डॉ0 त्रिलोकी नाथ (ज्योतिषाचार्य)। Diwali 2022 : भगवान राम रावण का वध करके 14 वर्ष बाद जब अयोध्या लौट रहे थे तो अयोध्यावासी अपने राजा राम के स्वागत के लिए संपूर्ण नगर में दीपक जलाया। दीपावली का त्यौहार तभी से प्रति वर्ष मनाया जाने लगा। मान्यता है कि दीपक जीवन के अंधेरे को काटकर प्रकाश की ओर ले जाता है। हमारे जीवन में दीपक के समान जगमग करता है मन में खुशियां भरता है। उसी तरह दीपावली मनाने पर हमारे जीवन में खुशियों का उजाला भर जाता है इसी दिन लक्ष्मी पूजन का विधिविधान है। भगवान राम को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। जहां विष्णु जी जाते है वहां लक्ष्मी जी स्वतः आ जाती है। दीपक के माध्यम से हम कामना करते हैं कि परम परमेश्वर विष्णु जी हमारे घर आंगन में पधार रहें। मां लक्ष्मी दीपक में प्रवेश कर जाती है और विष्णु जी के स्वागत में पहरेदार के रूप में खड़ी रहती है। हमारे घर आंगन को खुशियों एवं धन संपदा से भर देती है

दीपावली कब मनाये
दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस बार अमावस्या 24 और 25 अक्टूबर को पड़ रही है। उदयातिथि के अनुसार 24 अक्टूबर को चतुर्थदशी तिथि पड़ेगी और अमावस्या 25 अक्टूबर को पड़ेगी लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या 4 बजकर 19 मिनट तक ही रहेगी। इसलिए दीपावली पर्व 25 अक्टूबर को नहीं मनाई जा सकती है,क्योंकि 4:30 के बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा लग जायेगी। दीपावली केवल अमावस्या में ही मनाई जा सकती है। अमावस्या 24 अक्टूबर को 6:45 आरंभ हो जायेगी। इसलिए दीपावली 24 अक्टूबर को ही मनाई जायेगी।


लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त मां का आशीर्वाद
प्रदोष काल में दीपावली मनाने का विधान है। मान्यता है यदि हम स्थिर लग्न में दीपक जलायें एवं लक्ष्मी जी का आह्वाहन करते हुए और पूजन करें तो मां लक्ष्मी की कृपा मिल जाती है। स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा शुभ मानी जाती है। वृष, सिंह, वृश्चिक एवं कुंभ स्थिर लग्न वाली राशियां है। हम इन्ही लग्नों में मां लक्ष्मी जी की पूजा करें तो मां लक्ष्मी जी की कृपा निरन्तर बनी रहेगी। 24 अक्टूबर को शाम 6:45 से शुरु होकर 8;40 तक स्थिर लग्न रहेगी। इस बीच लक्ष्मी जी की पूजा की जा सकती है। वैसे लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ समय 24 अक्टूबर को 6 बजकर 54 मिनट पर शुरु होकर 8 बजकर 18 मिनट अति शुभ समय है। इस बीच लक्ष्मी जी का आव्हान करने वाले लोगों पर लक्ष्मी जी की कृपा बनी रह सकती है। इसके अतिरिक्त 24 अक्टूबर को 1 बजकर 15 मिनट पर सिंह लग्न का उदय हो रहा है। यह भी स्थिर लग्न है जो कि 3 बजकर 10 मिनट तक बनी रहेगी। इस बीच लक्ष्मी जी की पूजा करने पर विशेष फलों की प्राप्ति हो सकती है। मंत्रों की सिद्धि करने वाले या तांत्रिक पूजा करने वाले जातक इस मध्य रात्री में अपने मंत्रों को सिद्ध कर सकते है। अलग अलग मान्यताओं के अनुसार प्रदोष काल में ही महालक्ष्मी के पूजन का विधान है लेकिन स्थिर लग्न में लक्ष्मी जी की पूजा से लक्ष्मी जी घर में स्थिर रह जाती है क्योंकि लक्ष्मी को चंचला माना गया है यदि स्थिर लग्न नहीं है तो पूजा करने पर लक्ष्मी आयेगी लेकिन वह रुक नहीं पायेगी।अपने स्वाभावानुसार यह निरन्तर चलायेमान बनी रहती है।इसलिए स्थिर लग्न में पूजा करने पर यह भक्त के पास रुकी रहती है और उसे समृद्धशाली बनाती रहती है।

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