देर रात तक जमे रहे प्रशासन और एमडीए के अधिकारी

अधिकारियों ने पुलिस पर लगाया सहयोग न करने का आरोप

सिर्फ पीछे के गेट पर ही सील लगा सके एमडीए के अधिकारी

Meerut। दिनभर चले हाईवोल्टेज हंगामे का नतीजा सिफर रहा। एमडीए की बड़ी कवायद के बाद भी अवैध होटल दोआब विलास सील नहीं किया जा सका। वीआईपी की आगवानी का बहाना करके परतापुर पुलिस एमडीए की टीम को मौके पर छोड़कर चली गई। जिसके बाद होटल मालिक ज्ञानेंद्र सिंह और सचिन चौधरी के परिजनों और महिलाओं ने एमडीए की टीम पर दबाव बना लिया। देर तक चले हंगामे के बाद प्राधिकरण की टीम के पैर उखड़ गए और सीलिंग किए बिना ही अफसर वापस लौट आए। होटल के पिछले गेट पर ही प्राधिकरण अपनी सील लगा पाया।

अवैध होटल पर फंसे भू-माफिया

भू-माफिया ज्ञानेंद्र सिंह और सचिन चौधरी का बाईपास स्थित होटल दोआब विलास अवैध है। तफ्तीश के साथ ही प्राधिकरण ने उपाध्यक्ष राजेश कुमार पाण्डेय के निर्देश पर नोटिस देने की प्रक्रिया शुरू कर दी। वहीं दूसरी ओर नगर निगम की पड़ताल में निकलकर आया कि होटल नाले की जमीन पर बना है। नगर निगम के लेखपाल ने दोनों संचालकों के खिलाफ परतापुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया और जिला प्रशासन ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के आरोप की पुष्टि के बाद ज्ञानेंद्र सिंह और सचिन चौधरी को भू-माफिया घोषित कर दिया। दूसरी ओर प्राधिकरण ने नोटिस की प्रक्रिया पूर्ण होने पर सीलिंग के लिए कार्यवाही आरंभ कर दी। हालांकि इसी बीच भू-माफिया की ओर से कंपाउंडिंग एप्लीकेशन भी प्राधिकरण में दाखिल की गई।

एकाएक बना सीलिंग का प्लान

प्राधिकरण उपाध्यक्ष राजेश कुमार पाण्डेय के निर्देश पर सोमवार को सचिव प्रवीणा अग्रवाल ने जोनल अधिकारी धीरज सिंह के नेतृत्व में प्रवर्तन विभाग की टीम को तैयार किया। इस बीच एमडीए सचिव ने एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी को फोन कर अवैध होटल के खिलाफ सीलिंग की जानकारी दी और एक प्रशासनिक अफसर की मुस्तैदी की मांग की। जिसपर एडीएम सिटी ने एसीएम कमलेश कुमार गोयल को एमडीए टीम के साथ रहने के निर्देश दिए। प्राधिकरण की टीम के साथ एसीएम करीब दोपहर 12 बजे कार्रवाई के लिए प्राधिकरण से रवाना हुए। सचिव ने पुलिसबल की मांग एसपी सिटी डॉ। एएन ंिसंह से की जिसपर उन्होंने इंस्पेक्टर परतापुर आनंद प्रकाश मिश्रा को पुलिसबल के साथ मौके पर रवाना कर दिया।

परिजनों ने कर ली घेराबंदी

प्राधिकरण परिसर से एमडीए की टीम निकल ही पाई थी कि होटल संचालकों को इसकी जानकारी मिल गई, जिसके बाद होटल के बाहर बड़ी संख्या में महिलाएं और माफिया के परिजन इकट्ठे हो गए। यहां टीम कार्रवाई करने पर अड़ी थी, जबकि होटल के बाहर भीड़ ने एमडीए की टीम को घेर लिया। यहां पुलिस मूकदर्शक बनी रही। इसी बीच संचालक की मां की तबियत बिगड़ गई। जिसपर भीड़ पर एक बार फिर उग्र हो गई। कड़ी मशक्कत के बाद प्राधिकरण की टीम होटल के पिछले दरवाजे को ही सील कर पाई। इस बीच कार्रवाई के विरोध में कुछ महिलाएं एमडीए पहुंची और एमडीए सचिव प्रवीना अग्रवाल का कार्रवाई के विरोध में घेराव किया। सचिव ने जैसे-तैसे महिलाओं से पीछा छुड़ाया।

मौके से चली गई पुलिस

अभी सीलिंग को लेकर एमडीए की टीम और महिलाओं में नोकझोंक हो ही रही थी कि राज्यपाल की वापसी के मैसेज का हवाला देकर इंस्पेक्टर पुलिसबल के साथ मौके से चले गए। लगातार फोन करने के बाद भी इंस्पेक्टर पुलिस लेकर नहीं पहुंचे तो एसीएम समेत प्राधिकरण के अधिकारी बाईपास स्थित पुलिस चौकी पर आकर बैठ गए। करीब 5 बजे महिला पुलिस को लेकर इंस्पेक्टर मौके पर पहुंचे, अभी प्राधिकरण सील करने के लिए होटल की ओर बढ़ा ही था कि महिलाओं और वकीलों ने एक बार फिर एमडीए की टीम को घेर लिया। दो घंटे तक धक्कामुक्की के बाद भी प्राधिकरण की टीम होटल को सील करने के लिए गेट तक नहीं पहुंच पाई। वहीं सूरज छिपने के बाद वकीलों ने कार्रवाई न करने का कानून प्राधिकरण की टीम के सामने पढ़ दिया। जिसके बाद प्राधिकरण की टीम होटल को सील किए बिना पवेलियन वापस लौट आई।

खाना खाते रहे इंस्पेक्टर

प्राधिकरण के अधिकारी का कहना है कि थाना पुलिस को लगातार फोन कर रहे थे तो वहीं इंस्पेक्टर 'अभी खाना खा रहे हैं.' ऐसा बोलकर फोन रख रहे थे। एमडीए ने होटल पर सील न लगने की वजह पुलिस द्वारा सहयोग न करना बताया। वहीं पुलिस का कहना था कि एमडीए ने फोर्स की मांग लिखित में नहीं की थी। राज्यपाल के आगमन के दौरान ज्यादातर फोर्स वीआईपी ड्यूटी में था। महिला पुलिस की मांग की दोपहर बाद की गई।

होटल के एक हिस्से को सील कर दिया गया है। हालांकि सीलिंग की कार्रवाई पूर्ण नहीं हो सकी। दो दिन का समय दिया गया है, इस अवधि में यदि होटल संचालक अपना पक्ष नहीं रख पाया तो होटल को सील कर दिया जाएगा।

प्रवीना अग्रवाल, सचिव, एमडीए

श्रम विभाग ने थमाया 17 लाख का नोटिस

लेबर सेस जमा न करने पर उप श्रमआयुक्त दीप्तिमान भट्ट ने परतापुर बाईपास स्थित होटल दोआब विलास के खिलाफ 17 लाख का नोटिस जारी किया है। होटल संचालक उपकर निर्धारण कार्यवाही में नोटिस दिए जाने के बाद भी उपस्थित नहीं हो रहे थे। उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार सेस अधिनियम के अंतर्गत निर्माण कार्यो पर 1 प्रतिशत की दर से निर्माण लेबर का सेस जमा करने का प्रावधान है।