फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर पावर स्टेशन में रिएक्टर को ठंडा करने की कोशिश में लगी 50 लोगों की टीम को बुधवार को निकाल लिया गया. चीफ पार्लियामेंट सेक्रेट्री ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि रेडिएशन लेवल में अचानक इजाफे के बाद इन लोगों को निकाला गया.

यह लोग अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर रिएक्टर्स में पड़े थे. इस टीम के ऊपर रिएक्टर को ठंडा रखने की जिम्मेदारी थी. यह लोग इस कोशिश में लगे थे कि रेडिएशन का दायरा और ना फैले. अब जबकि इन लोगों को बाहर निकाल लिया गया है, आइए हम आपको बताते हैं कि यह लोग अंदर कैसे काम कर रहे थे.

नाम और चेहरा पता नहीं

इन 50 बहादुरों के न तो चेहरे दिखाई देते थे और ना ही बाहर के किसी शख्स को इनका नाम पता था. इसके बावजूद यह 50 लोग पूरी शिद्दत से अपने काम को अंजाम देने में लगे हुए थे. यह लोग अंधेरे से भरे टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर मुश्किल से चलते थे. देखने के लिए इनके पास सिर्फ फ्लैश लाइट्स होती थीं. समय-समय पर दिल दहलाती धमाके की आवाजें भी सुनाई देती थी, इसके बावजूद यह डटे हुए थे. अपनी पीठ पर उन्होंने ऑक्सीजन टैंक्स बांध रखे थे, ताकि आसानी से सांस ले सकें. सफेद रंग के जंपसूट से ढंका उनका पूरा शरीर और स्नग-फिटिंग हुड उन्हें इनविजिबल रेडिएशन से प्रोटेक्शन दिलाता था. यह लोग समुद्र के पानी को तेजी से पिघल रहे रिएक्टर पर फेंक रहे थे ताकि उसे पिघलने से रोका जा सके. पहले ही बड़ी मात्रा में रेडियोएक्टिव धूल एटमॉस्फियर में फैल चुकी है. मंगलवार और बुधवार को इन लोगों ने सैकड़ों गैलन पानी रिएक्टर नंबर 1, 2 और 3 पर फेंका.

बढ़ा खतरा तो हटाया गया

गवर्नमेंट की न्यूक्लियर सिक्योरिटी एजेंसी ने बताया कि स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बज कर 40 मिनट पर प्लांट के एंट्री प्वॉइंट पर रेडिएशन लेवल 10 मिलीसीवर्ट प्रति घंटे हो गया था. एजेंसी ने यह भी कहा कि यह संभवत: रिएक्टर नंबर दो से निकले रेडियोएक्टिव एलीमेंट्स के चलते हुआ. खबरों में कहा गया है कि अफसर हेलीकॉप्टर से बोरिक अम्ल का स्प्रे करने के बारे में भी विचार कर रहे हैं ताकि रिएक्टर नंबर चार में खर्च हुए न्यूक्लियर फ्यूल की छड़ों पर न्यूक्लियर रिएक्शन शुरू करने का प्रॉसेस रोका जा सके. टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (टेप्को) के मुताबिक, रिएक्टर्स में हाइड्रोजन ब्लास्ट के बाद मंगलवार को प्लांट के पास से लगभग 730 इंप्लॉईज को निकाल लिया गया. साथ ही प्लांट में काम अस्थाई तौर पर रोक दिया गया है.

सम्राट भी चिंतित

वहीं जापानी सम्राट अकिहितो ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि वह न्यूक्लियर क्राइसिस से बहुत चिंतित हैं. 

 

पहले मिल चुकी थी वार्निंग:विकीलीक्स

जापान को दो साल पहले इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) ने न्यूक्लियर प्लांट्स को लेकर वॉर्निंग दे दी थी. एजेंसी ने कहा था कि जापान में न्यूक्लियर प्लांट्स का रख रखाव ऐसा नहीं है कि भीषण भूकंप की मार झेल जाए. विकिलीक्स के केबल में यह बात सामने आई है. द टेलीग्राफ के मुताबिक दिसंबर 2008 में में आईएईए के अफसरों ने जापान के न्यूक्लियर प्लांट्स का इंस्पेक्शन किया था.

रखरखाव में थी कमी

विकीलीक्स के मुताबिक एजेंसी के अफसर ने कहा था कि भूकंप के बचाव के उपायों को जापान में पिछले 35 सालों में सिर्फ तीन बार जांचा गया है. साथ ही जापान का ध्यान इस ओर भी दिलाया गया कि बीते कुछ समय में आए भूकंप संयंत्रों की सह सकने की कैपेसिटी से ज्यादा डेंसिटी वाले रहे हैं. उस समय जापान गवर्नमेंट ने वादा किया था कि वह अपने सारे प्लांट्स में सिक्योरिटी को और स्ट्रांग करेगी.

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