- स्वास्थ्य विभाग ने शासन को भेजा दून हॉस्पिटल को मेडिकल कॉलेज से अलग करने का प्रस्ताव

- मेडिकल कॉलेज में मर्जर के बाद हॉस्पिटल को नहीं मिल रही कई सुविधाएं और बजट

- स्वास्थ्य विभाग को है शासन से अनुमति मिलने का इंतजार

DEHRADUN: दून मेडिकल कॉलेज और दून हॉस्पिटल का मुद्दा एक बार फिर चर्चाओं में है। एक बार फिर उम्मीद जगी है कि दून हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज से अलग होगा। बाकायदा इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है और शासन से अनुमति मिलने का इंतजार कर रहा है।

शासन को भेजा प्रस्ताव

दून हॉस्पिटल के मेडिकल कॉलेज का हिस्सा बनने के बाद से लेकर लगातार यहां मरीजों के लिए सुविधाएं कम होती रही हैं। व्यवस्थाएं लगातार बदहाली की ओर बढ़ी हैं और मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना यहां करना पड़ रहा है। लगातार यह मांग भी उठ रही है कि दून हॉस्पिटल को मेडिकल कॉलेज से अलग किया जाए। दून हॉस्पिटल में मरीजों का काफी ज्यादा दबाव रहता है, दूर-दूर से लोग यहां इलाज के लिए आते हैं और हादसों के दौरान कई जिलों से रेफरल केसेज भी यहीं पहुंचते हैं। अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर हाल ही में एबीवीपी ने भी दून हॉस्पिटल के एमएस का घेराव किया था। कई महीनों तक सीटी स्कैन, इको मशीन, एनालाइजलर भी खराब रहे। यह सारी अव्यवस्थाएं देखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग ने शासन को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें दून हॉस्पिटल को मेडिकल कॉलेज से अलग करने की बात कही गई है।

दोनों का वर्किग पैटर्न है अलग

मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल का वर्किग पैटर्न काफी अलग

होता है। जहां मेडिकल कॉलेज के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग से बजट जारी होता है, वहीं हॉस्पिटल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बजट दिलाया जाता है। हॉस्पिटल में तैनात डॉक्टर सिर्फ मरीज की जांच करता है तो मेडिकल कॉलेज का डॉक्टर मरीज को देखने के साथ ही मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाने का काम भी करता है। मरीजों की सुविधा के लिहाज से हॉस्पिटल की व्यवस्थाएं ज्यादा कारगर साबित होती हैं।

जिला अस्पताल का बजट नहीं

राज्य और केंद्र सरकार समय-समय पर जिला हॉस्पिटल्स के लिए अलग से बजट का आवंटन करते रहते हैं। साथ ही कई योजनाएं और सुविधाएं भी होती हैं जो सिर्फ जिला अस्पताल को ही मिलती हैं। लेकिन, मेडिकल कॉलेज के साथ मर्जर के बाद दून हॉस्पिटल को अब यह बजट नहीं मिल पा रहा है।

हॉस्पिटल की राह में ये है रोड़ा

दून हॉस्पिटल के मेडिकल कॉलेज से जुड़ते ही कॉलेज प्रशासन ही अब इस हॉस्पिटल का प्रबंधन करता है। अब तक मेडिकल कॉलेज लगभग ख्00 करोड़ का बजट दून हॉस्पिटल और महिला हॉस्पिटल पर खर्च कर चुका है। अब अगर दून हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज से अलग होता है तो इसके लिए नए भवन की जरूरत होगी। भवन के लिए करोड़ों के बजट के साथ ही जमीन की जरूरत होगी जो आसान नहीं है।

-दून हॉस्पिटल को मेडिकल कॉलेज से पृथक करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शासन की अनुमति का विभाग इंतजार कर रहा है। मेडिकल कॉलेज के साथ मर्जर के बाद हॉस्पिटल को राज्य और केंद्र सरकार से जो सुविधाएं और बजट मिलता था वह नहीं मिल पा रहा है।

- डॉ। डीएस रावत, डीजी हेल्थ।