- पुरानी मैकेनिकल क्लॉक उतारकर डिजिटल क्लॉक इंस्टॉलेशन का काम शुरू

- चेन्नई से मंगाई गई हैं 9 लाख रुपए की डिजिटल क्लॉक

- ब्रिडकुल द्वारा कराया जा रहा रेट्रोफिकेशन का काम

देहरादून, दून का दिल कहे जाने वाले घंटाघर में जान फूंकने की कवायद शुरू कर दी गई है। घंटाघर की पुरानी क्लॉक्स हटाई जा रही हैं, चंद दिनों में ही यहां स्पेशल चेन्नई से मंगाई गई डिजिटल क्लॉक इंस्टॉल कर दी जाएंगी। ब्रिडकुल द्वारा घंटाघर के रेट्रोफिकेशन वर्क के तहत क्लॉक इन्टॉलेशन का काम शुरू हो गया है।

4 पुरानी क्लॉक निकालीं

घंटाघर पर पहले मैकेनिकल क्लॉक लगी थीं, बताया जाता है कि ये क्लॉक स्विटजरलैंड से मंगाई गई थीं। अब इन क्लॉक्स की मियाद पूरी हो चुकी थी, तीन साल से ये काम नहीं कर रही थीं। इसके बाद नगर निगम द्वारा घंटाघर के रेट्रोफिकेशन और ब्यूटीफिकेशन की कवायद शुरू की गई। ब्रिडकुल द्वारा रेट्रोफिकेशन का काम किया जा रहा है, इसी के अंतिम चरण में अब नई क्लॉक इन्स्टॉल की जा रही हैं। दून का घंटाघर षट्कोणीय है, पहले की तरह इसके हर कोण पर एक क्लॉक इन्स्टॉल की जाएगी।

मैकेनिकल क्लॉक हटाने में छूट रहे पसीने

ब्रिडकुल द्वारा पुरानी क्लॉक हटाने के लिए लगाए गये श्रमिकों के इन्हें अनइंस्टॉल करने में पसीने छूट रहे हैं। पुरानी क्लॉक मैकेनिकल है, इसके भारी-भारी पुर्जो में जंग लग चुका है, ऐसे में इन्हें अनइंस्टॉल करना आसान नहीं हैं। 4 दिन में सिर्फ 4 क्लॉक ही अनइंस्टॉल की गई हैं, इनमें से एक टूट भी गई है।

अब लगेंगी स्वदेशी डिजिटल क्लॉक

घंटाघर पर स्विटजरलैंड की मैकेनिकल क्लॉक की जगह अब चेन्नई की स्वदेशी डिजिटल क्लॉक इंस्टॉल की जा रही हैं। ये इलेक्ट्रिक पावर से चलेंगी, जबकि मैकेनिकल क्लॉक्स पेंडुलम बेस थीं। चेन्नई से इन क्लॉक्स को 9 लाख रुपए में खरीदकर दून लाया गया है।

2 वर्ष में घंटाघर का नया अवतार

नगर निगम द्वारा घंटाघर के कायाकल्प के लिए दो वर्ष पहले कवायद शुरू की गई थी। ब्रिडकुल को घंटाघर के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि ब्यूटीफिकेशन का जिम्मा निगम ने अपने पास रखा। ब्रिडकुल द्वारा रेट्रोफिकेशन का काम बी फरवरी 2018 में पूरा कर दिया गया था। लेकिन, क्लॉक इन्स्टॉलेशन को लेकर विलंब होता गया। पहले क्लॉक की खरीद के लिए तय बजट कम पड़ गया, ऐसे में नगर निगम को बजट बढ़ाने की अपील की गई। हाल ही में नगर निगम ने बजट बढ़ाकर स्वीकृत किया, जिसके बाद चेन्नई से डिजिटल क्लॉक मंगाई गई। जल्द ही घंटाघर नए अवतार में सामने होगा। इसकी क्लॉक्स दूनाइट्स को वक्त बताने लगेंगी।

इतिहास के झरोखे से घंटाघर

-घंटाघर की आधारशिला यूपी की गवर्नर रही सरोजनी नायडू ने 26 जुलाई 1940 में रखी थी।

-23 अक्टूबर 1953 को हुआ था इनॉग्रेशन।

- तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किया था लोकार्पण।

-पहले बलबीर घंटाघर के नाम से था फेमस।

-घंटाघर निर्माण के लिए दून के स्व। लाला बलवीर सिंह की पत्नी मनभरी देवी ने डोनेट किए थे 25 हजार रुपए।

-बलबीर सिंह दून के फेमस हस्ती थे, वे न्यायाधीश थे। 22 सितंबर 1936 को उनका देहांत हुआ था।

-सवा लाख रुपए खर्च हुए थे घंटाघर निर्माण में।

- स्विटजरलैंड से मंगाई गई थीं मैकेनिकल क्लॉक।