डॉक्टर्स डे स्पेशल

रेयरेस्ट ऑफ रेयर केसेज को में पाई सफलता, मरीजों को दी नई जिंदगी

चुनौती के रूप में लिया केसेज और अचिवमेंट्स का मनवाया लोहा

RANCHI: कहा गया है कि डॉक्टर धरती के भगवान हैं। भगवान तो सिर्फ एक बार जीवन देते हैं, लेकिन ये डॉक्टर हम लोगों की जिंदगी बार-बार बचाते हैं। आज डॉक्टर्स डे पर आई नेक्स्ट कुछ ऐसे ही डॉक्टरों की अचिवमेंट्स आपके समक्ष लेकर आया है। ये ऐसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केसेज हैं, जिसके सॉल्यूशन पर खुद डॉक्टरों को विश्वास नहीं था। लेकिन, उन्होंने इसे चैलेंज के रूप में लिया, प्रयास किया और सफलता हासिल कर लोगों को नई जिंदगी दी। पेश है स्पेशल रिपोर्ट।

1. पिल्हा का सफल ऑपरेशन कर कमली को दी नई जिंदगी---फोटो

रिम्स के डॉक्टरों ने चाईबासा की कमली को नई जिंदगी दी है। डॉ। साकेतन भगत के नेतृत्व में पांच डॉक्टरों की टीम ने कमली का ऑपरेशन 8 जून को किया था। वह बताते हैं कि स्पिलनोमिगैली (पिल्हा) की बीमारी रेयर होती है, लेकिन हमारे लिए यह एक चुनौती थी। जिसे हमने एक्सेप्ट किया और मरीज को नई जिंदगी दे पाए। चाईबासा के टुंगरी में छोटे से होटल में कुक का काम करने वाले मधु गोप बताते हैं-कभी सोचा नहीं था कि बेटी को ऐसी बीमारी हो जाएगी, जिसका नाम भी नहीं सुना होगा। लेकिन रिम्स के डॉक्टरों ने उसका सफल आपरेशन कर उसे नई जिंदगी दे दी है। प्राइवेट हॉस्पिटल में आपरेशन का डेढ़ लाख खर्च बताया गया था। लेकिन, उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे वहां आपरेशन करा सकें।

क्या थी बीमारी: कमली को स्पिलनोमिगैली (पिल्हा) बीमारी थी, जो एक हजार बच्चों में एक को होती है। इसमें शरीर में स्पिलिन के बढ़ने से पेट फूलने लगता है। पेट में दर्द होता रहता है। समय पर इलाज नहीं कराने पर मरीज की जान भी जा सकती है।

2. स्किन से झूल रहा था सौरभ का हाथ, डॉक्टरों ने बचाया---फोटो

भगवान महावीर मेडिका सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सिवान के दरौली के रहने वाले सौरभ श्रीवास्तव का पांच घंटे के आपरेशन के बाद हाथ बचा लिया। हाथ की उंगलियां काम करने लगी है, लेकिन हाथ को पूरी तरह ठीक होने में अभी 8-9 महीने लगेंगे। कार्डियक वस्कुलर सर्जन डॉ। खालिद, हड्डी रोग स्पेशलिस्ट डॉ। पवन और प्रवीण कुमार सिन्हा ने यह जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया। आपरेशन कर रक्त कोशिकाओं को ठीक करने के लिए ग्राफ्टिंग की गई। डॉ। खालिद बताते हैं कि ऐसे केसेज में जान बचाने के लिए हाथ को काटना पड़ता है, लेकिन परिजनों ने मना कर दिया। हमने इसको लेकर मीटिंग की और एक चैलेंज के रूप में लिया। बताया जाता है कि 20 मई को एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए वह रांची आ रहे थे। इसी बीच रजौली के पास बस एक्सीडेंट में उनका हाथ कट गया और स्किन के सहारे झूल रहा था। ऐसे में उनके परिजन उन्हें मेडिका हॉस्पिटल ले आए। जहां डॉक्टरों ने हाथ काटने की सलाह दी, लेकिन परिजनों ने हाथ बचाने की अपील कर दी। ऐसे में डॉक्टरों ने प्रयास किया और सफल आपरेशन करते हुए सौरभ का हाथ बचा लिया।

क्या हुआ था: शादी समारोह में सिवान से रांची आ रहे सौरभ का रजौली में बस एक्सीडेंट हुआ। इसमें उनका हाथ बुरी तरह कट गया और स्किन के सहारे झूल रहा था। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर सौरभ का हाथ बचा लिया। कोशिकाओं को ठीक करने के लिए ग्राफ्टिंग की गई।

3. शोएब की एक वेन हो गई है ब्लॉक, रिम्स में चल रहा इलाज---फोटो

रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ हेमंत नारायण की यूनिट में देवघर के 28 वर्षीय शोएब को हार्ट अटैक के बाद लाया गया। परिजनों को संभवत: हार्ट अटैक की जानकारी नहीं थी। डेढ़ महीने पहले शोएब के परिजन उसके गैस की प्रॉब्लम की शिकायत लेकर रिम्स पहुंचे। जहां डॉ हेमंत ने उसे टेस्ट कराने के लिए लिखा। जब उसकी रिपोर्ट आई तो डॉक्टर भी शॉक्ड रह गए। इस उम्र के लड़के को हार्ट अटैक आया था। जब डॉक्टर ने जांच पड़ताल की तो मालूम हुआ कि वह चेन स्मोकर था। इससे हार्ट को ब्लड सप्लाई करने वाली एक वेन पूरी तरह ब्लॉक हो गई थी। उसे हॉस्पिटल में एडमिट किया गया और डॉ। हेमंत की देखरेख में ट्रीटमेंट शुरू हुआ, जो अब भी जारी है। हालांकि उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है लेकिन ऐसे केसेज रेयर होते है। डॉक्टर की मानें तो फिजिकली एक्टिव लोगों को हार्ट अटैक आने पर रिस्क थोड़ा कम होता है। जबकि जो लोग फिजिकली एक्टिव नहीं होते, उनमें रिस्क अधिक होता है।

क्या हुआ था: देवघर के 28 वर्षीय चेन स्मोकर शोएब के हार्ट को ब्लड सप्लाई करने वाली एक वेन पूरी तरह ब्लॉक हो गई है। उसे हार्ट अटैक आया था।