- ताज महोत्सव में सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बना यह दरवाजा

- तिरुपति बालाजी की मूर्ति भी लुभा रही लोगों को

-नकली फूलों की खुशबू खींच रही सबको

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AGRA। हर किसी की चाहत होती है कि उसका घर इतना खूबसूरत हो कि हर इंसान सिर्फ उसको निहारता ही रह जाए। घर में रखा हर सामान तारीफ ही बटोरे। पर्दे से लेकर सोफा तक और दीवारों पर टंगने वाली पेंटिग्स तक। लेकिन आमतौर पर हम दरवाजों पर ध्यान नहीं देते हैं। पहले तो लकड़ी के सामान्य से दरवाजे लगा दिए जाते थे, अब घर में डिजायनर दरवाजे लगने लगे हैं। लेकिन क्या आप अपने घर में क्भ् लाख रुपये का दरवाजा लगाना पसंद करेंगे? चौंक गए ना, लेकिन यह सच है कि ताज महोत्सव में एक दरवाजा मिल रहा है, जिसकी कीमत क्भ् लाख रुपये है।

क्ब् फुट है लंबाई

आंध प्रदेश से आए दरस्वामी की इस कला को देखने वालों की कमी नहीं है। ताज महोत्सव में एंट्री करने के बाद ही इस सुंदर दरवाजे को देखा जा सकता है। इसकी ऊंचाई क्ब् फुट है। सुंदर नक्काशी किए हुए इस दरवाजे को अभी भी दरस्वामी फाइनल रूप दे रहे हैं। दरस्वामी ने बताया कि वो पिछले भ्-म् सालों से ताज महोत्सव में आ रहे हैं। यहां आकर उन्हें काफी प्यार मिलता है। लोग उनकी कला को सराहते भी हैं और खरीददार भी हैं। इस दरवाजे को तैयार करने में उन्हें तीन-चार महीने का समय लगा है।

तिरुपति बालाजी की मूर्ति भी है लाजवाब

इस दरवाजे के अलावा दरस्वामी के स्टॉल पर एक मूर्ति भी लोगों को काफी पसंद आ रही है। यह तिरुपति बालाजी की मूर्ति है। इसकी कीमत क्ख् लाख रुपये है। इसे बनाने में भी दरस्वामी को कई महीने लगे हैं।

यहां नकली फूल से आती है खुशबू

हर साल की तरह इस साल भी यहां नकली फूल बिकने आए हैं। इन फूलों की खासियत यह है कि इन्हें खरीदने वालों की यहां सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। नेपाल से आने वाली रूबी बताती हैं कि उनके फूलों की काफी डिमांड रहती है। अलग-अलग रंगों में बिकने वाले ये फूल सभी को आकर्षित करते हैं। इन फूलों की एक स्टिक्स की कीमत फ्0 रुपये से शुरू हो जाती है।

बारिश ने धोया मजा

फ्राइडे को हुई बरसात ने शिल्पियों के हाथ-पैर फुला दिए। वे फटाफट अपना सामान बटोरने में लग गए। किसी को अपना टेराकोटा का सामान बचाना था, तो किसी को अपने लकड़े के सामान की चिंता थी। कपड़े वाले अपने सामान को फिर से पैक करने में लग गए। बरसात ने शिल्पियों को काफी नुकसान पहुंचाया है। बरसात होते ही शिल्पियों ने अपने सामान पर पॉलीथिन व अन्य तरह से बचाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं।