रेलवे अधिकारियों का कहना है कि एक सप्ताह पहले बंद हो चुका था डीएफसी का काम

डंफर ड्राइवर और मालिक को रेलवे अधिकारी बता रहे दोषी

ALLAHABAD: दिल्ली-हावड़ा रूट पर औरेया के पाटा-अछल्दा के बीच बुधवार की भोर में जिस स्थान पर हादसा हुआ, वहां न तो कोई रेलवे क्रासिंग था और न ही रास्ता। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि रेलवे लाइन के किनारे आखिर बालू लदा डम्फर कहां से आया? कहीं ऐसा तो नहीं कि रेलवे द्वारा कराए जा रहे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर वर्क के लिए लगाए गए डंफर की वजह से हादसा हुआ हो?

हादसा के वजह की तलास में यह सवाल बुधवार को दिन भर दिल्ली से औरैया और फिर इलाहाबाद के साथ पूरे देश में उठता रहा। हादसा कैफियात एक्सप्रेस के डंफर से टकराने और चालक द्वारा इमरजेंसी ब्रेक लगाने के कारण हुआ। ट्रैक के पास डम्फर कैसे पहुंचा, इसके लिए रेलवे को ही दोषी ठहराया जाता रहा। जिस स्थान पर हादसा हुआ है, वहां डेडीकेटेडे फ्रेट कॉरीडोर बनाने का काम चल रहा है।

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एक सप्ताह से बंद है काम: सीपीआरओ

इस संबंध में सीपीआरओ एनसीआर गौरव कृष्ण बंसल का कहना है कि रेलवे लाइन पर अचानक डम्फर आने से हादसा हुआ। लेकिन डम्फर रेलवे का नहीं, बल्कि किसी प्राइवेट व्यक्ति का है। घटना स्थल के पास डीएफसी का कार्य कराए जाने की जो बात कही जा रही है, वह गलत है। क्योंकि एक सप्ताह पहले ही काम बंद हो चुका है। वर्तमान समय में मौके पर कोई काम नहीं हो रहा था। डम्फर ट्रैक पर कैसे पहुंचा इसकी जांच चल रही है। दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

फैक्ट फाईल-

ईस्टर्न रेलवे का फ्रेट कॉरीडोर लुधियाना से दादरी होते हुए कोलकाता तक बिछाया जाएगा

करीब 1700 किमी के एरिया में डीएफसी का ट्रैक बिछाया जा रहा है

2021 तक ईस्टर्न डीएफसी का काम पूरा करने का टार्गेट है

इसका सीधा फायदा दिल्ली- हावड़ा रूट की ट्रेंनों को मिलेगा

उन्हें रूट क्लियर मिलेगा और वे टाइम से चलेंगी

ईस्टर्न व वेस्टर्न डीएफसी के प्रोजेक्ट में करीब 90 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे

ईस्टर्न रेलवे की फंडिंग व‌र्ल्ड बैंक कर रहा है

जबकि वेस्टर्न रेलवे की फंडिग जापानी फाइनेंस एजेंसी जाइका कर रही है

डीएफसी के दोनों कॉरीडोर में 3500 किमी का ट्रैक बिछाया जा रहा है