RANCHI: रिम्स में अपने मरीज का इलाज करवा रहे सुनील कुमार ने गुरुवार को बताया कि जेनरिक दवा खरीद कर लाया, तो डॉक्टर ने डांट दिया। तुरंत दवा लौटाने को कहा। इसके बाद डॉक्टर के कहे अनुसार ब्रांडेड दवा खरीदने गया, तो फ्0 रुपए की जगह क्00 रुपए देने पड़े। यह परेशानी सिर्फ सुनील की ही नहीं, रामरतन, मनीष कुमार समेत कई अटेंडेंट्स का भी कुछ ऐसा ही कहना है। यह हाल तब है, जब स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों को जेनरिक दवाएं लिखने का ही आदेश दिया है। इसके बावजूद रिम्स के डॉक्टर जेनरिक दवाएं लौटा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि डॉक्टर कहीं कमिशन के चक्कर में तो ब्रांडेड दवाएं नहीं न खरीदवा रहे हैं।

ब्रांडेड दवा में कट रही जेब

रिम्स में हर दिन करीब ख् हजार मरीज आ रहे हैं। उन्हें डॉक्टर जेनरिक दवाइयां तो नहीं लिख रहे हैं, वहीं इनडोर में भर्ती मरीजों को भी जेनरिक दवा लाने पर डरा रहे हैं। मरीजों को ब्रांडेड की तुलना में जेनरिक दवा को कम पावर का बताकर लौटा दे रहे हैं। ऐसे में मरीज के परिजनों के जेबें ज्यादा ढीली हो रही हैं, लेकिन क्या करें डॉक्टर की बात तो माननी ही पड़ रही है। महंगी दवाएं खरीदने में मरीज के परिजनों के पसीने छूट रहे, जबकि डॉक्टरों को कमिशन का लोभ लगा हुआ है।

लोगों ने कहा, डरा रहे डॉक्टर

जेनरिक दवा लाने से डॉक्टर मना कर रहे हैं। ब्रांडेड दवा लाने को कह रहे हैं। जबकि नर्स कहती हैं कि यह दवा भी ठीक है। रेट में भी काफी अंतर होता है। हालांकि, मुझे ज्यादा दवा नहीं लानी थी, इसलिए ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।

मनीष कच्छप

जब जेनरिक दवा लेकर आते है, तो सीधे उसे लौटा दिया जाता है। डॉक्टर कहते है कि इसमें ब्रांडेड की तुलना में पावर कम होता है। इसलिए ब्रांडेड दवा खरीदनी पड़ रही है, जो काफी महंगी है।

रामरतन

पावर कम होने की बात कहकर डॉक्टर बाहर से दवा लाने को कह रहे हैं। इसमें फ्0 रुपए की जगह क्00 रुपए की दवा खरीदनी पड़ रही है। अब हमलोग तो यह जानते नहीं, इसलिए ब्रांड की दवा खरीदकर ला रहे है।

सुनील कुमार

वर्जन

ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है। जेनरिक दवा खरीदने के लिए तो मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती है। अगर कोई लौटा रहा है, तो इस मामले को देखा जाएगा।

-डॉ। वसुंधरा, डीएस, रिम्स