मेडिकल काउंसिल का प्रपोजल

डॉक्टर्स के लिखे प्रिस्क्रिप्शन को मरीज तो क्या कई बार कैमिस्ट भी नहीं पढ़ पाते हैं और अंदाज से दवा देते हैं। कई बार गलत दवा खाकर मरीज को जान से हाथ धोना पड़ा है। इसी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए इंडियन मेडिकल काउंसिल ने हेल्थ मिनिस्ट्री को एक प्रपोजल दिया है कि डॉक्टर्स कैपिटल लेटर्स में नुस्खे लिखा करें, ताकि हर कोई आसानी के साथ पढ़ सके। अगर प्रपोजल को मंजूरी मिल गई तो डॉक्टर्स को कैपिटल लेटर्स में दवा लिखनी होगी। अभी तक घसीटा मार राइटिंग में दवाएं लिखने वाले डॉक्टर्स के लिए साफ शब्दों में दवाएं लिखना आसान नहीं होगा। हो सकता है कि डॉक्टर्स को इसके लिए सुलेख करना पड़े या राइटिंग की स्पेशल ट्रेनिंग हासिल करनी पड़े।

 

राइटिंग का खेल

आप सभी जानते हैं कि डॉक्टर्स की राइटिंग स्पेशल होती है, जो दूसरे डॉक्टर्स के लिए समझना मुश्किल होता है। डॉक्टर्स की राइटिंग उनका प्रिय कैमिस्ट ही समझ पाता है। इस्माईल कॉलेज के अकाउंटेट अमित कुमार कहते हैं कि अक्सर डॉक्टर के क्लीनिक के सामने एक कैमिस्ट शॉप होती है और वही उनकी राइटिंग को समझ पाता है। स्टूडेंट प्रवीन बताते हैं कि पड़ोसी कैमिस्ट को अपने डॉक्टर्स की राइटिंग समझने में देर नहीं लगती। दूसरा कैमिस्ट न तो राइटिंग समझ सकता है और न दवा दे सकता है। अगर कोई कैमिस्ट राइटिंग समझ भी जाए तो उसके पास दवा नहीं मिलेगी।

कैसे होगा बिजनेस हल्का

डॉक्टर्स के अनुसार कैपिटल लैटर्स में दवाएं लिखना आसान नहीं होगा। कैपिटल लैटर्स में लिखने से राइटिंग स्पीड काफी कम हो जाएगी, जिससे उनकी पेशेंट देखने की क्षमता काफी कम हो जाएगी। जिला अस्पताल के डॉक्टर एमएस फौजदार का कहना है कि राइटिंग बदलने के लिए डॉक्टर्स को एक दिन में देखने वाले पेशेंट की संख्या कम करनी होगी। फिजिशियन डॉक्टर हरिश मोहन रस्तोगी का कहना है कि इससे पेशेंट को लाभ मिलेगा मगर डॉक्टर्स की स्पीड कम हो जाएगी।

 क्यों नहीं हाईटेक प्रिस्क्रिप्शन

ऑफिस हाईटेक, हाईटेक रिपोर्ट और चेकअप भी हाईटेक है। तो फिर दवा के पर्चे मैनुअल क्यों। यह सोचने की बात है कि अगर सबकुछ हाईटेक हो चुका है तो फिर डॉक्टर्स प्रिस्क्रिपशन को हाईटेक क्यों नहीं करते हैं।  

न लिखने के सौ बहाने बहाने

- अगर कैपिटल राइटिंग लिखने लगें तो स्पीड कम हो जाएगी।

- अभी तक किसी का राइटिंग की तरफ ध्यान हीं नही गया।

- लिखने का यह तरीका तो शुरु से चला आ रहा है।  

- अगर हाईटेक प्रिसक्रिप्शन दिया तो स्पैलिंग भी तो गलत हो सकती है।

- हाईटेक प्रिसक्रिप्शन देने के लिए लाइट भी तो आनी चाहिए। कंप्यूटर यूज करेंगे तो जेनरेटर का खर्चा बढ़ेगा।

- इसके लिए एक कंप्यूटर ऑपरेटर रखना पड़ेगा।

-  कंप्यूटर से लिखेंगे तो मरीज व डॉक्टर का व्यक्तिगत रिश्ता नहीं रहेगा।

"राइटिंग बदलने के लिए किसी रुल की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन अभी तक डॉक्टर्स अपनी सहूलियत के हिसाब से लिखा करते थे। किसी भी डॉक्टर का इस ओर ध्यान ही नहीं गया."

-डॉ। हरीश मोहन रस्तोगी, फिजिशियन

"अब डॉक्टर तो राइटिंग को अपने हिसाब से लिखते हैं। इसमें कोई बड़ा इश्यू नहीं है। अगर हाईटेक प्रिस्क्रिप्शन के लिए डॉक्टर कम्प्यूटर यूज करें तो पहले उन्हें ऑपरेटर रखना होगा। अब या तो डॉक्टर मरीज देख लें या कम्प्यूटर चला लें."

-डॉ। सुनील गुप्ता, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन प्रेसिडेंट

"इस बदलाव से कोई ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। हां थोड़ी सी प्रैक्टिस तो जरुर करनी पड़ेगी। अब पैटर्न बदलने से स्पीड पर तो असर पड़ेगा ही, लेकिन अगर यह होगा तो हमें अभी से प्रैक्टिस में जुटना होगा."

-डॉ। अर्पित त्यागी, फिजियोथैरोपिस्ट

"अक्सर देखा जाता है कि डॉक्टर का लिखा पर्चा अच्छे खासे लोग भी नहीं समझ पाते हैं। अब अगर कैपिटल वर्ड होंगे तो सभी को समझने में आसानी होगी."

-दिव्या, वकील  

"राइटिंग बदलने से बहुत कुछ बदल जाएगा। अक्सर डॉक्टर्स की राइटिंग न समझ पाने की वजह से गलत दवा लेने की संभावना रहती है, जो बिल्कुल खत्म हो जाएगी."

-मधु सिरोही, प्रिंसीपल  एमपीजीएस