-अलग-अलग थीम पर बने दुर्गा पूजा पंडालों को देखने उमड़ी भीड़

ALLAHABAD: महाषष्ठी आरम्भ होने के साथ ही शहर में दुर्गा पूजा पंडालों में मां भगवती का आगमन और पूजन के उत्सव का शुभारम्भ हो गया। दुर्गा पूजा महोत्सव के लिए शहर में तैयार पूजा पंडालों को भी विशेष थीम पर तैयार किया गया है। पूजा पंडालों का आकार और डिजाइन तो इंप्रेसिव है ही मूर्तियों के बैकग्राउंड को पर्यावरण के साथ जोड़ने की भी कोशिश की गई है।

अशोक नगर में अलौकिक गुफा

अशोक नगर में बने श्री श्री दुर्गा पूजा 2015 के पंडाल को पहाड़ का रूप दिया गया है। टॉप पर एक मंदिर बनाया गया है। इसी में मां विराजमान हैं। पूरे पंडाल का आउटलुक गुफा जैसी फील देता है। गुफा के अंदर से होते हुए ही भक्त मां के दरबार तक पहुंच सकते हैं। पहाड़ हो या गुफा यहां भी कलाकारी का नमूना पब्लिक के लिए मौजूद है। कमेटी के वाइस प्रेसिडेंट नरेन्द्र कुमार ने बताया कि पंडाल बनाने में एक माह लगे हैं। वेस्ट बंगाल से आए कलाकारों ने दिन रात की मेहनत से इसे तैयार किया है।

कटरा आलू मंडी में संसद भवन

पुराना कटरा स्थित आलू मंडी पूजा कमेटी की ओर से तैयार पंडाल संसद भवन जैसा लुक एंड फील देता है। यहां पब्लिक को मां दुर्गा की प्रतिमाओं के साथ देश की संसद का नजारा भी दिखेगा। इसके लिए पंडाल के भीतर का इंटीरियर भी कुछ इसी अंदाज में तैयार किया गया है। लोगों की भीड़ भी संसद भवन रूपी दुर्गा पूजा पंडाल को देखने के लिए उमड़ रही है।

दरभंगा में प्राचीन मंदिर का स्वरूप

शहर की फेमस दुर्गा पूजा पंडालों में शामिल दरभंगा पूजा पंडाल को एक प्राचीन मंदिर के स्वरूप में दिखाने का प्रयास किया गया है। उनका कलर और बनावट लोगों को खुद ही अपनी ओर खींचने का कार्य करती हैं। पंडाल के अंदर भी थीम के अनुसार ही वर्क किया गया है। बारवारी समिति के मेंबर्स ने बताया कि प्रत्येक वर्ष बारवारी की ओर से कुछ नया करने का प्रयास किया जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार भी नई थीम के अनुसार दुर्गा पूजा पंडाल को बनाया गया है।

बारवारी में हरित विश्व की परिकल्पना

89वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी बाई का बाग दुर्गा पूजा पंडाल के आयोजकों ने इस बार हरित विश्व की परिकल्पना को थीम के रूप में बनाया है। बारवारी समिति के सचिव सुब्रतो घोष ने बताया कि पंडाल को खजूर के पत्तों से बनाया गया है। इसके लिए पूर्वोत्तर से खासतौर से इनको मंगाया गया है। थीम का पूरा मकसद हरियाली के महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है। जिससे लोगों में पेड़ों व पौधों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ सके।