-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के छह फरवरी के खुलासे जांच टीम के सामने कर्मचारियों ने लगाई मुहर

-बाल रोग विभाग में निजी अस्पताल का कलेंडर लगा करते थे प्रचार-प्रसार

-100 बेड वार्ड में इलाज के दौरान तीमारदारों को बुलाते थे निजी अस्पताल

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sunil.trigunayat@inext.co.in

GORAKHPUR: बीआरडी में हुई मासूमों की मौत के मामले का सच अब सामने आने लगा है। कर्मचारी भी अब धीरे-धीरे मुंह खोलने लगे हैं। जांच टीम के सामने कर्मचारियों ने जो कुछ कहा उससे दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के छह फरवरी के खुलासे पर मुहर लग गई। कर्मचारियों ने जांच टीम को बताया है कि इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल अधिकारी रहे डॉ। कफील खान विभाग के एक जिम्मेदार पद पर रहते हुए इलाज की आड़ में मरीजों को हाईजेक कर लेते थे और उन्हें अपने निजी हॉस्पिटल का रास्ता दिखाते थे। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने अपने निजी हॉस्पिटल का कलेंडर भी बाल रोग विभाग के दफ्तर में लगा रखा था। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने यह बात 'भगवान की झूठी कसम' हेडिंग से न्यूज पब्लिश कर पहले ही बता दिया था, लेकिन जिम्मेदार सावधान नहीं हुए।

ध्वस्त हो गई थी पूरी व्यवस्था

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 100 नंबर इंसेफेलाइटिस वार्ड की जिम्मेदारी पिछले साल डॉ। कफील खान को दी गई थी। उन्हें इस वार्ड का नोडल अधिकारी बनाया गया था ताकि स्थिति में सुधार हो और मासूमों का इलाज बेहतर हो सके। लेकिन अब उन पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने पूरे सिस्टम को ध्वस्त कर दिया था। जिसका खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ा। चौंकाने वाली बात यह है कि डॉ। कफील खान का बीआरडी में इंसेफेलाइटिस से भर्ती मरीजों पर बिल्कुल ध्यान नहीं था। उनका फोकस सिर्फ अपने निजी हॉस्पिटल पर रहा।

अब कर्मचारी भी खोलने लगे मुंह

बाल रोग विभाग के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सब जानते हैं, लेकिन उस समय कोई मुंह खोलने वाला नहीं था। इसकी जानकारी पूर्व प्रिंसिपल तक को थी। वह सरेआम वार्ड में नए साल पर अपने निजी हॉस्पिटल का कलेंडर बांटते थे। सिर्फ इतना ही नहीं तीमारदारों को भी बेहतर इलाज का भरोसा देकर अपने निजी हॉस्पिटल बुलाते थे।

सीएम ने नेमप्लेट पर उठाए थे सवाल

मासूम बच्चों की मौत के बाद दौरे पर आए सीएम जब 100 नंबर इंसेफेलाइटिस के डॉक्टर कक्ष में गए तो डॉ। कफील खान के लगे नेम प्लेट पर जमकर फटकार लगाई। कहा कि वार्ड में इस तरह का बोर्ड नहीं होना चाहिए। इसे तत्काल हटाया जाए। सिर्फ इतना ही नहीं वार्ड के प्रवेश द्वारा पर भी एक बड़े बोर्ड पर बड़े अक्षरों में डॉ। कफील खान का नाम लिखा था। जिसे बाद में हटवा दिया गया था।

घोषणा पत्र में ली थी शपथ, नहीं करूंगा प्राइवेट प्रैक्टिस

डॉ कफील खान ने मेडिकल कॉलेज के घोषणा पत्र में प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करने की शपथ ली थी। इसके बावजूद उस समय अपने रसूख के दम पर धड़ल्ले से प्राइवेट पै्रक्टिस करते रहे किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक की इसकी जानकारी तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ। राजीव मिश्रा को भी थी। प्राइवेट प्रैक्टिस करने का खुलासा दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने छह फरवरी 2017 के अंक में किया था, लेकिन बीआरडी प्रशासन ने अपनी आंखों को बंद कर लिया।