- पिछले एक साल में 8 डॉक्टरों ने छोड़ा केजीएमयू

- दो साल के दौरान 12 डॉक्टर छोड़ चुके हैं केजीएमयू

- केजीएमयू में टीचर्स के करीब 200 पद हैं खाली

- सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के चलते परेशान हो रहे पेशेंट

LUCKNOW: एक तो पहले से ही राजधानी के सरकारी अस्पताल डॉक्टर्स और स्टॉफ की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं यहां काम करने वाले डॉक्टर राजधानी के बड़े कारपोरेट हॉस्पिटल ज्वॉइन कर रहे हैं। लोहिया और केजीएमयू के कई विभागों में डॉक्टरों की नियुक्ति तक नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि मरीजों को इन अस्पतालों से मोह भंग हो रहा है।

नहीं हो रही भर्ती

केजीएमयू में कई डॉक्टरों के जाने के बाद पांच विभागों में एक भी शिक्षक नहीं बचा है। वहीं चार विभागों में फैकल्टी के नाम पर सिर्फ एक-एक शिक्षक ही हैं। पिछले एक साल में करीब आठ और दो वर्षो में करीब 12 डॉक्टर संस्थान छोड़ चुके हैं। नेफ्रॉलाजी विभागाध्यक्ष डॉ। संत कुमार पांडेय, यूरोलॉजी विभाग के डॉ। मनमीत, सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रॉलाजी में डॉ। साकेत कुमार और सीवीटीएस के डॉ। विजयंत कुमार सहित कई अन्य भी इस्तीफा दे चुके हैं। केजीएमयू में मेडिकल साइंसेज के कुल 66 विभाग और डेंटल विंग में 8 विभाग हैं। इनमें शिक्षकों के करीब 200 पद खाली हैं।

जा रहे प्राइवेट हॉस्पिटल

डॉ। राम मनोहर लोहिया संस्थान की बात करें तो डॉ। सीके पांडेय जो लिवर ट्रांसप्लांट में एनस्थीसिया विशेषज्ञ थे, इस्तीफा दे कर जा चुके हैं। इससे यहां लिवर प्रत्यारोपण योजना को झटका लगा है। इसके साथ अन्य कई विभागों में भी डॉक्टरों की भारी कमी है। जिससे यहां आने वाले मरीज दूसरे अस्पताल जाने को मजबूर हैं।

कोट

जिन विभागों के डॉक्टरों की कमी है, उसे जल्द पूरा किया जाएगा, ताकि किसी पेशेंट को कोई दिक्कत न हो।

डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

एक ही डॉक्टर छोड़कर गए हैं। डॉक्टरों की कमी है, जो जल्द दूर होगी। संस्थान के लिए रिक्रूटमेंट शुरू होने वाले हैं।

डॉ। विक्रम सिंह, प्रवक्ता लोहिया संस्थान