- भूकंप से लगातार डैमेज हो रही हैं अपने शहर की इमारतें
- रेट्रो फिटिंग तकनीक के जरिए की जा सकती है सुरक्षा
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KANPUR : भूकंप के झटकों का असर हमारे-आपके ऊपर प्रत्यक्ष रूप से भले ही न पड़ रहा हो, लेकिन अपने शहर की इमारते अंदर से डैमेज हो रही हैं। सबसे ज्यादा खतरा पुरानी बिल्डिंग्स पर मंडरा रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर रेट्रो फिटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर लिया जाए तो भूकंप से काफी हद तक बचा जा सकता है। आई नेक्स्ट ने आईआईटी के विशेषज्ञों से बातचीत करके जाना कि आखिर रेट्रो फिटिंग तकनीक क्या होती है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है।
टाइम बाउंडेशन नहीं
भूकंप के झटके जिस तरह लग रहे हैं। कुछ बिल्डिंग्स पर उसका असर दरारों के रूप में नजर आ रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी बिल्डिंग को रेट्रो फिटेड करने में समयसीमा का निर्धारण संभव नहीं है। कोई बिल्डिंग छह महीने तैयार हो सकती है। तो किसी को एक साल से ज्यादा का वक्त भी लग सकता है। मगर, भूकंप से अगर दरारें आ गई हैं तो उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
.तो जमींदोज हो जाएंगी बिल्डिंग्स
आईआईटी की एक्सपर्ट टीम के अनुसार भूकंप के ऑफ्टर शॉक अब भी जारी हैं। आने वाले दिनों में भी यह सिलसिला चलता रहेगा। इसलिए अगर किसी का घर पुराना है और उसमें दरारें आ गई है तो उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। वक्त रहते डैमेज को कंट्रोल न किया गया तो इमारत कुछ ही झटकों के बाद जमींदोज हो जाएगी। एक्सपर्ट्स से मिलकर इस समस्या का समाधान संभव है।
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- सबसे पहले एक्सपर्ट टीम बिल्डिंग की मैकेनिकल प्रॉपर्टी दो तरह से चेक करती है। पहला, कॉम्प्रिहेंसिव और दूसरा शियर प्रेशर का इस्तेमाल किया जाता है।
- कॉम्प्रिहेंसिव तकनीक में बिल्डिंग पर ऊपर से हैवी लोड डाला जाता है। इसके साथ ही अगल-बगल से भी दीवार पर प्रेशर डालकर चेकिंग की जाती है।
- ऊपर से लोड धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। जिस भार पर दीवार टूटने लगती है, वही उसकी मजबूती का आखिरी पैमाना माना जाता है। चेकिंग का यही पैमाना साइड की दीवारों में भी आजमाया जाता है।
- इस प्रक्रिया के बाद बिल्डिंग की मैटीरियल टेस्टिंग की जाती है। इसमें दीवार से ईंट-मौरंग, गारा, सरिया आदि को निकालकर कैमिकल टेस्टिंग की जाती है।
- यह सबकुछ जांचने के बाद बिल्डिंग की 'री-मशीनरी' तैयार की जाती है। इस मशीनरी को पुराने कॉन्सेप्ट से मैच कराया जाता है।
- हिस्टॉरिकल बिल्डिंग के लिए सबसे ज्यादा मुफीद कॉनसेप्ट किया जाता है।