करोड़ों की लागत, 8 माह में कबाड़ बन गया महिला अस्पताल

आठ महीने में ही नए वार्ड की दीवारें सीलन से भरी, नवजातों में संक्रमण का खतरा

एसएनसीयू में रखे न्यू बार्न बेबीज के लिए बाहरी संक्रमण का खतरा बढ़ा

एसएनसीयू में सीलन की वजह से हर समय बना रहता है दीवारों व जमीन में करंट उतर आने का डर

Meerut। जिला महिला चिकित्सालय की सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट यानी एसएनसीयू नवजातों को संक्रमण दे रही है। करोड़ों की लागत से बनी इस बिल्डिंग की दीवारें आठ महीने में ही सीलन से भर गई हैं। सीलन से ग्रस्त इन दीवारों की वजह से नवजातों में संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ गया है। वहीं दीवारों व जमीन में करंट उतर आने का डर भी हर वक्त बना रहता है। इस वार्ड के अलावा मेडिको लीगल रूम का भी यही हाल है।

1966.31 लाख की लागत

जिला महिला चिकित्सालय को 20 अप्रैल 2018 को नवनिर्मित 100 बेड और फोर फ्लोर वाली मैटरनिटी विंग में शिफ्ट किया गया था। पीडब्ल्यूडी की ओर से 1966.31 लाख रूपये की लागत से इसे तैयार किया गया था। इसे शुरू हुए अभी साल भी नहीं बीता कि बिल्डिंग की दीवारों में सीलन घर कर गई है। दरअसल, वार्डो में बने शौचालयों का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह बिगड़ा हुआ है। जिसकी वजह से गंदे पानी की निकासी नहीं हो पाती है और यह पानी दीवारों में घुस जाता है। बेहद सेंसिटिव एरिया माने जाने वाले एसएनसीयू वार्ड के ऊपरी फ्लोर पर बने वार्ड के शौचालय का भी यही हाल है। मेडिको लीगल कक्ष में तो स्थिति तालाब जैसी है। पानी रिसने की वजह से यहां पानी भर जाता है।

इंफेक्शन व करंट का डर

अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। अमर गुंजियाल के मुताबिक एसएनसीयू में ऐसे बच्चे आते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होती है। यह एरिया हाई रिस्क जोन में आता है लेकिन ऐसे हालात में यहां भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। दीवारों पर सीलन की वजह से यहां बाहरी संक्रमण फैलने का खतरा है। सीलन से खतरनाक बैक्टीरिया पनपते हैं और हवा के जरिए नवजात उनके संपर्क में आ जाते हैं। इन बैक्टीरिया की वजह से बच्चों में सांस व पेट का गंभीर संक्रमण हो सकता है। कई बार इस वजह से बच्चों में काला पीलिया, न्यूमोनिया, कमजोरी, कृमि आदि की समस्या हो सकती है। अधिक संक्रमण होने की वजह नवजात की जान भी जा सकती है। दूसरा यहां बिजली संचालित उपकरण होते हैं और सीलन वाली स्थिति में यहां दीवारों और जमीन में करंट उतरने का गंभीर खतरा बना हुआ है।

बच्चे हुए भर्ती

जनवरी - 95

फरवरी - 79

मार्च - 85

अप्रैल - 152

मई - 79

जून - 80

जुलाई - 95

अगस्त - 88

सितंबर - 95

अक्टूबर - 84

नवंबर - 80

दिसंबर अब तक - 36

लीकेज की समस्या से बहुत ज्यादा परेशानी है। पहले भी लेबर रूम में लीकेज की समस्या हो गई थी और अब एसएनसीयू में काफी दिक्कत है। यहां की दीवारों पर सीलन फैल चुकी है। हमने इस संबंध में जिला प्रशासन को शिकायत की है।

डॉ। मनीषा वर्मा, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल