-अपर परिवहन आयुक्त ने सोमवार को लेटर लिखकर किया अलर्ट

-फर्जी वेबसाइट बनाकर फीस अपने अकाउंट में डलवा रहे हैं ठग

-ऑफिस सहित सार्वजनिक स्थानों पर विभाग की आईडी लिखने का निर्देश

ऑनलाइन ठगी करने वाले अब सरकारी विभागों को भी अपना निशाना बनाने लगे हैं। वे परिवहन विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर सरकारी राजस्व अपने बैंक अकाउंट में डलवा ले रहे हैं। सरकारी वेबसाइट और फर्जी वेबसाइट में बहुत अंतर नहीं होने से गाड़ी मालिक व ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले अभ्यर्थी समझ नहीं पा रहे हैं। फर्जी आईडी पर ठगी करने का मामला सामने आने पर अपर परिवहन आयुक्त वीके सिंह ने सोमवार को विभाग को लेटर लिखकर अलर्ट रहने को कहा है। साथ ही उन्होंने ऑफिसर्स को मामला सामने आते ही संबंधित के खिलाफ स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है। बनारस में भी कई मामले सामने आ चुके हैं।

सार्वजनिक स्थान पर लिखें वेबसाइट

लोगों की सुविधा के लिए परिवहन कार्यालयों को कंप्यूटरीकृत करने के साथ सब कुछ ऑनलाइन कर दिया गया है। ताकि लोग घर बैठे या साइबर कैफे से सभी तरह के टैक्स जमा कर लें। उन्हें ऑफिस का चक्कर नहीं लगाना पड़े लेकिन इसका फायदा मिलने की बजाय वे ठगी के शिकार होने लगे हैं। उन्होंने विभाग को पत्र जारी कर फर्जी वेबसाइट के बारे में प्रचार-प्रसार करने के साथ एलर्ट रहने को कहा है। विभाग की आधिकारिक आईडी आरटीओ समेत सार्वजनिक स्थानों पर लिखने का निर्देश दिया है।

ऐसे बनाते हैं अपना शिकार

जालसाजों ने फर्जी आईडी बनाने के साथ गूगल एड सेवा भी ले रखी है। गूगल पर जाते ही ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस या आरटीओ टाइप करते ही विभाग का वेबसाइट खुल जाता है। वेबसाइट पर आवेदन की कैटेगरी भी उन्होंने बना रखी है। कुछ लोग इस बात को समझ नहीं पाते हैं और वे ठगी के शिकार हो जाते हैं।

आरटीओ के आसपास हो रहा खेल

बाबतपुर और चौकाघाट परिवहन ऑफिस के बाहर कई साइबर कैफे खुले हैं। वे ऑनलाइन डीएल का फीस जमा करने के नाम पर मनमाना सुविधा शुल्क लेते हैं। वे एक कैंडीडेट के आवेदन का क्00 से ख्00 रुपये शुल्क ले रहे हैं। अभ्यर्थियों के शिकायत करने के बाद भी विभाग उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है जबकि उन्हें ख्0 रुपये से अधिक नहीं लेना चाहिए। इन्हीं में कुछ लोग ठगी करते हैं, फिर भी विभाग इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है।

आरटीओ के राजस्व को नुकसान पहुंचाने के मामले में शासन से लेटर आया है। इसको लेकर सतर्कता बरती जा रही है। अभी तक मेरे पास ठगी का कोई मामला नहीं आया है। लेकिन, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।

सर्वेश सिंह, एआरटीओ (प्रशासन)