों के पद ही प्राधिकरण में सृजित किये गये हैं, बाकी फ्भ् कर्मचारी कहां जाएंगे, इस बारे में अभी कुछ भी तय नहीं है।

यूएसडीएमए अभी निष्प्रभावी

आपदा प्रबंधन के मामले में अब तक डीएमएमसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हालांकि यूएसडीएमए का गठन केदारनाथ आपदा के बाद ख्0क्फ् में कर दिया गया था, लेकिन अब तक यह प्राधिकरण पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो पाया है और आपदा प्रबंधन संबंधी सारी जिम्मेदारियां डीएमएससी ही उठाता रहा है।

शासन स्तर पर हो चुके हैं आदेश

शासन स्तर पर डीएमएमसी का यूएसडीएमए में मर्ज कर दिये जाने के पहले ही आदेश दे दिये गये हैं। कार्मिक और वित्त विभाग को भी इसके लिए मंजूरी मिल चुकी है। अब सिर्फ कैबिनेट की मुहर की जरूरत है, हालांकि इससे पहले इस मर्जर को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है।