-बंगाली समाज के लोगों ने पारम्परिक ढंग से किया मां को विदा

-अबीर गुलाल उड़ाते और नाचते गाते विसर्जन स्थल तक पहुंची भक्तों की टोली

ALLAHABAD: दुर्गा पूजा महोत्सव में डूबी संगम नगरी में पूजा समापन के बाद भक्तों ने शुक्रवार को धूमधाम से जगत जननी मां दुर्गा को विदाई दी। इस दौरान पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। हर किसी में गजब का उत्साह दिखाई दे रहा था, लेकिन मन में किसी के खोने का गम भी। शारदीय नवरात्र की एकादशी पर दुर्गा पूजा पंडालों से मां दुर्गा की विदाई हुई। भक्तों ने सुबह वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां का पूजन कर उनकी आरती उतारी। विशेष रूप से बंगाली समाज के लोगों ने अपने पारम्परिक ढंग से मां दुर्गा को विदाई दी। समाज की महिलाओं ने बंगाली साड़ी, बिंदी आदि लगाकर पूरे वेशभूषा में पंडाल में मां की प्रतिमा के आगे सिंदूर खेला। उसके बाद बैंडबाजे, डीजे की धुन पर थिरकते हुए मां को ससुराल तक पहुंचाने के लिए निकल पड़े। बंगाली समाज के लोगों का मानना है कि नवरात्र में मां अपने मायके आती है। पूजा समापन के बाद उन्हें ससुराल विदा किया गया।

रामघाट पर लगा रहा तांता

दशमी पर गुरुवार को संगम के पास रामघाट पर बने तालाब में कई दुर्गा पूजा पंडाल के आयोजकों ने प्रतिमा विसर्जित कर दी थी, लेकिन अधिकतर पूजा कमेटियों ने शुक्रवार को प्रतिमा का विसर्जन किया। इसके पीछे भक्तों का तर्क था कि गुरुवार का दिन लक्ष्मी व विद्या प्राप्ति का दिन है। ऐसे में लक्ष्मी स्वरूप मां को बाहर नहीं भेजा जा सकता। इसलिए शुक्रवार को भक्त पूजा पंडालों से मां की प्रतिमा भव्य वाहन रखकर रास्ते भर नाचते-गाते हुए निकले। पूरे रास्ते भक्तों की भीड़ अबीर गुलाल उड़ाते हुए चल रही थी। हर तरफ मां दुर्गा के जयकारों की गूंज से संगम नगरी डूब गई। जयकारा लगाते हुए भक्तों का हुजूम रामघाट पहुंचा। जहां भक्तों ने मां की प्रतिमा को प्रशासन की ओर से तैयार कराए गए विशाल तालाब में विसर्जित किया। विसर्जन के समय लोगों की आंखें मां से बिछड़ने की सोचकर नम हो गई। हर कोई मां से अगले बरस जल्दी आने की कामना करते हुए घर को लौटा।

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देवी दरबार में उमड़ा जन सैलाब

-नवरात्र के साथ ही मंदिरों में चल रहे विशेष आयोजनों का समापन

ALLAHABAD: नवरात्र पर देवी मंदिरों में चल रहे विशेष आयोजनों व अनुष्ठानों का शुक्रवार को समापन हो गया। दशमी एवं एकादशी तिथियों पर देवी मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। नवरात्र के समापन पर गुरुवार को दशमी के मौके पर व्रत का पारण करने के लिए बड़ी संख्या में लोग सिद्धपीठ मंदिरों में पहुंचे। जहां लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां का पूजन कर उनसे सौभाग्य, धन, संपदा, सुख-शांति का वरदान मांगा। मंदिरों में जनकल्याण के लिए आयोजित हुए शतचंडी यज्ञ का भी इस मौके पर समापन हुआ।

मां कल्याण का हुआ भव्य श्रृंगार

नवरात्र को देखते हुए मां कल्याणी का इस अवसर पर भव्य श्रृंगार किया गया। रत्न जडि़त आभूषणों से मां कल्याणी के श्रृंगार के बाद मंदिर के पट खोले गए। उसके बाद भक्तों का रेला मां की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ा। महाशक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर में रत्नजडि़त आभूषणों से मां का मोहक श्रृंगार हुआ। भक्तों ने मां के बाद भैरव बाबा का दर्शन-पूजन दान कर मनौती पूरी होने की कामना की। इस विशेष अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने मां अलोपीशंकरी का दर्शन किया। भक्तों ने मां के पालने में मत्था टेककर स्वयं के कल्याण की कामना की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने निशान चढ़ाया। मंदिरों में पूरा दिन भजन व कीर्तन का दौर भी खूब चला। जहां लोगों ने मां की महिमा का बखान किया।