नेपाल में भूकंप के दौरान बनारस में लगे झटकों से सभी उबर चुके थे। मगर मंगलवार को दोपहर के वक्त एक के बाद एक झटकों ने लाखों बनारसियों की धड़कनें रोक दीं। सांस ऐसी अटकी की पूछिये नहीं। कांपती धरती ने जहां एक बड़े अग्निकांड को अंजाम दिया वहीं हजारों पुराने मकानों में दरार डाल दी। कुछ तो दहशत में गश खाकर गिर पड़े। देखिये क्या-क्या हुआ झटकों का असर

- एक बार फिर डोली धरती, जान बचाने के लिए लोग निकले घरों से बाहर

- बनारस में 5.5 की तीव्रता का अनुमान, बीएचयू स्थित सिस्मोग्राफ है खराब

- किसी बड़ी घटना की सूचना नहीं, पर कुछ बिल्डिंग्स की दीवारों में आयी दरारें

- दहशत में लोग, रात को फिर झटके आने की आशंका में उड़ी रही नींद

VARANASI:

सब कुछ सामान्य दिनों की तरह ही था। हर कोई अपने काम में व्यस्त। सड़कों पर आम दिनों की तरह ही भीड़-भाड़ और मार्केट भी खरीदारों से गुलजार। तभी अचानक लोगों को सबकुछ हिलता डुलता महसूस हुआ। दफ्तरों और दुकानों और घरों में बैठे लोगों की कुर्सियां, पंखे, टीवी, टेबल के हिलने का एहसास हुआ। रोड पर बिजली के तार भी झूमते दिखायी दिये। अरे ये क्या बिल्डिंग, मकान, दुकान, दफ्तर, खंभे सब हिल रहे हैं। बस फिर क्या था, 'भागो भूकंप' की आवाज लगाते लोग सड़क और मैदान की ओर निकल चले।

दोपहर का था वक्त

झटके लगने का वक्त दोपहर करीब क्ख्.फ्8 बजे था। लगातार ख्0 सेकेण्ड तक झटके साफ महसूस हुए। इस बार भी भूकंप का केंद्र नेपाल ही था, जिसका खुलासा कुछ देर बाद टीवी के न्यूज रिपोर्ट से हुआ। पहले झटके से लोग उबर भी नहीं सके थे कि कुछ मिनटों के बाद दूसरे झटके ने लोगों की जान अटका दी। शुक्र था कि दूसरी बार झटकों का समय बहुत कम था। सबकुछ नार्मल हो गया। लेकिन खौफ ने दिलो-दिमाग पर ऐसा घर किया कि लोगों की देर रात तक नींद उड़ी रही।

अपनों की आई याद

एक के बाद एक झटकों से उबरने के बाद सभी को अपनों की याद आई। पैरेंट्स ने जहां स्कूल-कोचिंग में फोन कर बच्चों की सुध ली वहीं ज्यादातर स्कूलों ने तुरंत छुट्टी कर बच्चों को घर भेज दिया। मंडलीय हॉस्पिटल, दीनदयाल हॉस्पिटल बीएचयू व शहर के तमाम हॉस्पिटल में पेशेंट्स और उनके तीमारदार भी भागने लगे। कुछ हाथ में लगी ड्रिप की बोतल सहित भाग निकले। सदमे में वो पेशेंट्स थे जो बेड से हिल-डुब भी नहीं सकते थे और उनके परिजन भी उन्हें छोड़ कर भागने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

पत्तों की तरह हिली बिल्डिंग्स

भूकंप से लहरतारा के महेशपुर में एक निर्माणाधीन मकान में दरारें पड़ने की खबर है। काशी विद्यापीठ के गंगापुर कैंपस की दीवार में भी दरार की बात सामने आई। नगवा चुंगी स्थित एक मकान की दीवार में भी दरारें पड़ गई। तकरीबन हर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के लोग दहशत में दिखे। तमाशबीनों का जमघट भी मल्टीस्टोरी के बाहर देखने को मिला। आईपी मॉल और बिग बाजार को भी एहतियात के तौर पर खाली करा लिया गया था।

किशोरी हुई बेहोश

भूकंप के झटके से लोहता के रहीमपुर की रहने वाली सबीना डरकर बेहोश हो गयी। उसे आनन फानन में लोहता स्थित एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जहां कुछ देर बाद उसे होश आया। इधर शहर में पूर्व पार्षद स्व। नारायण मिश्रा का सात वर्षीय नाती जय टेबल से गिरकर घायल हो गया। उसे प्राइवेट नर्सिग होम में एडमिट कराया गया। कचहरी में हरहुआ निवासी रामकृत मेनगेट पर पहुंचते ही भूकंप के झटके से चक्कर आने पर गिर पड़े। आसपास मौजूद लोगों ने पानी का छींटा मारकर उन्हें होश में लाया।

जारी है प्लेटों का टकराव

बीएचयू के भू-भौतिक के साइंटिस्ट का कहना है कि हिमालयन रेंज में इंडियन व यूरेशियन प्लेटें लगातार टकरा रही हैं। भूकंप के झटकों का यही कारण है। ये प्लेटें सतह से 80 से क्ख्0 किमी नीचे तक हैं। इसमें इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे की ओर जा रही है। इनकी गति 0.भ् से ख्.भ् सेंटीमीटर प्रतिवर्ष है। आपस में टकराने के बाद अभी ये प्लेटें व्यवस्थित नहीं हो पाई हैं जिससे इनमें रह-रहकर टकराहट हो रही है और झटके लग रहे हैं। साइंटिस्ट ने बताया कि नेपाल में पिछले दिनों ख्भ् और ख्म् अप्रैल को आए दो तगड़े झटकों के बीच हल्के-हल्के लगभग ब्0 झटके महसूस किए गए थे।

भ्.भ् तीव्रता का अनुमान

साइंटिस्ट प्रो। एसएन पांडेय कहते हैं कि भूकंप के झटके से निकलने वाली तरंगों की गति ब्.भ्0 से लेकर पांच किलोमीटर प्रति सेकेंड तक होती है। उनका कहना है कि वाराणसी में पहुंची इन तरंगों के रिक्टर स्केल पर भ्.भ् से छह के बीच होने का अनुमान है। प्रो। पांडेय कहते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश मैदानी क्षेत्र है और यहां सतह से नीचे की मिट्टी बलुई है। इसकी वजह से यहां तक पहुंची तरंगें कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में यहां किसी नुकसान की आशंका नहीं है।

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नहीं ठीक हुआ सिस्मोग्राफ

बनारस पिछले एक महीने के दो बार भूंकप के झटके झेल चुका है। लेकिन आईएमडी के अधिकारियों को बीएचयू में लगाये गये भूकंपमापी यंत्र को दुरुस्त करने की जरूरत नहीं महसूस हुई है। आईएमडी की ओर से यह यंत्र बीएचयू के स्टूडेंट्स के रिसर्च के लिए लगाया था। पर लंबे समय से खराब चल रहा है। इसे अब तक इसे बनाया नहीं जा सका है। इसे लेकर वैज्ञानिक नाराज हैं। उनका कहना है कि इससे शोध कार्यो पर असर पड़ना तो स्वाभाविक है, यहां पहुंचने वाली तरंगों की सटीक जानकारी नहीं हो पा रही है।

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धरोहर पर भी असर

भूकंप के झटके से संस्कृत यूनिवर्सिटी स्थित ऐतिहासिक मुख्य भवन की छत गिरने की सूचना है। सम्पत्ति अधिकारी नवीन शर्मा ने बताया कि मुख्य भवन से कुछ गिरने की आवाज आई थी लेकिन अभी भवन को खोल कर देखा नहीं गया है। मुख्य भवन काफी जर्जर हो चुका है। भवन के मुख्य भाग में ताला बंद रहता है।

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बाहर आ गये अधिकारी

राज्यपाल के आगमन के मद्देनजर कमिश्नर आरएम श्रीवास्तव, डीआइजी एसके भगत, एसएसपी जोगेंद्र कुमार समेत अन्य आला अधिकारी सुरक्षा - व्यवस्था के मद्देनजर कमिश्नरी के संगोष्ठी सदन में बैठक कर रहे थे। टेबल पर मौजूद पानी भरे गिलास हिलने लगे तो अधिकारियों को समझते देर नहीं लगी कि भूकंप है। एहतियात के तौर पर सभी अधिकारी संगोष्ठी सदन के बाहर आ गए।