-काशी के शिव बाबा को सात साल की उम्र में धर्म की रक्षा करने के लिए मां-बाप ने सौंप दिया था

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PRAYAGRAJ: खेलने की उम्र थी और पढ़ाई में भी खूब मन लग रहा था। लेकिन सात साल की उम्र में दिशा ही बदल गई। अचानक मां-बाप के दिल में धर्म रक्षा को लेकर बेटे को संन्यासी बनाने का ख्याल आया और बेटे को नागा को दान दे दिया। शिवराज को पता भी नहीं था कि उनके साथ क्या हो रहा है और ऊपर वाले ने उनकी किस्मत में क्या लिख रखा है। उम्र बढ़ती गई और धर्म अध्यात्म में मन रमता गया। एक समय ऐसा आया जब शिवराज शिव बाबा नागा बन गए और सनातन धर्म की रक्षा में लग गए।

अब तो संसार ही मां बाप

शिवराज से शिव नागा बाबा के सफर को अब वह याद नहीं करना चाहते हैं। उनका बस यही कहना है कि प्रभु को जो मंजूर होता है वह इंसान से कराता है। मुझे सनातन धर्म की रक्षा के लिए नागा बनाना था बना दिया। अब तो पूरा संसार ही अपना परिवार और सनातन धर्म प्राण से बढ़कर है। वह अपने घर-परिवार और गांव जिला का नाम बताने के बजाए बस इतना कहते हैं कि संन्यासी की जात और घर नहीं पूछा जाता है। शिव का सेवक हूं और पूरा संसार अपना घर। बाबा जहां गए वहीं ठिकाना बन जाता है।

धूनी रमाना और सनातन धर्म की रक्षा करना

बाबा का कहना है कि जीवन का बस एक ही उद्देश्य है, बाबा की भक्ति में धूनी रमाना और सनातन धर्म की रक्षा करना। उनका कहना है कि वह तो फौज के एक सिपाही की तरह हैं। भोले ही हमारे सबकुछ हैं और उनकी मर्जी हुई तो सब मिशन पर लग जाएंगे। बाबा का कहना है कि कुंभ के बाद वह फिर काशी चले जाएंगे और वहीं अपनी तपस्या करेंगे।

सात साल की उम्र से ही वह वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर रहते हैं और गुरु की आराधना करते हैं। नागा का जो उद्देश्य होता है वह उस पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं। सेना के एक सच्चे सिपाही की तरह वह सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना समय तपस्या और जन कल्याण के लिए साधना में लगाते हैं।

कुंभ से मिली बड़ी शांति

शिव नागा बाबा का कहना है कि कुंभ में प्रयागराज ने बड़ी शांति व उपासना का बड़ा अवसर दिया है। स्नान के साथ तप का अच्छा समय रहा है। संगम तट पर त्रिवेणी में स्नानकर गुरु की तपस्या के साथ लोगों से मिलने-जुलने का भी अवसर मिला। अपनी तपस्या और साधना से लोगों का कल्याण हो यही गुरु से कामना रहती है। जो गति काशी में होती है वही गति संगम तीरे भी है। सात साल की उम्र से आज तक गुरु ने तपस्या का बड़ा समय दिया।