- चार दिन बाद भी नहीं दर्ज हुआ मुकदमा

- पिता ने मुख्यमंत्री और डीजीपी से लगाई न्याय की गुहार

GORAKHPUR: दहेज के लिए एक सप्ताह पहले ससुरालियों द्वारा जलाए जाने के मामले में खोराबार पुलिस ने मुकदमा नहीं दर्ज किया। विवाहिता के मायके के लोग थाने में गुहार लगाते रहे, लेकिन कानून को हाथ खिलौना समझने वाली खोराबार पुलिस ने कुछ नहीं किया। मजबूर होकर विवाहिता के पिता ने जिले के अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री और डीजीपी से भी शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसी दौरान बुरी तरह झुलसी पुष्पा की 11 जुलाई को मौत हो गई। पुलिसिया सिस्टम से निराश होकर पिता ने वेंस्डे को प्रेस कांफ्रेंस कर आपबीती सुनाई। मामला बढ़ता देख शाम को पुलिस ने ससुरालियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

दहेज न देने पर लगाई आग

खोराबार एरिया के महुई सुगरपुर निवासी किशोर की पुत्री पुष्पा की शादी 7 फरवरी 2013 को रामगढ़ निवासी सीता राम के पुत्र पप्पू के साथ हुई थी। पिता ने दहेज में एक लाख और जेवरात, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, बाइक और अन्य सामान देकर विदाई की थी। विदाई के बाद से ही ससुराल वाले एक लाख रुपये दहेज और बाइक की मांग करने लगे। पैसा देने से इंकार करने पुष्पा को प्रताड़ना दी जाने लगी, लेकिन वह पति की हरकत को नजरअंदाज करती रही। वहीं ससुराल के लोग भी और दहेज की मांग पर अड़े रहे। एक माह बाद जेठ राकेश ने कट्टे के बट से मारकर पुष्पा को घायल कर दिया। लोकलाज के डर से किसी से कोई शिकायत नहीं की गई। आठ जुलाई 2015 को लगभग तीन बजे पुष्पा काम में मशगूल थी। आरोप है कि इसी दौरान सास, सुसर, जेठ, जेठानी और पति पप्पू ने पकड़ कर उसके शरीर पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया। आग लगते ही वह धू-धू कर जलने लगी। आस-पास के लोगों ने किसी तरह से आग पर काबू पाया और उसे जिला अस्पताल में एडमिट कराया था। यहां से डाक्टरों ने मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान 11 जुलाई की रात उसकी मौत हो गयी। उसका एक बच्चा प्रियांशु है। बेटी की मौत के बाद पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। न्याय के लिए 12 जुलाई को खोराबार थाने में दहेज लोभियों के खिलाफ तहरीर दी गई, लेकिन चार दिन बाद वेंस्डे को पुलिस ने ससुरालियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। वहीं मायके पक्ष के लोगों का कहना है कि ससुराल के लोग लगातार सुलह करने का दबाव भी बना रहे है।

समाज से सवाल करती हत्याएं

हमारे धर्म ग्रंथों में युगों-युगों से नारी को समाज में विशेष स्थान मिला है। मनुस्मृति के एक प्रमुख श्लोक 'यत्र नार्यस्तु पुज्यंते रमंते तत्र देवता' में नारी के महत्व को विस्तार से बताया गया है। हमारे बदलते हुए समाज में भी आधी आबादी को पूरे अधिकार देने की बात होती रहती है। उसी समाज के घरों में हो रहे महिला उत्पीड़न और दहेज के लिए हो रही महिलाओं कीे

हत्याएं सभ्य समाज के लिए चुनौती बनी हुई हैं।