-दून सिटी के नगर निगम क्षेत्र से जल्द हटा दिए जाएंगे 297 डस्टबिन

-अब डोर-टू-डोर कलेक्शन पर निगम कर रहा है विचार

देहरादून,

शहर में डस्टबिन की बेहद कमी के बीच नगर निगम ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया है। शहर में डस्टबिन की संख्या बढ़ाने के बजाय, पहले से लगे डस्टबिन की हटाने पर विचार किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि अब घर-घर से कूड़ा उठाने के सिस्टम को मजबूत किया जाएगा, इसलिए डस्टबिन की जरूरत ही नहीं रहेगी। हालांकि, इस सवाल का किसी के पास जवाब नहीं है कि राहगीर जो कूड़ा सड़कों पर फेंक जाते हैं वह कहां डाला जाएगा।

शहर की सफाई व्यवस्था का जिम्मा निगम के कंधों पर है। प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन अब भी शहर में सफाई व्यवस्था चरमराई नजर आती है। कई ऐसे इलाके हैं, जहां खाले पड़े प्लॉट्स या सड़कों के किनारे कूड़े का ढेर आसानी से नजर आ जाते हैं। सड़कों के किनारे मौजूद डस्टबिन से समय पर कूड़ा उठान नहीं हो पाता। निगम का कहना है कि आने वाले दिनों में शहर से डस्टबिन का झंझट ही खत्म कर दिया जाएगा। नई योजना के तहत हर घर से कूड़ा उठान के लिए संबंधित कंपनी से बात चल रही है।

सफाई से दूर, गंदगी भरपूर

सिटी में खाली पड़े प्लॉट पर सबसे ज्यादा कूड़े का ढेर नजर आ रहे हैं। आईएसबीटी के पास खाली प्लॉट पर कूड़े के ढेर पड़े हुए हैं। जहां निगम की टीम की नजर नहीं पहुंच पा रही है। अजबपुरकलां मेन रोड पर मौजूद डस्टबिन के बाहर पड़े कूड़े को जानवर फैला रहे हैं। जिससे राहगीरों को भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

धामावाला का हाल बुरा

धामावाला बाजार की नहर वाली गली इलाके में नालियों में कूड़ा बह रहा है। स्थानीय निवासी ने वाट्सएप के जरिए भेजी अपनी फोटोग्राफ में बताया कि इलाके में दिन में पानी बहता रहता है और साथ में कूड़ा भी। जिससे नालियां ब्लॉक हो जाती हैं और पानी की निकासी नहीं हो पाती है। इलाके में कूड़े कलेक्शन के लिए प्रॉपर डस्टबिन के इंतजाम हों तो समस्या से निजात पाया जा सकता है।

डोर टू डोर व्यवस्था फेल

नगर निगम बेशक डोर टू डोर कूड़ा कलेक्ट करने की बात कर है, लेकिन यह व्यवस्था अब तक फेल साबित हुई है। पिछले कई सालों से शहर में यह व्यवस्था लागू है, लेकिन कई इलाकों में यह व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। ऐसे में डस्टबिन हटाने का फैसला कितना कारगर साबित होगा, इस पर सवाल उठाये जा रहे हैं।

डस्टबिन की स्थिति

-निगम क्षेत्र में कुल डस्टबिन की संख्या--297

-छोटे डस्टबिन की संख्या--250

-बड़े डस्टबिन की संख्या--47

-संडे को हॉफ डे कार्यरत रहते हैं कार्मिक।

-अंडर ग्राउंड डस्टबिन की संख्या--80

-कुल वार्ड--100

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अक्सर सड़कों के किनारे मौजूद डस्टबिन के ओवर फ्लो होने या फिर डस्टबिन के किनारे ही कूड़ा फेंकने की अक्सर शिकायतें सामने आती रहती हैं। निगम प्रशासन अब डस्टबिन रिमूव करने पर ही विचार कर रहा है। इसके लिए कंपनी को डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन किए जाने पर मंथन चल रहा है। जल्द ही ये व्यवस्था शुरु कर दी जाएगी।

-डा। कैलाश जोशी, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी।

::पब्लिक वर्जन::

शहर में कूड़े की समस्या लंबे समय से चली आ रही है। निगम प्रयास कर रहा है। लेकिन अक्सर छुट्टियों के दौरान कूड़े का कलेक्शन सिरदर्द बन जाता है। निगम की लापरवाही इसके लिए जिम्मेदार कही जा सकती है।

आजकल मुख्य सड़कों की बात छोड़ दी जाए, तो गलियों, मोहल्लों व खाली पड़े प्लॉट्स में कूड़े का बिल्कुल भी उठान नहीं हो पा रहा है। जहां तक निगम के कर्मचारी पहुंच पाते हैं, वहीं तक सफाई नजर आती है। कई इलाकों में तो कई दिनों तक निगम की टीम तक नहीं पहुंचती।

देखने में आया है कि निगम ने सड़कों के किनारे कूड़े के कलेक्शन के लिए डस्टबिन रखे हैं। जहां तक लोग नहीं पहुंच पाते हैं। जबकि ऐसे स्थान चिन्हित किए जाने चाहिए, जहां से आवासीय कॉलोनी की पहुंच नजदीक हो। हरिद्वार बायपास रोड पर ऐसे उदाहरण काफी हैं।

निगम क्षेत्र में निगम के कूड़े कलेक्शन के लिए कई योजनाएं प्लान की। रात में कूड़ा उठान तक की योजना शुरु की गई। लेकिन वह भी फिसड्डी रह गई। बढ़ती आबादी को देखते हुए सुबह-शाम कूड़ा उठान की योजना हो तो डस्टबिन भी साफ दिखेगा और शहर भी।