लंदन (पीटीआई)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि पाकिस्तान खुलेआम आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और उसके साथ बातचीत की तब तक कोई गुंजाइश नहीं है जब तक वह अपने यहां आतंकवादियों का हर तरह से साथ देना बंद नहीं कर देता है। जयशंकर न्यूयॉर्क टाइम्स में कश्मीर पर प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा लिखे गए उन हालिया राय का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि दक्षिण एशिया पर परमाणु का छाया मंडराते हुए दिख रहा है, इसपर तुरंत चर्चा शुरू करना जरूरी है। ब्रसेल्स में POLITICO के साथ एक इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि इमरान का यह विचार गलत है, पाकिस्तान अपने यहां खुलेआम आतंकवाद को बढ़ावा देता है, जब तक पाकिस्तान अपने यहां आतंकियों का पैसे और अन्य चीजों से साथ देना बंद नहीं कर देता है, तब तक उससे बातचीत की कोई गुंजाइस नहीं है।  

कश्मीर में कम की जाएगी सुरक्षाकर्मियों की संख्या

जयशंकर ने कहा, 'आतंकवाद कोई ऐसा चीज नहीं है, जिसे किसी देश में चलाया जाए और उसे पता ना चला। यह पाकिस्तान में खुलेआम चलता है।' इसके बाद कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद वहां की मौजूदा स्थित पर किये गए सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'जैसे जैसे दिन बीत रहा है घाटी से सुरक्षाकर्मियों की संख्या कम की जा रही है।' उन्होंने कहा कि कश्मीर में टेरर फंडिंग और हिंसा को रोकने के लिए सरकार को मजबूरन वहां की टेलीफोन और इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी। बता दें कि पिछले हफ्ते ब्रसेल्स की यात्रा के दौरान, जयशंकर ने यूरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड सासोली और यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख फेडरिका मोघेरिनी से मुलाकात की, जिन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का आग्रह किया।   

भारत-पाक के बीच बढ़ा तनाव

गौरतलब है कि 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प व जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन व जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश किया था। राज्यसभा में अनुच्छेद 370 संबंधी प्रस्ताव स्वीकार और जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक पास हो गया था। इसके बाद दूसरे दिन यह लोकसभा में पेश हुआ और शाम को यहां से भी हरी झंडी मिली गई। प्रस्ताव पास होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया। वहीं लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। भारत सरकार के इसी फैसले के बाद भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत हर जगह यही कह रहा है कि यह एक आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए।

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