- 600 आवेदन रोजाना आते हैं डीएल को

- 400 से अधिक लोग रोज करते हैं आवेदन

- 200 से अधिक लोग दो पहिया टेस्ट के लिए पहुंचते हैं

- 180 से अधिक लोग फोर व्हीलर के लिए टेस्ट देने आते हैं

- बढ़ते हुए एक्सीडेंट को देखते हुए टफ की जा सकती है यह प्रक्रिया

- कम्प्यूटर पर होने वाले टेस्ट पेपर से लेकर ट्रैक पर होने वाले ड्राइविंग स्किल का टेस्ट भी नहीं होगा आसान

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LUCKNOW: प्रदेश में लगातार बढ़ रहे एक्सीडेंट को देखते हुए दो पहिया और चार पहिया वाहनों के साथ हैवी लाइसेंस के लिए टेस्ट किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा। दरअसल, ड्राइविंग के दौरान लोगों को अधिक सजग बनाने के लिए डीएल के नियमों में बदलाव की तैयारी चल रही है। इसके लिए ट्रैक पर लिए जाने वाले टेस्ट से लेकर कम्प्यूटर पर होने वाले टेस्ट में बदलाव किया जाएगा। बिना टेस्ट दिए किसी का लाइसेंस नहीं बन पाएगा।

एक ही तरह के आते हैं प्रश्न

अभी तक लाइसेंस के लिए आरटीओ ऑफिस में होने वाले टेस्ट में पिछले कई वर्षो से एक ही तरह के प्रश्न आते हैं, जो दलालों को भी याद हो गए हैं। उन्हे यह भी याद हो गया है कि किस क्वेश्चन का कौन सा आंसर सही है। इसके अलावा ट्रैक पर दो पहिया वाहनों को अंग्रेजी के 8 की आकृति बनानी होती है वहीं फोर व्हीलर के लिए एक गोल चक्कर लगाना होता है। दोनों ही काम आसानी से पूरे हो सकते हैं। ऐसे में ऑनलाइन टेस्ट से लेकर ट्रैक पर लिए जाने वाले ट्रैक में बदलाव किया जाएगा।

पास कराने का चलता है खेल

विभागीय अधिकारियों के अनुसार फोर व्हीलर के लिए एक और व्यवस्था की गई है, जिसमें कई बार लोग फेल भी होते हैं। इसमें दो-दो प्लास्टिक के कोन आगे और पीछे रख दिए जाते हैं और वाहन चालक को इसके बीच से होते हुए गुजरना होता है। वहीं फिर बैक कर वापस उसी प्वाइंट पर आना होता है जहां से शुरुआत की थी। इसमें कई बार लोग फेल हो जाते हैं। जानकारों की मानें तो अपनों को पास कराने के लिए कई बार यह कोन अधिक दूरी पर रख दिए जाते हैं।

नहीं रिपीट होगा क्वेश्चन

सूत्रों के मुताबिक सबसे पहले कम्प्यूटर पर लिए जाने वाले टेस्ट की प्रक्रिया में बदलाव किया जाएगा। इसमें पूछे जाने वाले प्रश्न को बदला जाएगा। इन प्रश्नों का बैंक बनाया जाएगा। प्रयास यह होगा कि लगभग 60 क्वेश्चन तैयार किए जाएं, जिससे एक क्वेश्चन का नंबर तकरीबन कम से कम एक महीने बाद आए। क्वेश्चन रिपीट ना होने से आवेदकों को इसका सामना करना पड़ेगा। वहीं ट्रैक पर होने वाले टेस्ट के लिए भी नये नियम तलाशे जा रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि ट्रैक पर होने वाले टेस्ट सीसीटीवी की निगरानी में लिए जाएंगे। इससे जिन्हें ड्राइविंग नहीं आती है वे लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं करेंगे।

कोट

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लोगों भी भीड़ बढ़ती जा रही है। जिन्हें फोर व्हीलर लाइसेंस की जरूरत नहीं है वे भी इसके लिए आवेदन कर देते हैं। लोगों को ड्राइविंग के प्रति बेहद सतर्क बनाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए नियमों में बदलाव हो सकता है। लाइसेंस के लिए आने वाले लोगों की क्लास भी लेने की योजना बनाई गई है, जिससे उन्हें ड्राइविंग का पाठ भी पढ़ाया जा सके।

संजय तिवारी

एआरटीओ प्रशासन

आरटीओ ऑफिस, लखनऊ

बॉक्स

टाइम स्लॉट की व्यवस्था में हुआ परिवर्तन

आरटीओ ऑफिस में बढ़ने वाली भीड़ को देखते हुए टाइम स्लॉट की व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया है। अब लोगों को टेस्ट के लिए उसी दिन आना होगा, जिस दिन का टाइम स्लॉट दिया गया हो। उस दिन ना पहुंचने पर दो एक्स्ट्रा दिन मिलेंगे। इन दो दिनों में ना पहुंचने पर आवेदक को नया टाइम स्लॉट लेना होगा। पहले टाइम स्लॉट कभी का हो आवेदक उसके पहले भी पहुंच कर लाइसेंस के लिए आवेदन कर देते थे, लेकिन अब इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया है।