छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : मौसम के बदलते ही बीमारियां दस्तक देने लगती हैं। खासकर बारिश के मौसम में बीमारियां ज्यादा पनपती है। यही वजह है कि इन दिनों मलेरिया, जापानी इंसेफलाइटिस और डायरिया के कई केसेज सामने आ चुके हैं। मलेरिया और डायरिया से कुछ पेशेंट्स की जान भी चली गई है। गंदगी इन बरसाती बीमारियों के फैलने की एक बड़ी वजह है। शहर के कई इलाकों में कूड़े-कचरे डंप है और साफ-सफाई में लापरवाही की वजह से बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

नही है पूरी तैयारी

बरसात से पहले जेएनएसी, एमएनएसी जैसी यूनिसिपल अथॉरिटीज और हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा साफ-सफाई और बीमारियों से बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाने के दावे किए जा रहे थे, अब पर इन दावों की पोल खुलने लगी है। शहर में ऐसे कई इलाकेहैं, जहां ना तो प्रॉपर वे में साफ-सफाई की गई है और ना ही छिड़काव की ही कोई व्यवस्था है। बरसात के मौसम में यही गंदगी बीमारियों की वजह बन जाती है।

कई इलाकों में पसरी है गंदगी

मानगो के दाईगुट्टू, जुवंर बस्ती, नित्यानंद कॉलोनी और आजादनगर सहित कई इलाकों में गंदगी और वाटर लॉगिंग की समस्या जस की तस बनी हुई है। कुछ ऐसा ही हाल साकची स्थित रिफ्यूजी कॉलोनी, जसीडीह बागान एरिया, गुरुनानक बस्ती का भी है। बागबेड़ा, शास्त्री नगर के कई इलाके भी गंदगी की समस्या बनी हुई है। यही गंदगी लोगों को मलेरिया और डायरिया जैसी कई बीमारियों का शिकार बना रही है। जेएनएसी और एमएनसी द्वारा रुटिन प्रॉसेस के तहत प्रॉपर वे में साफ-सफाई की बात कही जा रही है, पर इन इलाकों में सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही साफ-सफाई की जा रही है।

नही होता सफाई का फायदा

कई इलाकों में साफ-सफाई का एक अनोखा अंदाज देखने को मिलता है। नालियों से गंदगी निकालकर सड़क के किनारे रख दी जाती है। सड़क पर कई दिनों तक पड़ी रहनेवाली इस गंदगी से बदबू आती रहती है, जिससे आने-जाने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। इतना ही नहीं, यह गंदगी कई दिनों तक सड़क के किनारे पड़ी रहती है, ऐसे में जब बारिश होती है तो यही गंदगी फिर से वापस नाली में चली जाती है। एमएनएसी के स्पेशल ऑफिसर जेपी यादव भी इस बात को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि एमएनएसी द्वारा नालियां साफ कर कई बार कचड़े को सड़क पर रखा जाता है, जिसे बाठ में उठाकर दूसरी जगह डंप किया जाता है।

कैसे लगेगी बीमारियों पर लगाम

बरसात के मौसम में मच्छरों के पनपने से रोकने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा छिड़काव किया जाता है, पर गंदगी और वाटर लॉगिंग की वजह से इस छिड़काव का भी खास असर नहीं दिखता है। सिविल सर्जन डॉ विभा शरण ने बताया कि जब तक साफ-सफाई की व्यवस्था बेहतर नहीं होगी, छिड़काव से भी बहुत फायदा नहीं होनेवाला है। उन्होंने कहा कि सफाई के लिए म्यूनिसिपल अथॉरिटीज को लेटर भेजा गया है।