देहरादून

वर्किंग पैरेंट्स अपने बच्चों को समय नहीं दे पा रहे, ऐसे में उन्हें कथित संतुष्टि के लिए एक्स्ट्रा पॉकेटमनी दे रहे हैं। यही पॉकेट मनी उनके बच्चों के जीवन में नशे का जहर घोल रही है। दून में स्कूल-कॉलेज गोईग स्टूडेंट्स में ड्रग्स के एडिक्शन पर किए गए एक सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। युवा पीढ़ी में फैलते नशे के जहर पर सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन पर प्रदेश में हाईकोर्ट ने विधिक सेवा प्राधिकरणों को नशे की लत हटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी मुहिम में देहरादून के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने पैरा लीगत वॉलिटियर्स के जरिए नशे की गिरफ्त में फंसे 1000 से अधिक ड्रग एडिक्ट, स्टूडेंट्स व ड्रग पैडलर्स के बीच सर्वे किया। सर्वे में सामने आया कि देवभूमि के लाखों युवाओं की नसों में नशा दौड़ रहा है। स्कूल-कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट ड्रग माफिया के निशाने पर हैं। उन तक नशा पहुंचाने के लिए भी बच्चों को महिलाओं को लालच देकर ड्रग पैडलर बनाया जा रहा है।

---------------

सैंपल साइज ऑफ सर्वे

नशे की गिरफ्त में फंसे 1000 युवाओं पर यह सर्वे किया गया। इसमें

चार एज फैक्टर के ऐसे महिला,पुरूष, टीन एजर्स को शामिल किया जो नशा करते हैं, तस्करी में लिप्त रहे, या फिर ड्रग पैडलर बनकर माफिया के लिए काम कर रहे हैं। खतरनाक ड्रग्स और शराब का नशा करने वालों में जो नशा छोड़ना चाह रहे है। उनकी मदद का लक्ष्य रखा गया है। नशा मुक्ति का खर्च सरकार वहन करेगी।

सर्वे के पार्टिसिपेंट्स की जानकारी गोपनीय रखी गई हैं।

3 कैटेगिरी के खतरनाक नशे की गिरफ्त में स्टूडेंट

-कोकीन,हेरोइन, चरस,अफीम,गांजा, ब्राउनशुगर, भांग

-कफ,नींद और अवसाद की गोलियां

- नेल पॉलिश, रिमूवर, पेट्रोल व पेंट

---------------------

नशे के दलदल में धंसने की वजह

-वर्किंग पैरेंट्स द्वारा बच्चों को अधिक पॉकेटमनी देना

-सुकून के लिए नशा लेना शुरू किया

-दुखी हालत में क्षणिक सुख के लिए

-अकेलापन दूर करने के लिए

-सही गाइडेंस का अभाव

-कॉन्फिडेंस बिल्ट करने के लिए

-अनिद्रा व गुस्से को काबू करने के लिए

-----------------

नशे के साइड इफेक्ट

- लत लगने पर कुछ भी अच्छा न लगना बेचनी बढ़ना

- फ्यूचर प्लानिंग की केपेसिटी ही खत्म हो जाना

- गुस्सा,भूख न लगना, चिढ़चिढ़ापन, हाथ पैरो में दर्द,

- मस्तिष्क, यकृत, हदय, व गुर्दो पर बेड इफेक्ट

- हिंसा, आत्महत्या, घरेलू हिंसा,हत्या के लिए अग्रेसिव, व रोड एक्सीडेंट का शिकार

------------------

एडिक्शन दूर करने के प्रयास

- मन को सॉलिड बना नशा छोड़ने के लिए प्रयास

- रिहेब सेंटर में एडमिट होकर इलाज कराना

- साइकोलॉजिकल तरीके से ट्रीटमेंट

-ध्यान एवं योग के जरिए नशा छोड़ना

- परिवार के लोगों व दोस्तों के साथ रहे

-मन को यूजफुल व‌र्क्स में लगाए

-----------------------

नशे के खिलाफ सख्त प्रावधान

एनडीपीएस एक्ट-

नशे के अवैध कारोबार और सेवन की रोकथाम के लिए एनडीपीएस एक्ट है। एक्ट की धारा-2 में भांग,चरस,गांजा, अफीम और पोस्ता को नारकोटिक्स डिफाइन किया गया है। इनका यूज, प्रोडक्शन व सेल अपराध है, ऐसे व्यक्ति को सजा का प्रावधान है।

एनडीपीएस एक्ट के पुराने प्रावधान

धारा 17- अवैध अफीम रखना,बेचना, खरीदना,ट्रांसपोर्ट-10 वर्ष तक सजा, एक लाख जुर्माना

धारा 18- बिना लाइसेंस अफीम की खेती बिक्री-10 वर्ष तक सजा, एक लाख जुर्माना

धारा 27- अवैध मादक पदार्थ नशे के लिए मिलने पर- एक वर्ष की सजा

धारा 64 ए-नशेड़ी इलाज कराना चाहिए तो प्रोसिक्यूशन से छूट, लेकिन नशा किया तो फिर प्रॉसिक्यूशन

धारा 29- ड्रग पैडलर्स तैयार करने वालों को कठोर सजा का प्रावधान

टीन एजर्स को नशा कराने वालों पर भी सख्त कानून

धारा 77- टीन एजर्स को शराब अथवा सूखा नशे की लत लगाने वाले को 7 वर्ष सजा, एक लाख तक जुर्माना

धारा 78- टीन एजर्स को ड्रग पैडलर बनाने वाले को 7 वर्ष सजा, 1 लाख जुर्माना

--------------

नया प्रवधान जोड़े

200 ग्राम से लेकर 1 किलो तक प्रतिबंधित नशाला पदार्थ मिलने पर उसे कामर्शियल से कम माना जाएगा, लेकिन 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान

1 किलो से अधिक नशीला पदार्थ पाए जाने पर 10 वर्ष से अधिक की सजा अनिवार्य की गई है।

---------------

नालसा योजना

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नालसा योजना 2015 (नशा पीडि़तों को विधिक सेवाएं एवं नशा उन्मूलन के लिए) बनाई गई है।

-स्कूल कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स,कच्ची बस्तियों,झौपड़पट्टी के बच्चों, इंजेक्टेबल ड्रग लेने वालों, कैदियो ,दवा बेचने वालों, इस्तेमाल करने वालों व सेक्स वकर्स को ड्रग्स से होने वाले नुकसान के बारे में अवेयर करना, कानूनी सहायता उपलब्ध कराना, पब्लिक डीलिंग से जुड़े विभागों के अधिकारियों को ड्रग्स के बारे में प्रावधान बताना,ड्रग एडिक्ट को पहचानकर रिहेब की व्यवस्था, मादक पदार्थो की अवैध खेती बंद कराना इस योजना का उद्देश्य है।

विधिक सेवा प्राधिकरण एक्टिव

-नशे की अवैध तस्करी,उपयोग व बिक्री के अलावा कानूनी जानकारी के लिए प्रदेश के सभी 13 जिलों में विधिक सेवा प्राधिकरण व नैनीताल हाईकोर्ट की विधिक सेवा समिति से भी संपर्क की जानकारी ली जा सकती है।

------------------------------

-

सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन और हाईकोर्ट की गाइड लाइन पर विधिक सेवा प्राधिकरण ने सर्वे कराया था,जिसमें चौंकाने वाली बाते सामने आई हैं, बदलाव की मुहिम है, अवेयरनेस से ही देवभूमि का दानव खत्म होगा।

सुरेश उनियाल,

स्टेट कॉर्डिनेटर,

बचपन बचाओ आंदोलन

'संकल्प' नशा मुक्त देवभूमि

विधिक सेवा प्राधिकरण ने प्रदेश की युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने की बड़ी मुहिम स्टार्ट की है। इसे संकल्प नाम दिया गया है। पिछले माह 27 वे 28 सितंबर को देहरादून के ओएनजीसी सभागार में हाईकार्ट के चीफ जस्टिस की मौजूदगी में नशे के खिलाफ मंथनहुआ। जसमें उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से नशा पीडि़तो को विधिक सहायता,नशा उन्मूलन और नशा पीडि़तों के पुर्नवास के लिए संकल्प लिया गया।

--------------

सर्वे में सबसे बड़ा खुलासा:

सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन और हाईकोर्ट की गाइड लाइंस पर देहरादून में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ज्यूडिशिल ऑफिसर नेहा कुशवाह ने पैरा लीगल वॉलिटियर्स, बचपन बचाओ आंदोलन और पुलिस को शामिल कर सर्वे कराया तो सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि दून में ड्रग मॉफिया मलिन बस्तियों में ड्रग पैडलर तैयार कर रहा है। गरीब लोगों की मजबूरी का फायदा छोटा-मोटा लालच देकर ड्रग तस्करी के लिए स्लम एरियाज के महिलाओं और बच्चों को ड्रग पैडलर बना रहे है। स्कूल-कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स को पहले फ्री में नशा करा उन्हें लत लगाते हैं, फिर उन्हीं बच्चों को ड्रग पैडलर बनाकर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में नशे का जाल फैला रहे हैं। कुछ स्टूडेंट्स ने तो यह भी कबूल किया कि ब्राउन शुगर,स्मैक की लत लगने के बाद पैरेंट्स ने उन्हें रिहेब सेंटर भी भी भेजा लेकिन उनकी लत नहीं छूट पायी। लौटकर वे फिर नशा करने लगे। उनके कुछ दोस्तों ने नशा न मिलने पर सुसाइड तक कर लिया।