RANCHI: रिम्स में मरीजों को फाइव स्टार फैसिलिटी उपलब्ध कराने के लिए पेइंग वार्ड बनाया गया था। लेकिन अब इसका लाभ रिम्स के डॉक्टरों को मिलेगा। करोड़ों रुपए की लागत से बना पेइंग वार्ड अब डॉक्टरों का आरामगाह बनेगा, जहां ट्रॉमा और इमरजेंसी में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर आराम कर सकेंगे। वहीं उन्हें पेइंग वार्ड में सारी सुविधाएं भी मिलेंगी। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर तत्काल डॉक्टर मरीजों के लिए अवेलेबल होंगे। इससे मरीजों को भी बेहतर इलाज मिल सकेगा।

100 बेड का पेइंग वार्ड खाली

16.13 करोड़ की लागत से कैंपस में 100 बेड का पेइंग वार्ड बनाया गया है, जहां हर कमरे में फाइव स्टार फैसिलिटी उपलब्ध कराई गई है। रूम में बेड, एसी, टीवी, फ्रीज और गीजर के साथ सोफा भी है। इस सुविधा के लिए हर दिन का चार्ज एक हजार रुपए तय किया गया था, लेकिन वार्ड में वीआईपी कैदी लालू के अलावा दो-तीन मरीज ही रहते हैं।

रेट हाई होने से नहीं लेते लोग

पेइंग वार्ड के एक दिन का रेट एक हजार रुपए तय किया गया था। इसके अलावा वार्ड में रहने वाले मरीजों को खाना भी देने की मंजूरी मिल गई थी, जिसके लिए मरीजों को कोई चार्ज भी पे नहीं करना था। लेकिन रेट हाई होने के कारण मरीज पेइंग वार्ड में नहीं रहना चाहते। चूंकि मरीजों को 250 रुपए में ही एसी कॉटेज की सुविधा मिल जा रही है। ऐसे में पूरा पेइंग वार्ड ही खाली है।

ओपीडी शिफ्ट करने की दी थी सलाह

पेइंग वार्ड खाली रहने के कारण सीएम रघुवर दास ने ग्राउंड फ्लोर को ओपीडी कांप्लेक्स बनाने की सलाह दी थी, ताकि मरीजों को परेशानी से छुटकारा मिल सके। लेकिन डायरेक्टर ने इस पर काफी विचार करने के बाद डॉक्टरों को पेइंग वार्ड में जगह देने का मन बनाया है। इस तरह पेइंग वार्ड बर्बाद नहीं होगा।

वर्जन

ट्रामा और इमरजेंसी के डॉक्टरों को पेइंग वार्ड में कमरे दिए जाएंगे, जिससे कि कुछ कमरों का इस्तेमाल भी हो सकेगा। वहीं जरूरत पड़ने पर मरीजों को इसकी सुविधा मिलती रहेगी। इससे पूरी बिल्डिंग का भी मेंटेनेंस होगा और चीजें बर्बाद नहीं होगी। ओपीडी को अगर हम शिफ्ट करते हैं तो वहां की व्यवस्था ही चौपट हो जाएगी।

डॉ। डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स