मंथ इंड होने से पहले ही बनाने लगे किराया भुगतान करने का प्रेशर

PRAYAGRAJ: लॉक डाउन का पूरा एक सप्ताह बीत चुका है। लॉक डाउन के चलते होटल और रेस्टोरेंट पर ताला लगा है। बिजनेस बैठ जाने से व्यापारियों को तिहरी चिंता सता रही है। उन्हें काम करने वाले इम्प्लाई के वेतन की टेंशन से अभी छुटकारा भी नहीं मिला था कि मकान मालिकों ने किराया जमा करने का प्रेशर बनाकर नयी टेंशन क्रिएट कर दी है। शहर में ऐसे लोगों की संख्या एक या दो नहीं बल्कि हजारों में है। व्यापारी अब सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें राहत दिलाने के लिए कदम उठाया जाय।

कर्मचारी को पैसा दें या रेंट

व्यापारियों का कहना है कि डेली की इनकम को जोड़ दें तब जाकर मंथ इंड में रेंट व स्टॉफ की सैलरी निकल पाती है। एक सप्ताह से रेस्टोरेंट और होटलों पर ताला बंद है। तालाबंदी से स्टाफ भी पैसा लेकर अपने-आने घर निकल गया है। जो स्टाफ रुका है उसका रोज का रहना-खाना अलग टेंशन है। सात दिन से बंदी है और तीन दिन में मंथ समाप्त होगा। लेकिन, मकान मालिक शनिवार से ही फोन करके रेंट एक अप्रैल को भुगतान करने का प्रेशर बना रहे हैं।

सैलरी जुटाना भी है चैलेंज

व्यापारी कहते हैं कि संकट की घड़ी में स्टाफ को भी सैलरी देनी है। सरकार का भी प्रेशर है और इसी एमाउंट से उनका घर चलता है। समझ में नहीं आ रहा हैं कि स्टाफ को सैलरी दें या फिर कही से उधार मांग कर रेंट दिया जाए। व्यापारियों का कहना हैं कि सरकार इस मुसीबत की घड़ी में मोहलत दिला दें या फिर कोई राहत का आदेश जारी कर दे।

सिविल लाइंस एरिया में रेंट इतना ज्यादा है कि हर दिन कमाई होना जरूरी है। बिजनेस एक हफ्ते से बंद पड़ा है। मकान मालिक ने कह दिया है कि तालाबंदी से कोई मतलब नहीं है। सरकार से अपील हैं कि व्यापारियों पर भी थोड़ा ध्यान दे।

प्रतीक तिवारी

ओनर, एआटोरिम रेस्टोरेंट

स्टाफ को सैलरी देना जरूरी है। उनका घर इसी से चलता है। मकान मालिक का रेंट पेमेंट थोड़ा आगे-पीछे हो जाए तो भी कोई खासा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, उन्होंने मुसीबत बताकर रेंट मांग लिया है। सरकार इस पर भी गौर करे और व्यापारियों के लिए कोई रास्ता निकाले।

सुमित सिंह

बार कोड रेस्टोरेंट एंड ओनर सिटी स्टाइल मॉल