ढलाव पर होने के कारण बरसात में जलभराव की समस्या
बारिश में नाले की तरह सड़कों पर बहता है पानी
Meerut। शहर के पुराने इलाकों में बरसात के दौरान जलभराव की समस्या आम है। संकरी गलियां और पुरानी सीवर लाइनों के जाम होने के कारण निगम जल निकासी से निजात नही दिला पा रहा है.बुढ़ाना गेट में भी हर साल बरसात में जलभराव इस कदर हो जाता है कि घंटों तक सड़क पर पैर नही रख पाते हैं। गलियों में नालों की तरह पानी बहता है और तेज बहाव के साथ गंदगी दुकानों और घरों मे घुस जाती है।
निचले इलाकों में समस्या
बुढ़ाना गेट के दो तरफ सुभाष बाजार और मोरीपाड़ा क्षेत्र ऊंचाई पर हैं। बारिश में इन इलाकों का पानी बहते हुए नीचे आता है। ऐसे में बुढ़ाना गेट की गलियों और मुख्य सड़क जरा सी बारिश में जलमग्न हो जाती हैं। पानी बाजार में रुक जाता है और नालियों का पानी उफन कर सड़कों पर आ जाता है। बारिश तेज हो तो बुढ़ाना गेट में 12 से 24 घंटे तक के लिए कई गलियों में जलभराव हो जाता है।
नाले की दूरी आफत
बुढ़ाना गेट मार्केट समेत खैरनगर बाजार, जिमखाना बाजार, मिनी घंटाघर तक के क्षेत्र के पानी का लोड केवल बच्चा पार्क के नाले पर रहता है। लेकिन यह नाला बारिश में पहले से ही ओवरलोड रहता है, ऐसे में बुढ़ाना गेट के पानी को नाले तक पहुंचने में बहुत समय लग जाता है। जिस कारण से आसपास के क्षेत्र में घंटों तक जलभराव रहता है।
सफाई बनी आफत
निगम के लिए बुढ़ाना गेट के बाजार में सफाई करना किसी मुसीबत से कम नही है। यहां गलियां संकरी और अतिक्रमण युक्त होने के कारण निगम की बड़ी मशीनों से सफाई नही हो पाती केवल छोटे पोर्कलेन मशीने मुख्य बाजारों की नालियों को साफ करती हैं निगम सफाई कर्मचारियों पर यहां की नालियों की सफाई का जिम्मा रहता है। लेकिन रोजाना सफाई भी नही होती ऐसे में बरसात के पानी के साथ गंदगी नालियों में भर जाती है और नालियां भी जाम हो जाती हैं।
निगम ने निकासी की कोई योजना या व्यवस्था नही बनाई है। जिस कारण आसपास के क्षेत्रों का पानी भी बुढाना गेट में आकर रुकता है। इस कारण से यहां जलभराव प्रमुख समस्या है।
प्रवीण जैन, स्टेशनरी एसोसिएशन अध्यक्ष
बुढाना बाजार स्टेशनरी, कार्ड और प्रिटिंग का प्रमुख मार्केट है। यहां जरा सी बारिश में घुटनों तक का पानी भर जाता है। दुकानों में पानी आ जाता है। इससे कई बार कागज तक खराब हो जाता है।
विभोर
बाजार में नियमित सफाई के अलावा सुभाष बाजार और मोरी पाड़ा क्षेत्र के पानी की निकासी की व्यवस्था की जाए तो कुछ राहत जरूर मिल सकती है।
हनी