- जमीन के साथ ग्राउंड वाटर भी दूषित होने का खतरा

- राजधानी में 260 प्लास्टिक व्यापारी और 40 निर्माण इकाइयां

LUCKNOW: दूध का पैकेट, सब्जी का बैग, भुजिया, शैम्पू, मसाले, सर्फ, चिप्स और चॉकलेट वगैरह सबकुछ प्लास्टिक के थैले में ही अवेलेबल है। पॉलीबैग जीवन में इस कदर जुड़ गए हैं कि लोग पर्यावरण के बारे में कुछ सोचे बगैर ही सुबह से शाम तक इसके 'साये' में रहते हैं। पॉलीथिन के इसी बेजां इस्तेमाल ने कई मुश्किलें भी खड़ी कर दी हैं। प्रकृति पर इंसान का यह आविष्कार काफी भारी पड़ रहा है। आइए आज पन्नी के इस इस्तेमाल से होने वाले नुकसानों को जानते हैं।

जहरीला हो जाएगा पानी

राजधानी में हर रोज लगभग क्ख् सौ टन कचरा निकलता है। इसमें से लगभग क्0 से क्भ् परसेंट तक प्लास्टिक होता है। यह प्लास्टिक हम घरों से कूड़े में फेंक देते हैं, जिसे नगर निगम का डम्फर लखनऊ के आस-पास के एरिया में डम्पिंग ग्राउंड के रूप में यूज कर रहा है। लखनऊ में गोमती नगर, हरदोई रोड सीतापुर रोड के कई इलाकों में नगर निगम के डम्पर कूड़े को डम्प करते हैं। इसमें बड़ी मात्रा में पॉलीबैग व अन्य प्लास्टिक मैटेरियल होते हैं। इस प्लास्टिक से रिसने वाले केमिकल जमीन को बंजर बनाते हैं साथ ही यह केमिकल अंडर ग्राउंड वाटर में भी मिल जाते हैं। जिसके कारण हमारे पीने का पानी भी लगातार दूषित हो रहा है।

क्यों होता है खतरा?

प्लास्टिक मूलरूप से विषैला या हानिकार नहीं होता लेकिन इसकी ड्यूरेबिलिटी बढ़ाने के लिए कलर्स, केमिकल्स और अन्य रसायनों को मिलाया जाता है। साथ ही, प्लास्टिक बैग्स को चमकीला रंग देने के लिए भी केमिकल मिलाए जाते हैं। यह केमिकल ही खतरनाक होते हैं। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक रिसाइकिल्ड प्लास्टिक में खाद्य पदार्थ नहीं रखने चाहिए। साथ ही, रिसाइकिल्ड या कलर्ड पॉलीबैग्स का भी यूज करने से बचें। ब्0 माइक्रॉन से नीचे के बैग्स का इस्तेमाल इसलिए रोका जाता है कि यह रिसाइकिल नहीं किए जा सकते।

सहूलियत बन रही मुसीबत

हम भले ही पॉलीथिन बाजार से सामान लाने की सहूलियत के लिए पॉलीथिन को यूज करते हों लेकिन यह पूरी कुदरत के लिए बेहद खतरनाक है। मामली सी सहूलियत के लिए समूचे जीव जगत को इतने बड़े नुकसान में डाल रहे हैं। मार्केट में फूड व सब्जियां पैक कराने के लिए लोग पॉलीबैग्स का धड़ल्ले से यूज करते हैं। दुकानदार से लेकर खरीदार तक को इसमें सहूलियत है। इस कारण हर जगह प्लास्टिक पैक सामानों का कचरा सामने आता है। ऐसा इसलिए है कि लोग थैला लाने की जरूरत ही नहीं समझते।

नेपाल, चाइना से आ रही प्लास्टिक

लखनऊ में पॉलीथिन विक्रेताओं के अनुसार ख्भ्0 से ज्यादा व्यापारी हैं जो हर माह करोड़ों की पॉलीबैग व अन्य प्लास्टिक का सामान लखनऊ में सप्लाई करते हैं। इनकी न तो सही से जांच होती है न ही कार्रवाई। पॉलीबैग ब्0 माइक्रॉन से कम के नहीं बन सकते। लेकिन, मार्केट में इस कानून का बड़े स्तर पर उल्लंघन जारी है। लखनऊ में आने वाले प्लास्टिक के सामान में से 80 परसेंट बाहर से आता है। इसमें दिल्ली नोयडा, गाजियाबाद, गुजरात सहित नेपाल और चाइना तक से लखनऊ में पॉलीबैग व अन्य प्लास्टिक का सामान मंगाकर खपाया जा रहा है। थोड़े से लालच की खातिर हम धरती को प्रदूषित कर रहे हैं। इसमें प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की कुर्सियां, मेज व अन्य फर्नीचर सहित अन्य हर प्रकार का प्लास्टिक मैटेरियल शामिल है।

हो सकती हैं समस्याएं

डॉक्टर्स के अनुसार लोगों को प्लास्टिक बैग्स के प्रयोग से बचना चाहिए। इनके कारण एलर्जी के साथ-साथ प्लास्टिक की क्वालिटी खराब है तो कैंसर तक की सम्भावना है। साथ ही, प्लास्टिक के कचरा से पर्यावरण को भी खतरा है।

हर रोज ख्0 गायों की डेथ

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रोजाना ख्0 गाएं पॉलीथिन खाने से मर जाती हैं। हम घरेलू खाद्य का सामान पॉलीबैग में लपेटकर फेंकते हैं। गाएं इन्हें निगल जाती हैं। बाद में यह उनके पेट में इकट्ठा होता रहता है और गायों की मौत हो जाती है। साइंटिस्ट्स के मुताबिक, प्लास्टिक अब केवल जानवरों और पक्षियों के लिए ही खतरा नहीं बचा है बल्कि यह फूड चेन में भी शामिल हो चुका है। जो किसी न किसी रूप में मनुष्यों के शरीर में भी पहुंचता है। धोखे से पॉलीथिन खाने के कारण हर साल दुनिया भर में एक लाख से अधिक व्हेल मछली, सील और कछुए सहित अन्य जलीय जंतु मारे जाते हैं। इतना ही नहीं सैकड़ों सालों तक नष्ट न होने वाली पॉलीथिन से नदी नाले ब्लॉक हो रहे हैं और जमीन की उत्पादकता पर भी असर पड़ रहा है। प्लास्टिक को नष्ट होने में 800 वर्ष लगते हैं। च्च्चों के च्च्चों के डायपर को नष्ट होने में लगभग ब्भ्0 वर्ष लगते हैं।

प्लास्टिक की बोतल भी है खतरनाक

ज्यादातर लोग प्लास्टिक की बोतल से पानी पीते हैं। प्लास्टिक की बोतल में कई नुकसानदेह केमिकल होते हैं जो गर्म होने पर रिसकर पानी में मिल जाते हैं। ये खतरनाक केमिकल सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। कैंसर, कब्ज और पेट संबंधी कई बीमारियों के अलावा मिसकैरेज के खतरे, पुरुषों में स्पर्म काउंटर कम होने के खतरे हैं। प्लास्टिक में विस्फेनोल नाम का केमिकल मिलाया जाता है जो उसे कड़ापन लाने के लिए होता है। विस्फेनोल का उपयोग बेबी बोतल, सीडी कवर, खाद्य और पेय पदाथरें की पैकेजिंग आदि में होता है। एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक कार में रखी प्लास्टिक की बोतल जब धूप या तापमान की वजह से गर्म होती है तो प्लास्टिक में मौजूद नुकसानदेह केमिकल्स का रिसाव शुरू हो जाता है। यही चाय पीने वाले प्लास्टिक के गिलास में भी होता है। हल्का गर्म होने पर ये केमिकल्स पानी में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचता है और शरीर में बुरा असर डालते हैं।

लखनऊ में लगभग ख्म्9 प्लास्टिक कारोबारी हैं और ब्0 निर्माण इकाइयां हैं। रोजाना करोड़ों का व्यापार होता है। इसमें प्लास्टिक बैग से लेकर फर्नीचर तक के आईटम शामिल हैं।

-रवि जैन

प्लास्टिक व्यापारी एसोसिएशन।

हमारे रिकॉ‌र्ड्स के अनुसार कोई भी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट संज्ञान में नहीं है जो नियम के खिलाफ काम कर रही हो। लखनऊ कार्यालय से इसकी जांच के लिए टीम गठित है। कोई ऐसा मामला संज्ञान में आता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कुलदीप मिश्रा, रीजनल ऑफिसर पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड