आगरा। एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन)बिल के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का शहर में मिला-जुला असर देखने को मिला। प्राइवेट अस्पतालों की ओपीडी सिर्फ नाम के लिए 24 घंटे के लिए स्थगित की गई। लैब, नर्सिग होम समेत आईएमए के डॉक्टर्स का भी मरीजों से दूरी बनाए रखने का दावा हवा-हवाई ही दिखा। अस्पताल में आने वाले सिर्फ गंभीर मरीजों का इलाज किया गया। वहीं, तोता का ताल स्थित आईएमए भवन में डॉक्टर्स ने बैठक कर बिल पर चर्चा की। एनएमसी में संशोधन कर लागू करने की मांग की।

बाहर चस्पा नोटिस, अंदर चला इलाज

अस्पतालों ने बिल का विरोध करते हुए अपने प्रतिष्ठानों के बाहर नोटिस भले ही चस्पा कर दिए, लेकिन अंदर ओपीडी और मरीजों को देखने का काम रोजाना की तरह चलता रहा। बड़े प्राइवेट अस्पतालों के साथ ही क्लीनिक एवं अन्य जगहों पर डॉक्टर मरीजों को देखते रहे।

एक्ट में हो संशोधन

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एनएमसी का विरोध करते हुए कहा कि इस बिल की वजह से मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी। बिल के अनुसार मेडिकल कॉलेज प्रबंधन 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटों को अधिक दर पर बेच पाएंगे। साथ ही इस बिल में मौजूदा धारा-32 के तहत करीब साढ़े तीन लाख लोग जिन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई नहीं की है उन्हें भी लाइसेंस मिल जाएगा। अंट्रेंड स्टाफ मरीजों का इलाज करेगा, जो देशभर के लोगों के साथ खिलवाड़ होगा। साथ ही आईएमए के अध्यक्ष अशोक शिरोमणि ने कहा कि बिल में कम्यूनिटी हेल्थ प्रोवाइडर शब्द को ठीक से परिभाषित नहीं किया गया है। अगर बिल में कुछ बिन्दुओं पर दोबारा से मंथन कर लागू किया जाए। तो यह मरीजों और डॉक्टरों दोनो के हित में होगा।