सुबह हुई थी पट्टिदारों में मारपीट, दोनो पक्षों के आधा दर्जन हुए थे घायल

शाम को किया गया सुनियोजित हमला, आन द स्पॉट हो गयी दोनों की मौत

शिवरात्रि के दिन बेर ने पट्टिदारों के बीच ऐसा बैर कराया कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गये। दिन में दोनों ने एक-दूसरे का खून बहाया तो शाम को एक पक्ष के लोगों ने सगे भाइयों को मौत के घाट उतार दिया। इस घटना से अफसर तक सन्नाटे में आ गये। दिन में एनसीआर लिखकर मामले को टरकाने वाली पुलिस हरकत में आ गयी। बवाल रोकने के लिए मृतकों को घायल बताकर पुलिस उठा ले आयी और पोस्टमार्टम हाउस में दाखिला करा दिया।

सुबह आठ बजे से विवाद

मामला मांडा थाना क्षेत्र के बगोहरा का है। यहां रहने वाले दशरथ और जिया लाल का परिवार दो पीढ़ी पहले तक एक ही खानदान था। परिवार बढ़ता गया तो बंटवारा होता गया। अब दोनों पक्ष पट्टिदार बन चुके हैं। मरने वालों में 55 वर्षीय दशरथ और उनके सगे छोटे भाई 40 वर्षीय राकेश का नाम शामिल है। घटना की शुरुआत सुबह आठ बजे हुई। शिवरात्रि के दिन शिव मंदिर में बेर चढ़ाने की भी परंपरा है। इसी के चलते दशरथ के परिवार के सदस्य बेर तोड़ने गये थे। दूसरे पक्ष के जिया लाल और उनके भाइयों ने पेड़ पर अपना दावा ठोंकते हुए बेर तोड़ने से मना किया। इसी पर बात आगे बढ़ गयी और दोनों पक्षों के लोग जुट गये। बतकुच्चन से आगे बढ़कर बात हाथापाई तक जा पहुंची और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमला कर दिया।

गंभीर घायल, फिर भी सिर्फ एनसीआर

घटना में दोनों पक्षों के आधा दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गये। घायलों में एक पक्ष के दशरथ, उनके सगे भाई राकेश, शिवसागर और उनकी पत्‍‌नी मंजू देवी थीं तो दूसरे पक्ष के जिया लाल, जीत लाल, रामनाथ, विमला देवी और सरोज कुमार जख्मी हुई थीं। घटना के बाद घायल सीएचसी मांडा पहुंचे। सूचना मिलने पर पुलिस भी पहुंच गयी। दोनों पक्षों की ओर से रिपोर्ट दर्ज करने के लिए नामजद तहरीर दी गयी। पुलिस ने दोनों पक्षों की तहरीर पर सिर्फ एनसीआर दर्ज किया और एक पक्ष से जिया लाल और दूसरे पक्ष से शिव सागर को थाने में बैठा लिया। इसके बाद दोनों पक्षों के लोग घर चले गये।

लाठी-डंडा और कुल्हाड़ी से हमला

शाम को साढ़े पांच बजे के आसपास सुबह की घटना की सूचना पाकर जिया लाल के रिश्तेदार जुट गये। सीएससी पहुंचे मृतकों के परिवार के सदस्यों के अनुसार जिया लाल पक्ष के लोग गोलबंद होकर हमले की मुद्रा में पहुंचे थे। उनके पास लाठी-डंडे के अलावा कुल्हाड़ी थी। उन्होंने दशरथ और राकेश पर हमला किया। हमले में अधमरे हो गये दोनों को परिवार के लोग लेकर सीएचसी पहुंचे। तब तक दोनों की मौत हो चुकी थी। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने दोनों की हालत गंभीर बताया और इलाहाबाद भेजवा दिया। यहां पहुंचने पर पता चला कि दोनों की पहले ही मौत हो चुकी है।

20 साल बाद बेटी का बाप बना था दशरथ

दशरथ कुल चार भाई हैं। 55 वर्षीय दशरथ सोनकर की शादी पहले हुई थी लेकिन पहले बच्चे का मुंह देखने के लिए उन्होंने करीब 20 साल इंतजार किया था। उनकी इकलौती बेटी की उम्र सिर्फ आठ साल है। 40 वर्ष के राकेश के साथ भी कुछ ऐसा ही था। उन्हें भी 16 साल बाद पहला बच्चा हुआ। उनके बेटे की उम्र सिर्फ ढाई माह है। तीसरे भाई शिवसागर के चार बच्चे हैं। चौथे कामता प्रसाद हैं जो मोटर मैकेनिक का काम करते हैं। चारों भाईयों में बंटवारा हो चुका है लेकिन परिवार गांव में ही रहता है। बाकी तीनो खेती-किसानी करते हैं।