एक नजर में वृद्धाश्रम

150 लोगों के वृद्धाश्रम में रहने का है इंतजाम

77 लोग मौजूदा समय में वृद्धाश्रम में रहते हैं

15 महिलाएं रह रही हैं इन दिनों वृद्धाश्रम में

62 पुरुष वृद्धाश्रम में एक साथ रहते हैं

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-नैनी स्थित आधारशिला वृद्धाश्रम में परंपरागत अंदाज में मनाई गई दीपावली

prakashmani.tripathi@inext.co.in

PRAYAGRAJ: जिनसे खून का रिश्ता था वह अब टूट चुका है। जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर हैं। लेकिन फिर भी आंखों में उम्मीद का दिया झिलमिला रहा है। अपनों का साथ तो नहीं है, लेकिन जो साथ हैं, वो अपनों से कम नहीं हैं। यह नजारा है नैनी स्थित आधारशिला वृद्धाश्रम का। यहां रहने वाले बुजुर्गो ने रविवार को नए परिवार के साथ पूरे परंपरागत अंदाज में दीपावली का पर्व सेलिब्रेट किया।

याद आती है, पर याद नहीं करते

आधारशिला वृद्धाश्रम में रहने वाले सीनियर जर्नलिस्ट शीतल मुखर्जी भी इनमें से एक हैं। शीतल मुखर्जी की फैमिली में पत्नी डॉ। शोभा मुखर्जी, बेटा सौरभ और बेटी स्निग्धा हैं। यह सभी लोग पेरिस में रहते हैं। लेकिन शीतल मुखर्जी अपनी धरती पर रहकर जिंदगी को एंज्वॉय कर रहे हैं। वह कहते हैं कि फैमिली और बीते दिनों की बात याद करने का कोई तुक नहीं है। यह यादें सिर्फ टीस और दर्द देती हैं। हिंदी और इंग्लिश के साथ ही संस्कृत में भी शानदार पकड़ रखने वाले शीतल मुखर्जी वृद्धाश्रम को नया घर और वहां रहने वालों को नई फैमिली मानते है। कहते भी हैं कि बस इसी फैमली के साथ रहना है और यहीं आखिरी सांस लेनी है।

रोज की लड़ाई से ऊब छोड़ा था घर

मिर्जापुर के शिवपुर निवासी रामकिशन पटेल की कहानी और मार्मिक है। पेशे से कृषक रामकिशन की खेती ही उनकी जिंदगी का सहारा थी। खेती कम होने लगी तो जीविका की तलाश में वाराणसी चले गए। लेकिन एक उम्र के बाद काम छूट गया। घर लौटे तो वहां रोज-रोज बेटों की लड़ाई से मन उकता गया। परेशान होकर आधारशिला वृद्धाश्रम में चले आए। तब से यही उनका परिवार है। वह कहते हैं यहां कम से कम सुकून तो है।

एमपी से आए हैं भोपाल सिंह

एमपी के पन्ना जिले के रहने वाले भोपाल सिंह की फैमिली में दो बेटे हैं। सात साल पहले घर से परेशान होकर उन्होंने परिवार छोड़ दिया था। पहले कुछ समय तक चित्रकूट में रहे। उसके बाद तीन साल पहले वृद्धाश्रम आ गए। वह बताते हैं कि घर से दूर हैं तो क्या हुआ, फेस्टिवल को हम खूब एंज्वॉय करते हैं। यहां का माहौल भी बेहद अपनेपन वाला है। लोग एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं। घर से टच में जरूर हैं, लेकिन सच बताएं तो अब घर जाने की इच्छा नहीं होती है।

यहां पर एकदम घर जैसा वातावरण बनाया गया है। सभी फेस्टिवल ट्रेडिशनल अंदाज में सेलिब्रेट किए जाते हैं। खाने का इंतजाम भी यहां पर डायट चार्ट के हिसाब से होता है। अपने परिवार से दूर होने के बाद सबके लिए यह नया परिवार है। दीपावली के मौके पर सभी ने आपस में मिल-जुलकर सेलिब्रेट किया।

-सुशील कुमार श्रीवास्तव

प्रबंधक, आधारशिला वृद्धाश्रम, नैनी