नेशनल डॉक्टर्स डे

- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से शहर के जाने-माने डॉक्टर्स बोले, सेवा करना हमारा फर्ज

- मरीजों की मदद को हर समय रहते हैं तैयार, फाइनेंशियल हेल्प करने में भी नहीं रहते पीछे

बरेली: आज डॉक्टर्स डे है। इस मौके पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शहर के दो ऐसे डॉक्टरों से बात की जो मरीजों के इलाज को सिर्फ जॉब नहीं समझते बल्कि उसको धर्म समझकर उनके लिए हर समय मौजूद रहते हैं। वैसे तो डॉक्टर्स को धरती का 'भगवान' कहा गया है। लेकिन असल में इस कहावत को फरीदपुर सीएचसी के अधीक्षक डॉ। बासित अली और डॉ। जे सरदाना चरितार्थ करते हैं। डॉ। जे सरदाना की बेटी को थैलीसीमिया से मौत हो गई थी। इसके बाद से उन्होंने थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों का फ्री में इलाज करना शुरू कर दिया। वहीं, डॉ। बासित अली किसी भी मरीज के इलाज के लिए हर समय तैयार रहते हैं। साथ ही वह मरीज की आर्थिक मदद करने में भी पीछे नहीं रहते हैं।

केस- 1

पिता का कहना आज भी मान रहे

डॉ। बासित के पिता ने उनसे कहा था कि चाहे कितने भी बड़े डॉक्टर बन जाओ, लेकिन किसी मरीज को मायूस नहीं करना। इससे मेरी रूह को तकलीफ होगी। अपने पिता के कहे गए शब्दों पर वह आज भी अमल कर रहे है। सीएचसी अधीक्षक होने के बावजूद वह सभी मरीजों को खुद ही देखते हैं।

हरदम मदद को रहते तैयार

26 जून को डॉ। बासित शाम को कार से आ रहे थे। रास्ते में एक मैजिक ने बाइक सवार को टक्कर मार दी, जिससे वह घायल होकर रोड किनारे गिर पड़ा उसके सिर से ब्लड बहने लगा। डॉक्टर बासित जब वहां से गुजरे तो देखा तमाशबीनों की भीड़ लगी थी। पहले रुके और अपने जेब से रुमाल निकाला और जो दवाएं पास थी घायल को फ‌र्स्ट एड दिया। इसके बाद घायल को एम्बुलेंस से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल भेजा। यह कोई पहला वाकया नहीं है। वह इसी तरह कई घायलों और बीमारी से जूझ रहे लोगों की भी जान बचा चुके हैं।

सीएचसी में किया सुधार

डॉक्टर बासित अली का जब फरीदपुर सीएचसी पर अधीक्षक के लिए ट्रांसफर हुआ। तो उन्होंने सबसे पहले अपने रूम के आगे लिखा हुआ देखा कि यह प्रशासनिक कक्ष है यहां मरीज नहीं देखे जाते। यह देख सबसे पहले उन्होंने सिर्फ सीएचसी अधीक्षक डॉ। बासित अली करवा दिया। ताकि मरीज आ सकें। सीएचसी पर लैब बनाने का पूरा सामान और मशीनें भी रखी हैं तो उन्होंने लैब बनवा दी। साथ ही मरीजों के लिए ब्लड की भी व्यवस्था कराते हैं।

केस- 2

मुफ्त करती हैं इलाज

डॉ। जे सरदाना बरेली की जानी मानी नेत्र विशेषज्ञ हैं। साथ ही वह थैलीसीमिया चिलड्रेन वेलफेयर सोसाइटी की सेके्रटरी भी हैं। इस सोसाइटी में थैलीसीमिया से पीडि़त बच्चों का फ्री में इलाज किया जाता है और आईएमए बल्ड बैंक से ब्लड भी उपलब्ध कराया जाता है।

मौत के बाद लिया संकल्प

थैलीसीमिया चिलड्रेन वेलफेयर सोसाइटी में लगभग 200 बच्चे हैं। डॉ जे सरदाना की प्रेरणा उनकी बेटी थी। उनकी बेटी थैलीसीमिया की पेशेंट थी, पर तब इतनी सुविधाएं नहीं थी। इसलिए वह अपनी बेटी को बचा नहीं पाईं। इसके बाद से उन्होंने थैलीसीमिया से पीडि़त बच्चों की मदद का संकल्प लिया। वह नि:स्वार्थ भाव से बच्चों का इलाज कर रही हैं ़

बच्चों का किया फ्री चेकअप

आईएमए हॉल में संडे को थैलीसीमिया दिवस मनाया गया। इसमें थैलीसीमिया के बच्चों का चेक अप हुआ। डॉ जे सरदाना ने बच्चों के चेकअप के लिए दिल्ली से डॉ। अमीता महाजन को बुलाया और लगभग 87 बच्चों का फ्री में चेकअप कराया। वह अपना काफी समय समाज सेवा में लगाती हैं। साथ ही बच्चों के इलाज में भी ज्यादा से ज्यादा टाइम देती हैं।