- दिन भर साफ सफाई के बाद देर शाम चला घर और मंदिरों की सजावट का दौर

- शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में करें महालक्ष्मी का पूजन, मंडे को होगी गोवर्धन पूजा

>BAREILLY: परिवार में सुख-समृद्धि और शांति के लिए संडे शहरवासी दिवाली पर्व सेलीब्रेट करेंगे। रौशनी के इस पर्व के सेलिब्रेशन में कोई कमी न रहे। इसके लिए लोगों ने देर रात तक घर की सजावट और खरीदारी में व्यस्त रहे। इसके अलावा आम औरत सेवा समिति, मानव सेवा क्लब, युवा मंच समेत कई सामाजिक समितियों ने लोगों को दिवाली को प्रदूषण मुक्त बनाने का आह्वान किया। संडे सेलीब्रेट किए जाने वाले दिवाली पर्व की क्या हैं तैयारियां आइए आपको बताते हैं

दिन भर होती रही सजावट

त्योहारों पर वैसे भी घरों की साफ-सफाई होती है। पर दिवाली पर सजावट का अपना विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन महालक्ष्मी का प्रवेश घर में होता है। और मान्यतानुसार देवी लक्ष्मी साफ सुथरे घर में ही प्रवेश करती है। जिसकी वजह से घरों में धनतेरस के साथ ही साफ सफाई घरों में शुरू हो गई थी। जो सैटरडे देर शाम तक जारी रही। दे शाम को घरों को सजाने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके अलावा देवी, देवताओं समेत नाथ नगरी के सभी मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया गया। देर रात सारा शहर रौशनी से झिलमिलाने लगा। सजावट के सामानों की खरीदारी करने के लिए बाजार में भी दिन भर खरीदारी चलती रही।

दीपावली पर पूजन विधान

किसी भी पर्व में थाली का विशेष महत्व होता है। महालक्ष्मी पूजन के लिए सजाई गई पूजा की थाली में रोली, पान, सुपारी, अक्षत, गेहूं, धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक, खील, बतासे, शंख, घंटी, चंदन, लक्ष्मी गणेश की नई मूर्ति, दूध, दही और फल फूल होना अनिवार्य है। इसके बाद महालक्ष्मी, गणेश का विधिविधान से पूजन के करने के बाद सभी देवी देवताओं के नाम की आरती उतारकर प्रसाद वितरित करें। व्यवसाय से जुड़े लोग तुला, कलश, बही खाते व अन्य व्यवसाय के लिए की जाने वाली वस्तुओं का पूजन करें। विद्यार्थी पुस्तिकाओं का पूजन करें और दिवाली सेलिब्रेशन के बाद पैरेंट्स को नमन कर पढ़ाई जरूर करें।

मंडे को गोवर्धन पूजा

दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा उपासना के बाद यानि मंडे को गोवर्धन पूजा होगी। वेदों के मुताबिक यह दिन वर्ष में एक बार वरुण, इंद्र, अग्नि व अन्य देवताओं के पूजन का विधान है। इस दिन देवताओं का प्रतीकात्मक स्वरूप गोबर से बनाया जाता है। इनके नाभि पर कटोरे में दीपक रखा जाता है। जिसका पूजन होता है। इस दिन शुभ चौघडि़या सुबह 9.15 से 10.42 बजे तक है। अमृत चौघडि़या दोपहर 3.12 से शाम 6.10 बजे तक है। ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा के मुताबिक इस दिन चंद्र दर्शन अशुभ होता है। सुबह शरी पर तेल लगाने के बाद स्नान करना चाहिए। वहीं, शाम को भजन कीर्तन किया जाना अतिशुभ होगा।