800 पाइंट पर साल 2016-17 में लगवाए गए थे प्लास्टिक के डस्टबिन

65 लाख रुपए खर्च किए गए थे इन डस्टबिन को लगाने में

500 स्टील के डस्टबिन लगवाए गए स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के तहत

35 लाख से अधिक रुपए खर्च किए इन स्टील के डस्टबिन पर

600 नए बडे़ डस्टबिन मंगाए गए थे दो करोड़ की लागत से

100 मूवेबल डस्टबिन ही अभी तक शहर में रखे गए हैं

500 मूवेबल डस्टबिन का अभी तक नहीं अता-पता

Meerut। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में दो बार लगाए गए प्लास्टिक डस्टबिन शहर से लगभग गायब हो चुके हैं। हालत यह है कि डस्टबिन से शहर भले ही साफ ना हो सका हो, लेकिन निगम का खजाना जरूर साफ हो गया है। आमतौर पर प्लास्टिक के डस्टबिन में कूड़ा भरकर आग लगा दी जाती है, जिससे शहर के तकरीबन सभी डस्टबिन खराब हो चुके हैं, वहीं, प्लास्टिक डस्टबिन तो पूरी तरह से डैमेज हो चुके हैं लोहे के बने डस्टबिन भी आग के कारण जर्जर हो चुके हैं। दूसरी ओर स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान शहर में लगाए गए स्टील के डस्टबिन लगातार चोरी होने के कारण गायब हो रहे हैं। इन डस्टबिन पर निगम की ओर से तीन करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी शहर में जगह जगह कूड़ा बिखरा रहता है।

आग में जले डस्टबिन

गौरतलब है कि साल 2016-17 में निगम ने महानगर में कूड़ा कलेक्शन के लिए शहर के करीब 800 पाइंट पर हरे और नीले रंग के प्लास्टिक डस्टबिन लगवाए थे। कुछ जगह इन डस्टबिन का विरोध भी हुआ कि यह कमजोर हैं चल नही पाएंगे इसके बावजूद करीब 65 लाख रुपए खर्च कर इन डस्टबिन को शहर में लगाया गया। लेकिन कुछ समय बाद से ही ये डस्टबिन गायब होने लगे, वहीं कई जगह पर कूड़े में आग लगने के कारण ये पिघल कर खराब हो गए। आज शहर में केवल कुछ ही जगह पर प्लास्टिक डस्टबिन सही सलामत हैं, इनमें भी अधिकतर जले हुए हैं।

अब स्टील के डस्टबिन

प्लास्टिक डस्टबिन की मुहिम फेल होने के बाद स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में सफलता के लिए निगम प्रशासन ने एक बार फिर शहर की सड़क और प्रमुख बाजार, पार्क आदि जगह पर स्टील के 500 डस्टबिन लगवाए। लेकिन अभी साल भी नही बीता कि अधिकतर जगह पर स्टील डस्टबिन गुम हो चुके हैं। इन स्टील डस्टबिन पर भी निगम ने 35 लाख से अधिक रुपए खर्च किए थे। इसके साथ निगम शहर के विभिन्न इलाकों में कूड़ा एकत्र करने लिए हर साल मूवेबल डस्टबिन पर पैसा बहा रहा है। इस साल करीब 2 करोड़ की लागत से 600 नए बडे़ डस्टबिन मंगाए गए थे लेकिन उनमें से केवल 100 मूवेबल डस्टबिन ही शहर में रखे गए हैं।

अब फिर बदला प्लान

निगम प्रशासन ने एक बार फिर शहर के कुछ प्रमुख स्थानों पर तीन-तीन डस्टबिन प्लास्टिक के लगवाने की कार्य योजना तैयार की है। इसके लिए निगम इस बार ऐसी जगहों का चयन कर रहा है जहां डस्टबिन पर निगरानी रखी जा सके और जगह सुरक्षित हो। इन जगहों पर नीला, हरा और काले रंग का डस्टबिन लगाए जाएंगे।

पब्लिक को निगम के कामों में सपोर्ट करना चाहिए, लेकिन ऐसा नही होता है। नतीजा यह है कि डस्टबिन तक चोरी हो रहे हैं। अब दोबारा डस्टबिन लगाने के लिए स्थानों की चयन प्रक्रिया शुरू हो गई है। सभी सफाई इंस्पेक्टर को सुरक्षित स्थानों के चयन की जिम्मेदारी दी गई है।

डॉ। गजेंद्र कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

शोपीस बन गए हैं कूड़ेदान

शहर में डस्टबिन में कूड़ा ना फेंकने की आदत के कारण कूड़ा अधिक फैल रहा है। हालत यह है कि जहां कूड़ेदान रखा भी है वहां भी लोग कूडे़दान में फेंकने के बजाए उसके बाहर ही कूड़ा फेंककर चले जाते हैं। इससे अलग निगम की गाडि़यां भी कूड़ेदान को पूरा खाली करने के दौरान आधा कूड़ा सड़क पर ही गिरा कर चलीं जाती हैं। जिस कारण से कूडेदान खाली होने के बाद भी कूड़ा फैला रहता है।

टीपीनगर के बाहर कूडे़दान रखे हैं लेकिन इस कूड़ेदान के बाहर तक हर समय कूड़ा फैला रहता है। जिस कारण से आवारा पशु भी इस कूडे़ के आसपास घूमते रहते हैं। इससे कॉलोनी के बाहर की एंट्रेस ही हर समय गंदी रहती है।

अरुण

जयदेवी नगर रोड पर डस्टबिन की हालत इस कदर खस्ता है कि कूड़ा डालने के बाद इसमें से बाहर निकलता रहता है। निगम कूड़ा उठाने तक सीमित है लेकिन सड़क पर फैले कूडे़ को साफ नही किया जाता है।

योगेंद्र